बचपन कहानियों के बिना अधूरा है। क्योंकि कहानियाँ न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्य भी सिखाती है। छोटे बच्चों को ऐसे ही नैतिक मूल्य सीखने के लिए आज हम लेकर आए Short Story in Hindi । आसान भाषा में लिखी गई ये कहानियां बच्चों को नई – नई सोचने, समझने और सीखने में मदद करेंगी।
Moral Stories for Kids in Hindi आपके नन्हे बच्चों के मन को अच्छाई, ईमानदारी, दया और मेहनत जैसे मूल्यों से परिचित करवाएगी। तो अगर आप अपने बच्चों को सुनाने के लिए Mini Story in Hindi या Small Story in Hindi ढूंढ रहे हैं तो इस पेज पर आपको सब कुछ मिलेगा।
तो चलिए शुरू करते हैं पढ़ना Short Stories In Hindi With Moral For kids….
Top 5 Short Stories In Hindi With Moral
1. घमंडी बारहसिंगा की कहानी

एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उसे अपने सींगों की सुंदरता पर बहुत ज्यादा घमंड था। एक दिन वह तालाब से पानी पी रहा था। पानी में जब उसने अपनी परछाई को देखा तो, वो अपने सुन्दर सींगो को देखकर बहुत खुश हुआ।
बारहसिंगा मन ही मन सोचने लगा – “इस पूरे जंगल में मेरे जैसे सुंदर सींग किसी भी जानवर के पास नहीं है। जरूर मैं इस जंगल का सबसे सुंदर जानवर हूं।” लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी पतली टाँगो पर पड़ी, उसे देखकर वह बहुत दुखी हुआ और वो भगवान को कोसने लगा।
एक बार कुछ शिकारी कुत्ते जंगल में आ गए। जंगल में इधर–उधर घूमते हुए जब उन्होंने बारहसिंगा को देखा, तो उसका शिकार करने के लिए वो उसके पीछे पड़ गए। जंगली कुत्तों को देखकर बारहसिंगा बहुत ज्यादा घबरा गया। घबराहट में वो बहुत ही तेजी से भागने लगा।
भागते-भागते अचानक उसके सींग झाड़ियों के बीच फँस गए। बारहसिंगा ने अपने सींगों को निकालने की बहुत ज्यादा कोशिश की, पर वह अपने सींगों को बाहर नहीं निकाल सका। जंगली कुत्तों ने उसे काट–काट के घायल कर दिया।
घायल होने की वजह से बारहसिंगा की हालत मरने जैसी हो गई। मरते समय वह सोच रहा था – “जिन पैरों को लेकर में भगवान से शिकायत कर रहा था, आज उन्हीं ने मेरी जान बचाने में मदद की थी। लेकिन जिन सींगों की सुंदरता को लेकर मैं फूले नहीं समाता था, आज भी मेरे मौत की वजह बन गई। अगर ये सींग झाड़ियों में न फंसे होते, तो मेरी पतली टांगों ने मुझे बचा लिया होता।”
सीख: कभी भी अपने गुणों पर घमंड नहीं करना चाहिए।
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2. दो मेंढकों की कहानी

एक बार मेंढ़को का एक ग्रुप जंगल घूमने गया। सभी मेंढक घूम रहे थे, की तभी उनके ग्रुप के दो मेंढ़क एक गहरे से गड्ढे में गिर गए। दोनों मेंढकों ने कूद–कूद कर गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन गड्ढे की गहराई ज्यादा थी और वो बाहर नहीं निकल पाए।
ऐसे में सारे मेंढ़क उनसे बोले – “बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है।” सभी मेंढ़क लगातार उन्हें हतोत्साहित कर रहे थे ।
काफी देर मेहनत करने के बाद एक मेंढक ने कूदना छोड़ दिया और उसने लगने लगा कि अब वह इस गड्ढे से बाहर नहीं निकाल पाएगा। और इसी दुख में आकर वह मर गए।
लेकिन दूसरे मेंढ़क ने अपनी हिम्मत नहीं हारी। सुबह से शाम हो गई और वह लगातार कूदता रहा। अंत में उसने इतनी ऊंची छलांग लगाई कि वह एक बारी में ही गड्ढे से बाहर आ गया।
उसे देखकर बाहर खड़े सभी मेंढ़क चौंक गए और बोले – “की तुम इतने गहरे गड्ढे से बाहर कैसे निकल पाए, हमें तो लगा कि तुम ये काम नहीं पाओगे और दूसरे मेंढ़क की तरह मरजाओगे”।
इस पर मेंढ़क बोला – “ मैं थोड़ा ऊंचा सुनता हूं, तो मुझे तुम्हारी बाते ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन जब तुम सारे लोग मिलकर कुछ बोल रहे थे, तो मुझे लगा कि तुम मुझे गड्ढे से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हो। इसी वजह से मेरे मन में विश्वास जगा और में गद्दारी बाहर निकल पाया “।
दोनों मेंढकों में अंतर सिर्फ ये था, की एक ने दूसरों की बात सुनकर कोशिश करना छोड़ दिया ओर मर गया। वहीं दूसरा मेंढ़क लोगों की बात सुने बिना कोशिश करता रहा और अंत में वह सफल रहा।
सीख : दूसरों की बातों में आकर कभी अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए।
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3. अच्छाई का तोहफा

अमराई के राजा रमन सिंह बहुत ही दयालु थे, उनकी प्रजा भी उनसे बहुत ज्यादा खुश थी। राजा रमन ने कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं किया था। लेकिन एक बार उन्होंने अपने राज्य की प्रजा को परखने के बारे में सोचा। इसके लिए उन्होंने एक योजना भी बनाई।
राजा ने राज्य के मुख्य मार्ग के बीचों बीच एक बड़ा आ पत्थर रखवा दिया, और राजा रास्ते के पास बनी झाड़ियों के बीच छुपकर बैठ गए। राजा ये देखना चाहते थे कि, कौन दूसरों की भलाई के लिए इस पत्थर को रास्ते से हटाता है?
पूरे दिन में उस रास्ते से बहुत सारे लोग गुजरे. लेकिन, किसी ने भी उस पत्थर को हटाना ठीक नहीं समझा। कई बार तो राज दरबार के मंत्री, सैनिक और राज्य ने धनी व्यापारी भी उस रास्ते से गुजरे, पर किसी ने भी उस पत्थर को रास्ते से नहीं हटाया।
धनी व्यापारी और लोग तो इस परेशानी के लिए राजा को दोष देने लगे, और कहने लगे – “हमारे राजा ने सड़कों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया। ये पत्थर लोगों का रास्ता रोक रहा है, लेकिन राजा ने अभी तक इसका कोई समाधान नहीं किया।”
ये कहकर वे साइड से निकल गए और पत्थर को हटाने के लिए कुछ भी नहीं किया। इन सब में दोपहर हो चुकी थी, तभी एक किसान सब्जियों की टोकरी लेकर रास्ते से गुजरा। उसने जब पत्थर को यूं बीच रास्ते में पड़ा देखा, तो उसे लोगों की चिंता हुई।
उसने अपनी सब्जी की टोकरी को नीचे रख दिया और पत्थर को हटाने का प्रयास करने लगा। अकेले पत्थर हटाना मुश्किल था, ऐसे में उसने रास्ते से गुजर रहे एक व्यक्ति से मदद मांगी। लेकिन इतना बड़ा पत्थर देखकर उसने हाथ खड़े कर दिए।
किसान अकेले ही पत्थर को हटाने लगा। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार उसे सफलता मिली।
अगले दिन राजा ने उस किसान को राजदरबार में बुलाया गया। राजा ने सभी मंत्रियों के सामने उसे सम्मानित किया और उसे इनाम राशि में 1000 सोने की मोहरे दी। राजा ने उस किसान को उसकी अच्छाई के लिए ये ईमान दिया था। इससे राज्य में और भी लोग अच्छा काम करने के लिए प्रेरित हुए।
सीख : हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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4. अक्ल से बड़ा कोई खजाना नहीं

एक बार की बात है, महाराज अकबर अपने महल की छत पर कबूतरों को खाना खिला रहे थे। इतने में ही उनकी नजर एक कौवे पर पड़ी। कौवे को देखकर उनके मन में एक अजीब सा सवाल आया। उन्हें ये जानने की इच्छा हुई कि उनके राज्य में कितने कौवे रहते हैं।
ये सोचकर अकबर ने सभी मंत्रियों को इक्कठा किया और उनसे बोला – “मैं जानना चाहता हूं कि मेरे राज्य में कितने का हुए हैं। मैं आपको दो दिन का समय देता हूं आप मुझे गिन कर बताएं कि मेरे राज्य में कुल कितने कौवे हैं। अगर ये काम पूरा नहीं हुआ तो मैं सभी को नौकरी से निकाल दूंगा”
महाराज अकबर की बात सुनकर सभी मंत्री चौंक गए और सोचने लगे – “आंखें कहे की गिनती करना संभव कैसे हैं?” लेकिन अपनी नौकरी के चलते वे सभी मजबूर थे।
सभी मंत्री कौवे की गिनती करने में लग गए, लेकिन वह समझ ही नहीं पा रहे थे कि कौन से कौवे को उन्होंने गिन लिया है और कौन से को नहीं। आखिर में एक मंत्री ने सुझाया – “क्यों ना बीरबल के पास चला जाए, अब वही है जो महाराज को समझ सकते हैं।”
सभी मंत्री बीरबल के पास गए और उसे अपनी परेशानी बताई। बीरबल मुस्कुराए और सभी मंत्रियों के साथ अकबर महाराज के पास गए। महाराज अकबर के पास जाकर बीरबल बोले – “महाराज हमने पता लगा लिया है कि इस राज्य में कितने कौवे हैं”।
अकबर बोला – “अच्छा बताओ कितने कौवे हैं।”
बीरबल ने जवाब दिया – “महाराज इस राज्य में 1 लाख 101 कौवे है।
अकबर ने पूछा – कि वह उत्तर कैसे जानते हैं?, तब बीरबल ने कहा, “ आप अपने आदमियों से कौवे की संख्या गिनने के लिए कहें। अगर अधिक कौवे मिले तो जरूर पड़ोसी राज्य के रिश्तेदार कौवे उनके पास आए होंगे। यदि कौवे कम हुए, तो हमारे राज्य के कौवे अपने रिश्तेदारों के यहां गए होंगे।
बीरबल का जवाब सुनकर अकबर को काफ़ी संतोष मिला। इस उत्तर से खुश होकर अकबर ने बीरबल को मोतियों की माला और सोने की अशर्फियां उपहार में दी।
सीख : बुद्धिमानी से हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।
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5. जो भी होता है अच्छे के लिए होता है

राजेश छोटे से गांव का लड़का था। पढ़ाई में वो बहुत ही होशियार था, उसका सपना था कि वह शहर जाकर किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करे, ताकि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हो सके।
एक दिन उसे एक बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने का मौका मिला। वह बहुत उत्साहित था, अपनी सारी डिग्रियां लेकर वो कंपनी में चला गया। इंटरव्यू बहुत अच्छा गया, लेकिन जब रिज़ल्ट आया, तो पता चला कि उसका चयन नहीं हुआ। उसकी जगह कंपनी ने किसी जानकारी व्यक्ति को नौकरी पर रख लिया।
ये सुनकर राजेश बहुत ही हतोत्साहित हो गया, और सोचने लगा – “इतनी मेहनत की, फिर भी कुछ नहीं हुआ।”निराश होकर वह गाँव लौट आया।
धीरे–धीरे करके दिन बीतने लगे। एक दिन गांव में एक नई योजना शुरू हुई, जिसके तहत गाँव में एक सरकारी स्कूल खोला गया। स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की ज़रूरत पड़ी। एक उम्मीद के साथ की उसे यह नौकरी मिल जाएगी राजू ने आवेदन कर दिया।
आखिरकार उसे स्कूल में नौकरी मिल गई। वह बच्चों को पढ़ाने लगा और कुछ ही समय में बच्चों का फेवरेट बन गया। अब गांव के बच्चे और माता–पिता उसे मास्टर कहकर बुलाते। गांव में सभी उसकी बहुत ज्यादा इज्जत करने लगे थे।
एक दिन सरकारी प्रोजेक्ट के चलते एक कंपनी गांव में आई। ये वही कंपनी जो उसे इंटरव्यू में रिजेक्ट कर चुकी थी। जब वह कंपनी गाँव में आई और बच्चों के विकास को देखा तो वे राजेश से बोले – “हमें अफसोस है कि हमने तुम्हारी काबिलियत पर शक किया, अगर तुम चाहो तो तुम हमारी कंपनी को। जॉइन कर सकते हो। हम तुम्हें अच्छी–खासी पोस्ट प्रदान करेंगे”।
ये सुनकर राजेश बोला –”शायद उस दिन मेरा चयन नहीं होना ही अच्छा था, तभी मैं यहाँ आ सका और अपने गाँव के बच्चों के जीवन को बदल सका। मैं आपके दिए गए अवसर की सराहना करता हूं, लेकिन फिलहाल में आपकी कंपनी में काम नहीं कर सकता। मुझे फ़िलहाल इसी काम में ज्यादा मजा आ रहा है।”
किसी ने सच ही कहा है — जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है।
सीख: कभी-कभी जो हमें बुरा लगता है, वही हमारी ज़िंदगी का सबसे अच्छा मोड़ होता है।
🔚निष्कर्ष :
उम्मीद है ये Short Moral Stories In Hindi आपको पसंद आई होंगी। अगर कहानियां अच्छी लगी हों, तो इन्हें अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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