पुराने समय की बात है, सुंदरवन जंगल के पास रामगढ़ नाम का एक गांव हुआ करता था। जहां रामू नाम का गरीब लकड़हारा रहा करता था । वह रोज जंगल में लकड़ी काटने जाता और शाम को काटी हुई लकड़ियों को बाजार में बेचकर घर चला जाता । इस तरह से वह अपने बच्चें और बीबी का लालन पोषण कर रहा था। जगंल में एक नदी भी थी, जिसके आस-पास काफी सारे पेड़ थे। लेकिन कोई भी वहां लकड़ी काटने नहीं जाता था। लोगों का कहना था, कि उस नदी में कोई भूत रहता है, जो सभी चीजों को निगल जाता ह। एक दिन रामू उसी नदी के किनारे से सटे पेड की लकड़ियां काट रहा था, तभी अचानक उसके हाथ से उसकी कुल्हाडी छूटकर पानी में गिर गई।
क्या रामू की कुल्हाड़ी को निगल जाएगी नदी ?
रामू के पास सिर्फ एक ही कुल्हाडी थी, तो वो तुरंत नदी में कूद गया और अपनी कुल्हाडी ढूंढने लगा । काफी देर तक नदी में कुल्हाडी ढूंढने के बाद भी जब रामू को वो नहीं मिली तो उसे लगा की उसकी कुल्हाड़ी नदी का भूत निगल गया है । यह सोचकर रामू जोर-जोर से रोने लगा। रामू ये सोच-सोच कर परेशान हो रहा था कि अब वो क्या करेगा,? क्योंकि जिस लकड़ी से वो अपने परिवार का पेट पाल रहा था, वो नदी में गिर गई हैं और उसके पास दूसरी कुल्हाडी खरीदने के पैसे भी नहीं हैं ।
रामू की रोने की आवाज़ सुनकर अचानक नदी से एक आवाज आई – “तुम रो क्यों रहे हो?”
ये सुनकर रामू डर गया! उसे लगा कि अब नदी का भूत उसे भी नहीं छोड़ेगा! लेकिन फिर दोबारा आवाज आई – “डरो मत, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।”
रामू ने डरते-डरते पूछा – “तुम कौन हो?”
आवाज आई – “मैं नदी का देवता हूँ, बताओ क्या परेशानी है?”
ये बात सुनकर रामू ने कहा – मेरे पास एक ही कुल्हाडी थी, वो भी नदी में गिर गई हैं। अब में लकड़ी कैसे काटूंगा और अपने परिवार का पेट कैसे भरुंगा। यह कहकर रामू लकड़हारा जोर-जोर से रोने लगा।
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आखिर नदी में कौन था, जिसने रामू को आवाज लगाई ?

रामू की बात सुनकर नदी से एक व्यक्ति प्रकट हुआ, जिसने बहुत से गहने पहने हुए थे, और उसके हाथ में एक सोने की कुल्हाडी थी। वह कुल्हाडी रामू को दिखाते हुए उस व्यक्ति ने कहा कि क्या ये है तुम्हारी कुल्हाडी। सोने की कुल्हाडी देखकर रामू बोला – नहीं ये मेरी कुल्हाडी नहीं है। नदी के देवता ने फिर ने नदी में डुबकी लगाई। इस बार उसके हाथ में चांदी की कुल्हाडी थी और उसने फिर से वहीं बात पूछी। रामू ने इस बार भी उस कुल्हाडी को अपना कहने से मना कर दिया। नदी के देवता ने अब तीसरी बार नदी में डुबकी लगाई और इस बार वो लोहे की कुल्हाडी लेकर बाहर निकले।
कुल्हाडी देखकर रामू बहुत ही खुद हो गया, क्योंकि ये उसी की कुल्हाडी थी। कुल्हाड़ी को देखकर रामू बोला – हां यही मेरी कुल्हाडी है। कृप्या इसे मुझे दे दो।
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ईमानदारी का इनाम 🎁
रामू की ईमानदारी देखकर नदी का देवता बहुत ज्यादा खुश हुआ। उसने रामू को लोहे की कुल्हाडी के साथ – साथ सोने और चांदी की कुल्हाडी भी गिफ्ट कर दी। तीनों कुल्हाडी पाकर रामू बहुत ज्यादा खुश हो गया और खुशी-खुशी अपने घर चला गया।
सीख 🌟
ईमानदारी से हमेशा आपका ही फायदा होता है।
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