पुराने समय की बात है, प्रीतमपुरा गांव में एक नदी थी, जिसे पार करने में लोगों को बहुत परेशानी होती थी। ऐसे में गांव के कुछ लोगों ने पैसा इकट्ठा करके एक पुल बनवाया। यह पुल बहुत ही संकरा था, जिस पर एक बार में एक ही व्यक्ति आ–जा सकता था।
संकरे पुल पर फंसी दो बकरियां
एक दिन एक बकरी जंगल से घास खा के अपने घर की ओर जा रही थी। रास्ते में उसे पुल पार करना था, तो वह पुल पर चढ़ गई। पुल पर चलते-चलते उसने देखा कि एक दूसरी बकरी उसी पुल पर विपरीत दिशा से आ रही है। थोड़ी ही देर में दोनों बकरियां पुल के बीचों बीच पहुंच गई।
अब एक बार में केवल एक ही बकरी पुल को पार कर सकती थी, ऐसे में दोनों बकरियां काफी देर तक इंतजार करती रहीं की कोई एक बकरी पीछे हट जाए। लेकिन दोनों में से कोई भी पीछे नहीं हटी और डटकर वहीं खड़ी रही। थोड़ी देर में एक बकरी बोली है – “मैं तुझसे बड़ी हूं, मैं पीछे नहीं हटूंगी।, तुम एक काम करो वापस पीछे चली जाओ ताकि मैं घर जा सकूं। वैसे भी मुझे घर जाने में देर हो रही है।”
पहले जाने की जिद पर अड़ी
यह कहकर वह एक कदम आगे बढ़ी। तभी दूसरी बकरी बोली, ”आप उम्र में बड़ी हैं तो मैं क्या करूं, इस पुल पर मैं पहले आई थी, तो ये पुल मैं ही पहले पार करूंगी। पीछे तो तुम्हें ही जाना होगा।”
यह कहकर वो दोनों बकरियां काफी देर तक बहस करती रही। दोपहर से शाम हो गई, लेकिन दोनों में से कोई भी बकरी पीछे नहीं हटी। अब दोनों के पास कोई रास्ता नहीं था, ऐसे में एक बकरी बोली, “ बहन ऐसे अकड़ते – अकड़ते तो पूरी रात गुजर जाएगी। अगर हम दोनों में से कोई पीछे नहीं हटा तो हम नदी में गिर जाएंगे और उसमें डूबकर मर जाएंगे।”
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दूसरी बकरी को आया पुल पार करने का आइडिया
यह सुनकर दूसरी बकरी बोली – “तुम सही कह रही हो बहन, मेरे पास एक आइडिया है, जिससे हम दोनों में से किसी को पीछे भी नहीं हटना होगा और हम एक ही समय पर यह पुल भी पार कर लेंगे।”
“अच्छा क्या आइडिया है, मुझे भी बताओ” – पहली बकरी ने बोला।
दूसरी बकरी बोली – “मैं पुल पर बैठ जाती हूं, तुम एक काम करना मेरे ऊपर से गुजर जाना। लेकिन हां यह काम सावधानी से करना नहीं तो तुम नदी में भी गिर सकती हो।”
समझदारी से निकला समस्या का हल
दोनों बकरियां ऐसा करने के लिए राजी हो गई। अब एक बकरी पुल पर बैठ गई, और दूसरी बकरी ने उसके ऊपर चढ़ कर पुल पार किया। इस तरह से दोनों बकरियों ने सावधानी से पुल पार किया और अपने अपने घर पहुंच गई।
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सीख :
किसी भी परिस्थिति में समझदारी से काम करना चाहिए। अगर दोनों बकरियां अपनी अपनी अकड़ में रहती और एक दूसरे का साथ नहीं देती तो, वे नदी में डूब सकती थी। लेकिन उन्होंने समझदारी से काम लिया और पुल को पार किया।
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