गीदड़ और ऊंट की कहानी: पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानी

एक समय की बात है, एक गांव के पास जंगल में एक गीदड़ रहा करता था। खाने की तलाश में अक्सर वह गांव में आ जाया करता था, लेकिन वहां उसे मुश्किल से ही कुछ खाने को मिल पाता था। एक दिन उसकी मुलाकात गांव के एक ऊंट से हुई। ऊंट देखने में काफी हष्ट पुष्ट और सुंदर था । 

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ऊंट को देखकर गीदड़ ने पूछा – “क्यों भाई तुम बहुत मोटे – ताजे हो, तुम्हारी सेहत कर राज क्या है?” गीदड़ की बात सुनकर ऊंट बोला – “अरे भाई बस चल रहा है, पूरे दिन इधर उधर घूम कर पेट भर ही लेता हूं।” 

धीरे–धीरे दोनों रोजाना मिलने लगे, और अब उनकी दोस्ती हो गई। दोनों पूरे दिन गांव के बाहर नीम के पेड़ के नीचे बैठ कर गप्पे लड़ाते, ओर रात में खाना तलाशने अलग – अलग रास्ते पर निकल जाते। 

ऊंट ने गीदड़ को बताई राज की बात 

एक दिन ऊंट ने गीदड़ को बताया कि वह रोज रात को  गांव के खेत में जाता है, और वहां से सब्जियां चुरा कर खाता है। ऊंट की बात सुनकर गीदड़ चौका और बोला – “तुम ऐसा करते हो, क्या तुम्हें डर नहीं लगता है?” 

ये सुनकर ऊंट बोला – डर तो लगता है लेकिन पेट के लिए तो ऐसा करना ही पड़ता है, लेकिन हां मैं इस बात का बहुत ध्यान रखता हूं कि मुझे न देख पाए। 

ऊंट की बात सुनकर गीदड़ ने सोचा है “अगर मेरा दोस्त इतना खुश है तो क्यों न एक बार मैं भी उसके साथ चलूं और देखूं।” इसी बहाने मेरा भी पेट भर जाएगा। ये सोचकर गीदड़ ने कहा – “मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं, क्या तुम आज रात अपने साथ ले चलोगे। मैं वादा करता हूं कि मैं तुम्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं करूंगा।

ऊंट ने सोचा कि अब तो ये मेरा दोस्त बन गया है, तो मैं इसपर भरोसा कर सकता हूं और वैसे भी जंगल के पास वाले खेत में तरबूज की खेती हो रही है, तो आज रात वो खाने में मजा भी आएगा। 

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तरबूज का मजा लेने खेतों में पहुंचे ऊंट और गीदड़ 

दोनों ने मिलकर योजना बनाई और रात के समय खेतों की ओर निकल पड़े। ऊंट ने गीदड़ से कहा – देखो मैं तुम्हें तरबूज खाने के लिए लेकर तो चल रहा हूं, लेकिन ध्यान रखना, हमें बिल्कुल शोर नहीं करना है, क्योंकि अगर हम शोर करते हैं तो किसान हमें देख लेगा और हमारी पिटाई कर देगा।

गीदड़ ने अपना सिर हां में हिलाया और दोनों खेतों में घुस गए। ऊंट और गीदड़ दोनों ने पेट भरकर तरबूज खाए। गीदड़ ने ऊंट से कहा – “अरे भाई इतने दिनों बाद पेट भर के खाना खाया है। अब तो मेरा गाना गाने का मन कर रहा है। 

ऊंट ने कहा – अरे यहां गाना मत गाना, अभी हम थोड़ा दूर निकल लेते हैं तब गाना गाएंगे। पर गीदड़ ने ऊंट की एक भी ना सुनी और अपनी बेसुरी आवाज में गाना गाना शुरू कर दिया। 

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किसानों ने दोनों को सिखाया सबक 

गीदड़ की आवाज सुनकर किसान को पता चल गया, कि उसके खेतों में कोई जानवर घुस गया है। किसान अपने बाकी साथियों को लेकर खेतों में आ गया और उन्होंने ऊंट और गीदड़ की जमकर पिटाई कर दी। 

इस दिन के बाद ऊंट ने गीदड़ का साथ छोड़ दिया और उसने खेतों में जाना बंद कर दिया और जंगल में ही खाने की तलाश करना शुरू कर दिया। 

सीख: 

  • बिना सोचे समझे किसी पर भी इतना जल्दी भरोसा न करें। 
  • किसी की मेहनत का फायदा उठाना गलत है।

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