कहानियां समाज का आईना होती है, जो हमे कुछ ना कुछ सिखाती है। ऐसी ही सीख देनी वाली एक Moral Story आज हम आपके सामने रखेंगे। जहां एक चींटी, टिड्डे को मेहनत का पाठ पढ़ाती है। चींटी और टिड्डे की कहानी पौराणिक दृष्टिकोण पर आधारित है, जो अंत हमें बहुत बड़ी सीख देती है। तो अगर आप भी अपने बच्चों या छोटे भाई-बहनों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें ये कहानी जरुर पढकर सुनाएं। तो चलिए शुरु करते हैं।
मेहनती चींटी और आलसी टिड्डे की कहानी
पुराने समय की बात कि बात है, जंगल में एक चींटी रहती थी, जो बहुत ही मेहनती थी। उसी के पड़ोस में एक टिड्डा भी रहता था, जिसे गाना गाना बहुत पसंद था । गर्मियों के दिन चल रहे थे, जगंल में खुशनुमा माहौल था, हर जगह फूल खिले हुए थे, जंगलों में फसल लहरा रही थी, वहां खाने पीने की कोई भी कमी नहीं थी।
चींटी सर्दियों के लिए अनाज जमा कर रही थी। वह अपने साथी चींटियों के साथ मिलकर छोटे-छोटो घास के टुकड़ों को इकट्ठा कर रही थी, ताकि सर्दियों के समय उसे कोई परेशानी ना हो। वहीं दूसरी तरफ टिड्डा पूरे दिन इधर-उधर मस्ती करता रहता, ओर गाना गाता रहता।
टिड्डे के आलस से परेशान हुई चींटी
टिड्डे को यूं समय बर्बाद करते हुए देखकर चींटी को बहुत बुरा लगता आखिर कैसा भी हो था तो वो उसका दोस्त ही। वह टिड्डे के आलस से परेशान थी और चाहती थी कि, वह भी मेहनत करें ताकि सर्दियों में उसे कोई दिक्कत ना हो।
यही सोचकर एक दिन चींटी ने टिड्डे को सलाह देते हुए कहा – तुम्हें पता है ना सर्दियों में यहां पर बर्फ पड़ती है,जिस वजह से यहां कोई फसल नहीं हो पाती है। तो तुम अपने लिए अभी से अनाज क्यों नहीं इकट्ठा करते हो क्या तुम्हें कल की कोई चिंता नहीं है?
लेकिन टिड्डा उसकी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था। वह उसे भी अक्सर कहता कि – अरे चींटी रानी अभी तो सर्दियों को आने में बहुत समय है थोड़ा मस्ती करो घूमो फिरो देखो मौसम कितना सुहावना है थोड़ा इसका मजा लो हर समय क्या काम करती रहती हो।
टिड्डे की बात सुनकर चींटी को लगा कि इससे तो बात करना ही बेकार है ये सोचकर उसने उससे बात करना छोड़कर, अनाज इक्कठा करना शुरू कर दिया।
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सर्दियों में टिड्डे की हालत खराब हुई
देखते ही देखते गर्मियां चली गई ओर सर्दियां आ गई। टिड्डे ने सारा समय मौज मस्ती करने में ही निकाल दिया ओर भी चींटी ने पूरी गर्मियों में इतना अनाज इकट्ठा कर लिया था कि उसकी सर्दियां बहुत आराम से कट जाए।
सर्दियां शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही टिड्डे को अहसास हो गया, कि चींटी सही कह रही थी। काश उसने उसकी बात मान ली होती तो आज उसके पास भी खाने को बहुत कुछ होता।
टिड्डा अब भूख से इधर–उधर भटक रहा था, की तभी चींटी ने उससे पूछा – “क्या हुआ टिड्डा भाई, तुम इतनी सर्दी में बाहर क्यों घूम रहे हो।
टिड्डे ने चींटी से कहा – तुम सही कह रही थी। अगर मैंने उस समय अनाज इकठ्ठा कर लिया होता तो आज मेरी ये हालत नहीं होती। मैंने पिछले 15 दिनों से कुछ नहीं खाया है, और भूख की वजह से मुझे बहुत कमजोरी भी आएगी है।
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चींटी ने की टिड्डे की मदद

टिड्डे की बात सुनकर चींटी को उसपर दया आ गई ओर वो बोली – कोई बात नहीं मेरे पास कुछ एक्स्ट्रा अनाज है, तुम वो खा लो। लेकिन हां तुम मुझसे वादा करो कि अब से तुम अपना समय इस तरह से बर्बाद नहीं करोगे। और मेहनत से अपनी जिंदगी गुजरोगे।
टिड्डे ने कहा – “ हां मुझे समझ आगया है कि मेहनत की क्या कीमत होती है। अब मैं अपना समय कही भी बर्बाद नहीं करूंगा”।
टिड्डे को अपना सबक मिल गया था, ओर चींटी भी उसकी मदद करके बहुत खुश थी।
🌟 Moral of the Story (सीख)
- समय रहते अपना काम पूरा कर लेना चाहिए।
- मेहनत से कभी जी नहीं चुराना चाहिए।
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