Horror Stories पढ़ने के शौकीन है, तो आज की ये मजेदार भूतिया कहानी आपके लिए ही है। इस कहानी में आपको हॉरर, सस्पेंस और हास्य रस तीनों एक। जगह देखने को मिलेंगे, तो चलिए लेकर चलते है, आपको एक भूत की कहानियों की अनोखी दुनिया में…
मनोहर हिमाचल प्रदेश के एक गांव में अपने परिवार के साथ रहा करता था। उसका गांव पहाड़ों में बसा हुआ था, ऐसे में कोई भी सामान लेने के लिए उसे नीचे की तरफ शहर में जाना होता था। एक दिन मनोहर समान लेकर शहर से लौट रहा था। रात होने को थी और जिस रास्ते से वह आ रहा था, वह अक्सर भूत या छलावा देखे जाने की बातें फेमस थी।
ऐसे में वह जल्दी जल्दी चल रहा था और मन ही मन वह सोच रहा था, “आज तो बहुत लेट हो गया, अंधेरा बढ़ता जा रहा है। कोई अनहोनी हो उससे पहले घर पहुंच जाऊं तो अच्छा होगा।
सुनसान रास्ते पर दिखी बारात
रास्ता पूरा सुनसान हो चुका था, लेकिन उसे तभी कहीं से रोशनी आती हुई दिखाई दी। उस धीमी सी रोशनी में कम से कम 20–25 लोग नाच रहे थे, ढोल बज रहे थे। ये देखकर पहले तो मनोहर चौका, “गांव में तो किसी की शादी नहीं है, फिर ये बारात कहा जा रही है? फिर उसने सोचा, “ शायद आगे वाले गांव में शादी होगी और ये बारात भी वहीं जा रही होगी । वैसे भी इतने अंधेरे में अकेले जाने से तो अच्छा है, इनके साथ ही निकल जाऊं। यह सोचकर वह बारात की भीड़ में इकट्ठा हो गया।
मनोहर बारात में लोगों को देख ही रहा था कि तभी उसकी नजर एक बुजुर्ग व्यक्ति पर पड़ी। यह उनके गांव के मुखिया रामनाथ के पिता दीनानाथ थे, जिनकी कुछ दिनों पहले ही मृत्यु हो गई थी। बारात में उन्हें देखकर मनोहर पूरी तरह से डर गया।
दीनानाथ ने जब मनोहर को देखा, तो उसने इशारे से अपने पास बुलाया और चौंकते हुए बोला – “तुम यहां क्या कर रहे हो, ये कोई मामूली बारात नहीं है, भूतों की बारात है। इस बारात में सभी भूत है, अगर उन्होंने तुम्हे देख लिया तो ये तुम्हें मार देंगे।”
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भूतिया बारात से कैसे निकला मनोहर
यह सुनकर मनोहर ने बताया कि वो गलती से यह आ गया है। यह सुनकर दीनानाथ बोला – “अच्छा ठीक है, अब मैं तुमसे जैसा कहूं वैसा ही करना। कोशिश करना की तुम इनसे बात न करो और हां याद रखना ये तुम्हे खाने को देंगे तो गलती से भी उसे खाना मत, और नजरबचाके वहांसे निकल जाना।”
मनोहन ने उनकी हां में हां मिलाया और चुपचाप बारात के पीछे–पीछे चलने लगा। थोड़ी देर के बाद बारात एक जगह पर रुकी, और सभी लोग एक पंगत में बैठ गए। थोड़ी देर में खाना आना शुरू हुआ।
खुशबू से खाना बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा था। एक बार को तो मनोहर का मन हुआ कि वह उसे खा ले, लेकिन तभी उसे दीनानाथ काका की बात याद आ गई। उसने नजर बचाकर वो सारा खाना अपने झोले में डाल लिया, और पास बैठे सभी लोगों को जताया कि, उसने सारा खाना खा लिया।
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खाना खाने के बाद सभी नाचने लगे। मनोहर चुपचाप नजर बचाकर वहां से भाग गया। वह जब तक भागता रहा, तब तक वह अपने गांव नहीं पहुंचा। घर पहुंचते पहुंचते उसे सुबह हो गई थी। गांव के बुजुर्ग गांव में टहलने के लिए निकले हुए थे। उन्होंने मनोहर को इस हालत ने देखा तो पूछा – अरे मनोहर बेटा, कहां से भागे चले आ रहे हो?
उसने उन बुजुर्गों को सारी बात बताई, कि कैसे वो भूतों की बारात में पहुंचा और दीनानाथ काका की वजह से वो वहां से जिंदा निकल पाया। यह सुनकर बुजुर्गों ने बताया कि उस इलाके में सालों से “भूतों की बारात” निकलने की कहानियां सुनी जाती रही हैं, और बहुत कम लोग ही हैं जो उसे देखकर वापस लौट पाए हैं। मनोहर उन सौभाग्यशाली लोगों में से एक था। इस दिन के बाद मनोहर हमेशा सूर्यास्त से पहले ही अपने काम निपटा कर गांव आ जाता।
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