नन्ही परी की कहानी: Nanhi Pari Ki Kahani

बहुत समय पहले लक्ष्मणगढ़ नाम का एक राज्य था। जहां के राजा बलवीर सिंह की दो रानियां थी। बड़ी रानी का नाम वैशाली था।  वह गुणों की धनी थी पर रूप रंग में सामान्य थी। छोटी रानी रूपा बहुत सुंदर थी, उसकी सुंदरता की चर्चा दूर दूर तक थी। इसी वजह से राजा अपनी छोटी रानी को बहुत प्यार करता था। 

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एक बार की बात है, किसी बात पर राजा अपनी बड़ी रानी से नाराज हो गए और बोले – “ तुम यहां से चली क्यों नहीं जाती हो, वैसे भी मुझे तुम्हारा ये चेहरा पसंद नहीं है”। राजा के कटु वचन सुनकर रानी दुखी हो गई, और वह महल छोड़कर जंगल की तरफ चली गई। 

जंगल में बड़ी रानी के साथ क्या हुआ? 

काफी दूर तक चलने के बाद बड़ी रानी को प्यास लगने लगी। थोड़ी ही दूरी पर उसे एक कुआं दिखाई दिया, जिसके पास एक पपीते का पेड़ था। रानी ने कुएं से पानी पिया और आराम करने के लिए पेड़ के नीचे बैठ गई। 

वैशाली मन ही मन सोचने लगी – “ आखिर मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई, जो महाराज ने मुझे घर से निकाल दिया। अगर में भी रूपवती होती तो मेरे साथ ऐसा न होता।” 

यह सोचकर वह रोने लगी। बड़ी रानी के रोने की आवाज सुनकर वहां पर एक नन्ही परी आई। नन्ही परी ने रानी से उसके रोने की वजह पूछी, तो रानी ने रोते हुए उसे अपनी सारी बात बता दी।

नन्ही परी ने की बड़ी रानी की मदद 

बड़ी रानी की बात सुनकर नन्ही परी ने बोली, “चिंता मत करो तुम्हारी इस समस्या को में अभी सुलझा देती हूं। तुम बस इस कुएं में तीन डुबकी लगाओ, पपीते के पेड़ से एक फल तोड़ लो। ऐसा करने से तुम भी रूपवान हो जाओगी। लेकिन हां ध्यान रखना, मैंने जितना बताया है सिर्फ उतना ही करना।” ऐसा कह कर नन्ही परी वहां से गायब से हो गई।

बड़ी रानी ने नन्हीं परी की बात मानते हुए ठीक वैसा ही किया। रानी ने कुएं में जैसे ही पहली डुबकी लगाई, तो रानी का रंग चमक उठा। दूसरी डुबकी में उनके बाल लंबे, घने और सुंदर हो गए। वहीं तीसरी डुबकी में उनका शरीर सुंदर कपड़े और जेवर से सज गया। कुएं से बाहर निकलने पर बड़ी रानी अब बहुत ही सुंदर लग रही थी। 

कुएं से निकलकर रानी अब पेड़ के पास गई, और एक पपीता तोड़ लिया। पपीता तोड़ते ही फूट गया और उसके सारे बीज सैनिक बन गए। सारे सैनिकों ने रानी के लिए एक पालकी तैयार की, और बड़ी रानी को बैठकर वापस राज महल ले गए। 

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राजा को हुआ अपनी गलती का अहसास 

बड़ी रानी को देखकर राजा चौक गया और बोल, “तुम इतनी सुंदर कैसे बन गई?” बड़ी रानी ने नन्ही परी वाली सारी घटना राजा को बता दी। अब राजा को अपनी हरकत पर पछतावा होने लगा। उन्होंने रानी से माफी मांगी और उन्हें वापस महल में रख लिया। 

अब राजा बड़ी रानी को प्यार और सम्मान दोनों देने लगे, जिसे देखकर छोटी रानी को जलन होने लगी। उसने राजा को बड़ी रानी से दूर करने की योजना बनाई। वह भी उस जंगल में चली गई, जहां नन्ही परी रहती थी। दरअसल जब बड़ी रानी राजा को नन्ही परी की घटना बता रही थी, तो छोटी रानी ने छुपकर ये सारी बातें सुन ली थी। 

अब छोटी रानी भी कुएं के पास बैठकर रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुनकर नन्ही परी वहां प्रकट हुई और उसने रानी से उसके रोने की वजह पूछी।

छोटी रानी ने नन्हीं परी को झूठ बोला कि बड़ी रानी के कहने पर राजा ने उसे महल से बाहर निकाल दिया है।

रानी की बात सुनकर नन्ही परी बोली –  “ अच्छा एक काम करो, तुम इस कुएं में  तीन बार डुबकी लगाओ। फिर  एक पपीता तोड़ लो, लेकिन ध्यान रहे न इससे ज्यादा करना और न इससे कम करना। ऐसा कह कर नन्ही परी वहां से गायब हो गई।

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छोटी रानी को मिला लालच का परिणाम 

छोटी परी ने वहीं किया जो नन्ही परी ने कहा था। तीन डुबकियों के बाद वह पहले से भी ज्यादा सुंदर हो गई थी। लेकिन अब छोटी रानी के मन में लालच आ गया। ज्यादा सुंदर दिखने के चक्कर में उसने दो डुबकियां और लगाई। लेकिन अब रानी सुंदर होने की जगह बदसूरत हो गई। उसके शरीर पर दाग और दाने निकल आए। 

छोटी रानी रोते हुए नदी से बाहर आई और पपीते के पेड़ से एक पपीता तोड़ा। पपीता तोड़ते ही वह फूट गया। उसमें से कुछ सैनिक निकले जो, छोटी रानी को महल में के गए। 

छोटी रानी को इस हालत में देख कर हर कोई हैरान था। बड़ी रानी से उनसे पूछा तो, छोटी रानी ने अपने लालच की पूरी कहानी उन्हें बता दी। यह सुनकर बड़ी रानी बोली –”सुंदरता तन की नहीं मन की होती है, अगर तुम्हारा मन सुंदर होता तो आज तुम्हारे साथ ऐसा नहीं हुआ होता।” 

सीख : लालच से बचे और कभी किसी का बुरा नहीं सोचे।

निष्कर्ष: 

नन्ही परी की कहानी पसंद आई हो तो हमारी अन्य कहानियां, जैसे तितली परी की कहानी और पंचतंत्र की कहानियां जरूर पढ़े। ये कहानियां आपको मनोरंजन की एक अनोखी दुनिया में ले जाएंगी। 

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