विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी: परीक्षा की घबराहट या सीख?

क्या आपने कभी सोचा है कि परीक्षा में असफल होना ही जिंदगी की असल हार है? क्या वाकई कमजोर विद्यार्थी कभी आगे नहीं बढ़ सकते?

विद्यार्थियों के जीवन जितना सरल दिखता है, उतना ही कठिन भी होता है। इस उम्र में बच्चे कई बार हतोत्साहित हो जाते है, ऐसे में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए आज हम विद्यार्थी के लिए  प्रेरणादायक कहानी लेकर आए है। 

इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है, जो आपको सोचने के लिए मजबूर कर देगी कि क्या जीवन की कोई भी परेशानी इतनी बड़ी हो सकती है? अब यह अनोखी सीख क्या है ये जानने के लिए कहानी को पूरा पढ़ें। 

गुरुजी की अनोखी सीख 

रवि, एक शिक्षक है, जो स्कूल में पढ़ाते है। एक बार कि बात है, परीक्षाओ के दिन चल रहे थे, ऐसे में बच्चे पढ़ाई में व्यस्त थे। एक दिन रोहन नाम का विद्यार्थी रवि के पास आया और बोला –”सर में परीक्षा परिणाम को लेकर परेशान हूं, मैने अपनी पूरी मेहनत की है, लेकिन आपको तो पता है कि मैं कितना कमजोर हूं। अगर में फैल हो गया तो मैं क्या करूंगा।” 

रवि ने रोहन को समझाकर शांत किया और घर भेज दिया। लेकिन बच्चों की परेशानी को हल करने की बात अभी भी रवि के मन में चल रही थी। वह बच्चों को समझाना चाहता था, की प्रकृति सभी को सामान अवसर देती है। अब उस अवसर का इस्तेमाल करके अपना भाग्य बनाना खुद उन्हीं के हाथ में है। 

तीन कटोरियों से दी जीवन की सबसे महंगी सीख 

विद्यार्थियों को यही सीख देने के लिए अगले दिन रवि तीन कटोरियों के साथ स्कूल पहुंचा। उसके हाथ में कटोरियां देखकर बच्चों ने पूछा – सर, आप ये क्यों लेकर आए हैं? 

रवि बोले, “चलो आज तुम्हे एक जादू दिखाता हूं।” यह कहकर वह बच्चों को लैब में ले गए। गुरूजी ने तीन कटोरे लिए। पहले कटोरे में एक आलू रखा, दूसरे में अंडा और तीसरे कटोरे में चाय की पत्ती डाल दी। 

अब उन्होंने एक बच्चे को बुलाया और कहा कि इन्हें छूकर बताओ इनकी प्रकृति किसी है। एक विद्यार्थी ने बताया कि आलू सख्त है, वहीं अंडा नाजुक है और चाय पत्ती दानेदार है, जिसका अभी कोई रंग नहीं है। इसके बाद रवि ने तीनों कटोरियों में पानी डालकर उन्हें गैस पर रख दिया। 

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आलू, अंडा और चाय देखकर हैरान हुए विद्यार्थी 

सभी विद्यार्थी यह देखकर हैरान थे, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके गुरुजी यह क्या कर रहे है। कम से कम 15 मिनट तक तीनों को। उबालने के बाद, रवि ने तीनों कटोरियों को नीचे उतार लिया। 

अब उन्होंने सभी विद्यार्थियों से तीनों कटोरियों को गौर से देखने के लिए कहा। रवि ने वापस उसी बच्चे को बुलाया और कहा कि तीनों (आलू, अंडा और चाय) को छूकर बताओ । विद्यार्थी ने आलू को हाथ लगाया तो पाया कि जो आलू पहले काफी कठोर वो अब काफी मुलायम हो गया है। 

अंडा, जो पहले बहुत नाज़ुक था  उबलने के बाद अब वह कठोर हो गया है। वहीं बात करें चाय की तो, गर्म पानी में मिलकर उसने अपना रंग बदल लिया था। “लेकिन इन सबका मतलब क्या है?” – विद्यार्थी ने पूछा। 

रवि (गुरुजी) ने सभी विद्यार्थियों को समझाते हुए कहा, “ ये तीनों अलग अलग चीजें थी, लेकिन जब इन्हें समान विपत्ति से गुजारा यानी कि समान रूप से पानी में उबाला तो यह पहले से भी ज्यादा अच्छे तरीके से लोगों के सामने निखर कर आई।

यही बात इंसानों पर भी लागू होती है। हम सभी को जिंदगी में विपत्तियों का सामना करना पड़ता है। अलग अलग परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। लेकिन यह पूरी तरह से आप पर निर्भर है की आप परेशानी का सामना कैसा करते हैं? और मुश्किल दौर से निकलने के बाद क्या बनते हैं। 

अपने गुरुजी की बात सुनकर सभी बच्चे समझ गए थे कि, विपत्तियों का सामना हिम्मत से किया जाता है। सभी ने तय किया कि अब से वो परीक्षाओं से डरेंगे नहीं बल्कि उनकी अच्छे से तैयारी करेंगे, ताकि वो अपने गुणों और क्षमताओं को पहचान सकें। 

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निष्कर्ष

बचपन में छोटे बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। Moral Stories बच्चो के कोमल मन में अच्छे विचार, अच्छे संस्कार और नैतिक भावनाएं पैदा करती है। ऐसे में अगर आपके बच्चे स्कूल में पढ़ते है, तो आज की ये कहानी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती है। अगर कहानी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। 

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