Panchtantra Ki Kahani छोटे बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। इन कहानियों में पेड़ पौधे और पशु-पक्षियों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
पंचतंत्र के लेखक आचार्य विष्णु शर्मा थे, जिन्होंने तीसरी शताब्दी के आस–पास इस ग्रन्थ की रचना की थी। पंचतंत्र मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है, लेकिन वर्तमान में लगभग हर भाषा में Panchantra Ki Kahani ka अनुवाद हो चुका है। ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को मजेदार कहानियों के माध्यम से नैतिकता और व्यवहारिकता का ज्ञान सीखना चाहते हैं, तो उन्हें ये Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral जरूर पढ़कर सुनाएं…
Top 5 Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral For Kids
1. लालची कुत्ता
एक बार एक कुत्ता बहुत ही ज्यादा भूखा था। खाने की तलाश में वह इधर–उधर घूम रहा था, की तभी उसकी नजर एक कसाई की दुकान पर गई। दुकान के बाहर उसे मांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया जिसे उठाकर वह तुरंत वहां से चल दिया।
कुत्ते ने सोचा – “अगर मैं यहां इस मांस के टुकड़े को खाऊंगा, तो ये दुकानदार मुझे भगा देगा और मांस का टुकड़ा भी छीन लेगा। मैं इसे अपने ठिकाने पर ले जाकर खाऊंगा।”
ये सोचकर वह अपने ठिकाने की ओर चल दिया। रास्ते में उसे एक पल भी पर करना था जो नदी पर बना हुआ था। कुत्ता जब पुल पर चढ़ रहा था तो उसने नदी के पानी में अपनी परछाई को देखा। परछाई में उसे अपने ही जैसा एक कुत्ता दिखाई दिया। उसे लगा कि यह नदी के अंदर का कोई कुत्ता है जिसके पास भी मांस का टुकड़ा है।
यह देखकर उसने मन ही मन सोचा – क्यों ना मैं इस कुत्ते की मांस के टुकड़े को छीन लूं? ऐसे मेरे पास दो टुकड़े हो जाएंगे और मेरी भूख पूरी तरह से शांत हो जाएगी। यह सोचकर कुत्ता अपनी परछाई की ओर भौंकने लगा।
लेकिन जैसे ही कुत्ते ने भोकने के लिए अपना मुंह खोल, उसका मांस का टुकड़ा नदी में गिर गया। यह देखकर वह बहुत ही दुखी हुआ। अब उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था । उसके लालच ने उससे वह टुकड़ा भी छीन लिया था, जो उसे काफी में मशक्कत करने के बाद मिला था।
💡सीख: लालच बुरी बला है।
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2. टपका का डर
एक समय की बात है, गांव में एक महिला अपने बच्चे के साथ रहा करती थी। उसका पति नौकरी करने के लिए बाहर शह एकर गया हुआ था। गांव के पीछे एक पहाड़ी थी जहां शेर रहा करता था।
एक बार शेर शिकार करने के लिए गांव की ओर आया, लेकिन तभी अचानक से बारिश होने लगी। बारिश के साथ मोटे-मोटे ओले भी गिरने लगे। ऐसे में ओलों की मार से बचने के लिए शेर एक झोपड़ी की ओट में छुप गया। झोपड़ी की छत टपक रही थी। वही एक छोटा बच्चा भी लगता है रोए जा रहा था।
बच्चे की मां से चुप कराने की कोशिश कर रही थी। बच्चे को चुप करवाने के लिए मां बोली – “देखो तुम रोना बंद कर दो लोमड़ी आ रही है वह तुम्हें उठा कर ले जाएगी”। लेकिन बच्चे ने रोना बंद नहीं किया। “
बच्चे की मां फिर से बोली – “अरे देखो कितना बड़ा भालू है इसे देखकर तो कोई भी डर जाएगा तुम जल्दी से चुप हो जाओ”।
बच्चा चुप नहीं हुआ तो मां ने एक और बार प्रयास किया और बोली – “देखो खिड़की के बाहर शेर बैठा हुआ है। अगर तुम चुप नहीं हुए तो वह तुम्हें उठा कर ले जाएगा और खा जाएगा । कृपा करके चुप हो जाओ। पर बच्चा यह सुनकर भी चुप नहीं हुआ।
बच्चों को रोता देख शेर सोचने लगा – “कैसा बच्चा है इतने बड़े-बड़े जानवरों से भी नहीं डर रहा है, इसे मेरा भी डर नहीं है। क्या इसे पता नहीं है कि मैं इसे खा सकता हूं?
शेर उसे खिड़की में से देख ही रहा था कि इतने में ही बारिश तेज हो गई। झोपड़ी में पानी टपक रहा था। ऐसे में औरत झुंझलाते हुए गुस्से में बोली – “मुझे शेर से भी इतना डर नहीं लगता, जितना इस टपका से लगता है, लगता है आज तो ये टपका मुझे मार ही डालेगा।”
अपनी मां की।ये बात सुनकर बच्चा शांत हो गया। बच्चों को चुप होता देखकर शेयर चौक गया। मन ही मन सोचने लगा – “यह टपका कौन है जो मुझे भी ज्यादा खतरनाक है। लगता है यह कोई बहुत ही बड़ा जानवर है?”
शेर यह सोच ही रहा था कि इतने में ही छत से कोई भारी चीज उसकी पीठ पर आ गिरी। शेर को लगा कि यह टपका है, जिसकी बात वह औरत कर रही है। वह बुरी तरह से डर गया और वहां से भाग गया इसके बाद वह कभी भी गांव में नहीं आया।
💡सीख: मुसीबत के समय हमेशा चतुराई से काम करना चाहिए।
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3. चार ब्राह्मणों की कहानी
एक गांव में चार ब्राह्मण मिल–जुल कर रहा करते थे। चारों बहुत ही अच्छे दोस्त थे। एक बार चारों दोस्त गांव के बाहर घूमने गए जहां उन्हें एक अद्भुत खजाना मिला। यह खजाना उनके किस्मत बदल सकता था। ऐसे में चारों ब्राह्मणों ने तय किया कि वह इस खजाने को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर आपस में बराबर बराबर बांट लेंगे।
लेकिन खजाने को देखकर ब्राह्मणों की नियत बिगड़ गई । तीन ब्राह्मण जो ज्यादा अच्छे दोस्त थे उन्होंने मिलकर चौथे ब्राह्मण को मारने की योजना बनाई। पहला ब्राह्मण बोला – क्या तुम्हें नहीं लगता कि यह खजाना सिर्फ तीन लोगों में बचना चाहिए? यह चौथा ब्राह्मण तो काफी बाद में आया है हम तीन तो 10 सालों से मित्र हैं, तो क्यों ना हम उसे ठिकाने लगा दे और यह खजाना आपस में बात ले।
दोनों ब्राह्मण को उसकी बात सही लगी और उन्होंने चौथे ब्राह्मण को मारने की योजना बना ली। लेकिन चौथा ब्राह्मण उनसे भी ज्यादा चतुर था, वह पूरा खजाना अकेले हड़पना चाहता था। ऐसे में उसने तीनों ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मारने की योजना बनाई।
इस तरह, चारों के बीच विश्वासघात और लालच का खेल चलता है। चौथा ब्राह्मण खाना लेने गया और उसमें जहर मिला लाया। तीनों ब्राह्मणों ने पहले ही योजना बना रखी थी ऐसे में उन्होंने मिलकर उसे चौथ ब्राह्मण को मार डाला। इसके बाद तीनों ब्राह्मणों ने जैसे ही खाना खाया तो वो भी मर गए।
अंत में, चारों अपनी योजनाओं में असफल होते हैं और एक-दूसरे के हाथों मारे जाते हैं। इस प्रकार, उनके लालच और धोखे की वजह से खजाना बेकार हो जाता है।
💡सीख: लालच में इंसान अपना ही नुकसान कर बैठता है।
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4. हाथी और चूहे की कहानी
सुंदरवन जंगल में एक हाथियों का झुंड रहा करता था। वह झुंड जब झील से पानी पीने के लिए जाता था, तो उसे चूहों के एक गांव को पार करना पड़ता था।
लेकिन जब इतने सारे हाथी एक साथ जाया करते थे, तो उनके चलने की वजह से चूहों के घर टूट जय करते थे। कई बार तो बहुत से चूहे हाथियों के पैरों के नीचे कुचले जाते थे।
ऐसे में एक बार जंगल के सभी चूहों ने एक बैठक बुलाई । इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी चूहे हाथियों के सरदार के पास जाएंगे और उनसे अपना रास्ता बदलने के लिए आग्रह करेंगे।
अगले दिन सभी चूहे हाथियों के सरदार के पास गए और बोले – “है हाथी महाराज, आप बहुत ही बड़े हैं, शायद इसलिए आपका ध्यान हमारे छोटे-छोटे बिलों पर नहीं गया। लेकिन जब आप झील से पानी पीने के लिए जाते हैं, तो हमारे घर टूट जाते हैं ।
कई बार तो हमारे कुछ चूहे साथी भी आपके पैरों के नीचे दबकर मर जाते हैं। हम सभी चाहते हैं, कि कृपया करके आप अपना रास्ता बदल ले ताकि हम लोग जिंदा रह पाए।”
चूहा की बात सुनकर सभी हाथी अपना रास्ता बदलने के लिए राजी हो गए और उन्होंने तय किया कि अब वह झील से पानी पीने के लिए लंबा वाला रास्ता चुनेंगे।
सबकुछ सही चल रहा था कि एक दिन हाथियों का झुंड शिकारियों द्वारा फैलाएं गए जाल में फंस गया । उन्होंने भागने की कोशिश की लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो पाए। चूहों को जब पता चला कि हाथी शिकारी के जाल में फंस गए हैं वह पूरी पलटन घटना स्थल परपहुंची।
सारे चूहों ने जल्दी-जल्दी रस्सी को चबाने लगे और थोड़ी ही देर में उन्होंने हाथियों को आजाद कर दिया। चूहो की मेहनत देखकर सभी हाथी खुश हो गए और उन्होंने सभी को धन्यवाद किया।
💡सीख: कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
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5. जैसे को तैसा
तारानगर में जीर्णधन नाम का एक लड़का रहता था। गांव में उसके पास कोई काम नहीं था तो धन कमाने के लिए उसने परदेश जाने की सोची। लेकिन परदेश जाने से पहले उसने अपने घर में पड़ी एक मन की भारी लोहे की तराजू को महाजन के पास गिरवी रख दिया।
कुछ महीनो के बाद जब जीर्णधन पैसे कमाकर लौटा तो, सबसे पहले वह महाजन के पास गया। महाजन से जब उसने अपनी धरोहर माँगी तो महाजन ने बताया कि उसकी तराजू चूहे खा गए। यह सुनकर वह समझ गया कि महाजन की नियत में खोट आ गई है।
जीर्णधन ने मन ही मन महाजन को सबक सिखाने की सोची, और बोला – “कोई बात नहीं, अब तराजू को चूहों ने खा लिया तो इसमें तुम्हारी क्या ग़लती”
अगले दिन वह फिर से महाजन की दुकान पर गया और बोला – “मैं गंगा नदी में नहाने के लिए जा रहा हूँ। बड़ा ही पुण्य का काम है, तुम चाहो तो अपने बेटे को मेरे साथ भेज दो? वह भी थोड़ा घूम आएगा”। महाजन ने अपने बेटे को उसके साथ भेज दिया
दोनों गांव से नदी की और निकले। थोड़ी दूर जाने के बाद जीर्णधन ने महाजन के बेटे को एक गुफा में कैद कर दिया। जब वह वापस आया तो महाजन ने पूछा – “मेरा बेटा कहाँ है? तो जीर्णधन ने कहा “उसे तो चील उठा कर ले गई”।
महाजन बैचेन हो गया और बोला – “ये कैसे संभव है? चील इतने बड़े व्यक्ती को कैसे उठा कर ले जा सकती है?”
ये सुनकर जीर्णधन बोला – “बिल्कुल वैसे ही जैसे मन भर भारी तराजू को चूहे खा गए”.
जीर्णधन की बात सुनकर महाजन को अपनी गलती पर पछतावा हुआ और उसने स्वीकार किया कि उसके मन में लालच आ गया था। इसी वजह से उसने झूठ बोला था कि तराजू को चूहे खा गए।
महाजन बोला – “मैं तुम्हें तुम्हारा तराजू वापस लौटा दूंगा, कृपया मेरे बेटे को मुझे लौटा दो”।
महाजन के गलती स्वीकार करने पर जीर्णधन ने उसे उसका बैटा वापस लौटा दिया। इस घटना के बाद महाजन ने कसम खा ली कि अब से वह किसी के साथ भी कोई घोटाला नहीं करेगा।
💡सीख: चालक व्यक्ति के साथ चालाकी से की पेश आना चाहिए।
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📌निष्कर्ष:
पंचतंत्र की कहानियां मनोरंजन के साथ-साथ आपके जीवन के महत्वपूर्ण व्यावहारिक ज्ञान और सामाजिक नैतिक मूल्यों की जानकारी देती है। यह कहानियां हमें सिखाती हैं, की कैसे ईमानदारी बुद्धिमानी और सरल जीवन से बड़ी-बड़ी सफलताओं को प्राप्त किया जा सकता है।
उम्मीद है पंचतंत्र की 5 कहानियां आपको और आपके बच्चों को पसंद आई होंगी। कहानियां मनोरम लगी हो, तो इसे अपने परिवार के बीच जरूर शेयर करें।
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❓FAQs: Panch Tantra Ki Kahani से जुड़े रोचक सवाल
Q.1 – पंचतंत्र किताब के लेखक कौन थे?
Ans – Panchantra उपन्यास आचार्य विष्णु शर्मा के द्वारा लिखा गया है।
Q.2 – पंचतंत्र की विशेषता क्या है?
Ans – पंचतंत्र की कहानियाँ जीवंत हैं, जिनमें लोकव्यवहार को बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया है। ये कहानियां बच्चों में नैतिक मूल्यों को जागृत करती हैं।
Q.3 – पंचतंत्र की सबसे अच्छी कहानी कौन सी है?
Ans – पंचतंत्र की बहुत ही कहानियां हैं जो बहुत ज्यादा फेमस हैं, जैसे – बातूनी कछुआ, हाथी और चूहा, नीला सियार, लालची कुत्ता आदि।
Q.4 – पंचतंत्र में कुल कितनी कहानियां हैं?
Ans – अलग –अलग स्त्रोत के अनुसार पंचतंत्र में करीब 365 कहानियां हैं।