Long Story In Hindi With Moral PDF: गांव से मिली सीख ने बदल दी ज़िंदगी

Long Story In Hindi में आज हम आपको सुनाएंगे विवेक की कहानी, जो शहर में विलेज रेस्टोरेंट खोल कर लाखों रुपए कमा रहा है। एक समय था, जब उसे गांव के नाम से भी चिढ़ होती थी। लेकिन फिर अचानक उसके साथ ऐसा क्या हुआ जो वो गांव को ही शहर में ले आया। जानने के लिए कहानी को पूरा जरूर पढ़े….

विवेक सुबह की फ्लाइट लेकर अहमदाबाद के लिए निकला। लेकिन अचानक उसकी फ्लाइट में कोई कमी आ गई और एक गांव में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी। यह गांव था जूनागढ़। पायलट ने सभी सवारियों से कहा, “फ्लाइट को ठीक होने में चार घंटे लगेंगे, तो जब तक आप सभी यहीं आस पास आराम कर लीजिए।” 

इस गांव में आठ घंटे बिताने की बात सुनकर सभी के पसीने छूट गए। गर्मियों का महीना था, और रनवे के आस पास न तो कोई पेड़ था और न ही तालाब। गांव में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही थी। लेकिन फिर सभी लोगों ने टैंट लगाए और विमान के सही होने का इंतजार करने लगे।

गांव की गर्मी से परेशान हुआ विवेक 

विवेक ने सोचा आठ घंटे टेंट में बिताने से तो अच्छा है, गांव में ही घूम आऊं। यह सोचकर वह गांव की ओर निकल गया। गांव में बहुत तेज़ गर्म हवा चल रही थी। ऐसे में उसे बहुत तेज प्यास लगने लगी। विवेक को एक ठेला दिखाई दिया, वह वहां गया और बोला, “अरे यहां आस पास कोई दुकान नहीं है, जिसपर कोल्डड्रिंक मिल जाए गर्मी से मेरा गला सूख रहा है”। 

यह सुनकर ठेले वाला बोला, “अरे बाबूजी, लगता है पहली बार इस गांव में आए हो। यहां कोल्ड्रिंक्स वगैरा नहीं मिलती है। गर्मी भागने के लिए गांव के सभी लोग, ये बील का जूस पीते हैं। आपको गर्मी लग रही है, तो आप भी यह पी लीजिए।” 

विवेक के पास अब कोई और रास्ता नहीं था, तो उसने ठेले वाले की बात मानकर बील का जूस पी लिया। पहले तो उसे इसका स्वाद कुछ अजीब सा लगा, लेकिन जैसे ही ठंडा-ठंडा रस उसकी सूखी हुई गर्दन से नीचे उतरा, उसे कुछ राहत महसूस हुई।

अब गर्मी से राहत पाने के लिए वह आगे बढ़ा। उसने देखा कि गांव के बच्चे हैंडपंप के पास खेल रहे है, एक दूसरे पर पानी फेंक रहे है। थोड़ी ही देर में पानी विवेक के ऊपर भी आकर गिरा, पानी बहुत ही ठंडा था। पानी की वजह से वह गीला हो गया और सोचने लगा, जाने कहां फंस गया हूं इस गांव में तो कुछ भी नहीं है। बस गर्मी ही गर्मी है।”

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फ्लाइट हुई मिस 

थोड़ा आगे चलने के बाद विवके को एक बरगद का पेड़ दिखाई दिया। पेड़ के नीचे बैठकर उसे गर्मी से आराम मिला। पेड़ की शीतल छाया में कब उसकी आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला। कुछ घंटों के बाद एक जोरदार आवाज से विवेक की नींद खुली। उसने आसमान की तरफ देखा तो फ्लाइट जा चुकी थी, और वो गांव में ही रह गया। 

हड़बड़ाहट में वह फ्लाइट वाली जगह पर गया, लेकिन उसे वहां कुछ नहीं मिला। आसपास किसी से संपर्क करने का कोई जरिया नहीं था। कोई टावर नहीं, कोई इंटरनेट नहीं। इस गांव में एयरपोर्ट जैसा कुछ था नहीं, बस एक अस्थायी हेलीपैड-नुमा रनवे था। विवेक अब घबरा गया, उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? 

गांव वालों ने की मदद 

तभी विवेक को एक बूढ़े व्यक्ति मिले जो काफी समय से उसे देख रहे थे। उस व्यक्ति ने विवेक से कहा, “बेटा, चिंता मत करो हमारे साथ गांव में चलो। जब तक दूसरी फ्लाइट नहीं आती तुम यहां रह सकते हो। हमारे पास एक गेस्ट हाउस भी है तुम वहां रुक जाना। 

विवेक के पास और कोई रास्ता नहीं था, तो वह उनके साथ चल दिया। वह बूढ़ा व्यक्ति उसे मिट्टी के घर में ले गया, जिसे एक व्यक्ति गोबर से लीप रहा था। गोबर की बदबू से विवेक का दिमाग चकरा गया और बोला, “क्या आप मुझे इस गोबर के घर में ठहराएंगे। इसकी बदबू से तो मेरा सारा मूड ही खराब हो गया है।

बूढ़ा व्यक्ति बोला, “अरे बेटा यह घर को ठंडा करने के लिए है, थोड़ी देर में इसकी बदबू गायब हो जाएगी।”

उस व्यक्ति ने विवेक को एक खाट पर बिठाया, और अपनी बहु से उसके लिए कुछ ठंडा खाना लाने को कहा। थोड़ी ही देर में बहु एक गिलास सत्तू ले आई, जिसका टेस्ट विवेक को बहुत पसंद आया। खाना खाने के बाद विवेक मिट्टी के घर में चला गया। घर में पंखा नहीं था, क्योंकि गांव में लाइट सिर्फ सुबह और शाम को ही आती थी। 

ऐसे में थकान के मारे विवेक खाट पर लेट गया। खिड़की से ठंडी हवा अंदर आ रही थी, थोड़ी ही देर में कमरा थानेदारों गया और उसे नींद आ गई। रात को जब विवेक उठा तो उसने देखा कि घर में AC जैसी ठंडक हो रही है। ये अब मिट्टी के घर और पेड़ो की ठंडी हवा की वजह से था। आज विवेक को बहुत ही चैन की नींद आई।

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विवेक को भाया गांव का परिवेश 

अगले दिन गांव वालों ने विवेक को गर्मी से बचने के नए नए तरीके बताए। उसे पान, सत्तू, बील का जूस, छाछ, राबड़ी आदि खिलाई, जो विवेक को बहुत ही ज्यादा पसंद आई। विवेक यह देखकर बहुत खुश था कि गांव के लोगो के पास गर्मी से बचने के कितने सारे तरीके हैं। 

धीरे-धीरे उसे गांव वालों की सादगी, अपनापन और मेहमाननवाज़ी रास आने लगी। विवेक ने गांव वालों से पूछा, “क्या यहां आस पास कोई टेलीफोन बूथ है, जा से में अपने दोस्त से बात के सकूं।”

एक गांव वाले से बताया, “बाबूजी गांव के बाहर एक परचूनी की दुकान है, उसके पास टेलीफोन है। पर आपकी शुभ जल्दी जाना होगा 10 बजे तक ही गांव में लाइट आती है, उसके बाद सीधा रात को लाइट आयेगी।” यह सुनकर विवेक सीधा उस दुकान पर गया और अपने दोस्त मनीष को फोन लगाया। 

विवेक बोला, “यार मैं एक गांव में फंस गया हूं, तू जल्दी से अपनी गाड़ी लेकर मुझे लेने आजा।” मनीष दूसरे दिन ही विवेक के पास आ गया, और उसे शहर ले गया। 

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शहर में खोला विलेज रेस्टोरेंट 

गांव से आने के बाद कंक्रीट के घर में विवेक को गर्मी लगने लगी, उसे गांव के मिट्टी के घर की ठंडी हवा बहुत याद आती। थोड़े दिनों में विवेक को एक जबरदस्त आइडिया आया। उसने बैंक से लोन लिया और एक विलेज रेस्टोरेंट खोला। जिसमें मिट्टी के घर बने हुए थे, जिन्हें गोबर से लीपा गया था। घरों के फर्श भी मिटी के थे। इस रेस्टोरेंट में बहुत सारे पेड़ भी लगाए गए, ताकि नेचुरल ठंडक बनी रहे। 

इस विलेज रेस्टोरेंट में आने वाले सभी मेहमानों के लिए खाटों पर बैठने की जगह बनाई गई , देसी लोटों में सत्तू और बील का जूस परोसा गया, और हर वीकेंड पर लोकगीतों की महफिल सजाई गई।

देखते ही देखते यह रेस्टोरेंट बहुत ज्यादा मशहूर हो गया। अब शहर में भी लोगों को गांव का आनंद मिलने लगा और विवेक को एक कमाई का अच्छा जरिया मिल गया। अंत में फ्लाइट छूटना विवेक की जिंदगी की सबसे बड़ी उड़ान साबित हुई। 

सीख : 

जीवन में जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। 

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