गरीब किसान की कहानी: Garib Kisan Ki Kahani

एक समय की बात है, रामगढ़ गांव में नीलेश नाम का एक गरीब किसान अपनी पत्नी और एक बच्चे के साथ रहता था। खेती करने के लिए उसके पास थोड़ी सी जमीन और दो बैलों का जोड़ा था। जैसे तैसे खेती से उसका गुजारा चल रहा रहा था, की एक दिन अचानक उसके एक बैल की मृत्यु हो गई। इससे नीलेश के परिवार पर भारी मुसीबत आ गई। दूसरा बैल काफी बूढ़ा था, ऐसे में एक बैल से खेत जोतना काफी मुश्किल था। 

बिना बैल के कैसे होगी खेती? 

बुवाई के दिन चल रहे थे, और नीलेश ये सोच सोच कर परेशान था, की अब वह क्या करेगा?, वह अपने परिवार का पेट कैसे पालेगा? वह यह सोच ही रहा था, की तभी उसकी पत्नी उमा उसके पास आई और रोते हुए बोली – “ अजी हमारा एक बैल तो मर गया है, और दूसरा बूढ़ा हो चुका है। उससे अकेले हल नहीं चलेगा । आपकी भी तबियत इतनी ठीक नहीं रहती कि आप खेतों में पहले जितनी मेहनत कर सकें। अब हम क्या करेंगे।” 

पत्नी की बात सुनकर नीलेश बोला –”मैं भी यही सोचकर परेशान हूं कि अब खेती कैसे होगी। पहले से ही मुझ पर इतना कर्ज है कि, अब मैं दूसरा बैल खरीदने के लिए किसी से उधार भी नहीं मांग सकता। अब तो भगवान ही मुझ गरीब किसान की कहानी को बदल सकता है।” 

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गरीब किसान के बेटे ने लगाई भगवान से गुहार 

नीलेश का बेटा यह सब सुन रहा था। माता पिता को परेशान देखकर वह मंदिर गया, और भगवान शंकर की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर रोते हुए बोला –

“महादेव! मेरे बाबा बहुत दुखी हैं। आप तो सबके दुख दूर करते हो, मेरे बाबा का दुख भी दूर कर दो।”

इतने छोटे बच्चे को मंदिर में देखकर वहां के पुजारी ने पूछा, “बेटा, क्यों रो रहे हो? क्या हुआ?” बच्चे ने सारा हाल पुजारी को बताया। पुजारी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा – “ चिंता मत करो बेटा, भगवान हमेशा उनकी मदद करते हैं जो मेहनत और सच्चाई से जीवन जीते हैं। तुम्हारी समस्या का भी हल जरूर निकलेगा।”

बच्चा मंदिर से घर जाने लगा तभी रास्ते में उसे एक साधु दिखाई दिया। उसके साथ एक बैल भी था। साधु ने बच्चे से पूछा, “मेरा बेल काफी प्यासा है क्या यहां आस पास कोई तालाब या नदी है, जहां में इसकी प्यास बुझा सकूं?”

बच्चा बोला –” आस पास तो कोई नदी नहीं है, आप चाहें तो मेरे घर चल सकते है, थोड़ी ही दूरी पर मेरा घर है”। साधु बच्चे के साथ उसके घर चलने को राजी हो गए। घर पहुंच कर बच्चे ने अपनी मां को आवाज दी, उस समय उसके पिता खेतों में गए हुए थे। 

बच्चे की मां ने बैल के लिए पानी और चारे की व्यवस्था की, साथ ही साधु के लिए भी घर में पड़े सामान से खाने को बना दिया। उमा की सेवा देखकर साधु बहुत ही खुश हुए, इतनी ही देर में नीलेश भी खेतों से आ गया। उसने साधु को प्रणाम किया और आशीर्वाद लिया। 

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सेवा से खुश होकर साधु ने दिया बैल 

किसान के परिवार की सेवा से साधु काफी खुश हुए और बोले, “मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हुआ, मैं चाहता हूं कि थोड़े दिन के लिए तुम मेरे बैल को अपने पास रख लो, यात्रा के दौरान जब में यहां से वापस गुजरूंगा तो मैं इसे ले जाऊंगा।” 

साधु का बैल काफी हट्टा कट्टा था। पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन बाद में वो साधु की अमानत समझकर उसे रखने के लिए तैयार हो गए। अगले दिन नीलेश अपने बैल को लेकर खेत में गया, उसने खेत जोतने की कोशिश की लेकिन हल आगे बढ़ ही नहीं पा रहा था। इतने में ही साधु का बैल वहां आ गया, और हल को छेड़ने लगा। ऐसा लग रहा था, मानो वो कह रहा हो की इस हल को मेरी कमर पर रख दो। 

नीलेश ने हल को बैल के कंधों पर रख दिया। उस बैल ने अकेले की खेत जोतना शुरू कर दिया, और पूरे दिन का काम मात्र कुछ घंटों में कर दिया। यह देखकर नीलेश बहुत खुश हो गया। उसने तुरंत खेतों में बीज बो दिए। 

घर आकर उसने ये बात अपनी पत्नी उमा को बताई। उमा बहुत ही खुश हुई और बोली – “यह साधु महाराज का आशीर्वाद है, हम इस बैल की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे”। उस साल बारिश काफी अच्छी हुई थी, ऐसे में नीलेश के खेतों में भी फसल अच्छी हुई, और उसे खेती में काफी मुनाफा हुआ। 

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बैल पाकर बदले किसान के हालत 

धीरे–धीरे साल गुजरने लगे नीलेश और बैल की मेहनत से किसान के घर में अच्छी बरकत होने लगी। देखते देखते नीलेश का सारा कर्ज उतर गया, उसका बेटा भी अब काफी बड़ा हो चुका था। 

एक दिन नीलेश का बेटा बैल को चारा देने के लिए बाहर आया, तो उसने देखा कि साधु का बैल बाहर नहीं था, उसने सारे गांव में उसे ढूंढा लेकिन वह उसे नहीं मिला। वह अपने पिता के पास गया और बोला – “पिताजी, साधु महाराज का बैल कहीं नहीं मिल रहा है, अब जब वो वापस आयेंगे तो हम उन्हें क्या जवाब देंगे।” 

नीलेश बोला – “चिंता मत करो भगवान ने विपत्ति के समय उस बैल को हमारी मदद के लिए भेजा था। अब हम इस लायक हो चुके हैं की हम एक नया बैल का जोड़ा खरीद सके। भगवान चाहते हैं की अब हम अपनी मेहनत से खेती करे।” 

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मेहनत का हाथ पकड़ आगे बढ़ा नीलेश और उसका बेटा 

नीलेश के ऐसा कहने के बाद उसे और उसके बेटे को अपने सिर पर एक हाथ महसूस हुआ, जैसे खुद महादेव उन्हें आशीर्वाद दे रहे हों। इसके बाद दोनों बाप बेटे खेतों में मेहनत करने लगे और धीरे धीरे उनकी संपत्ति बढ़ने लगी। 

इस कहानी में एक गरीब किसान की मेहनत, लगन और ईश्वर के प्रति उसकी भक्ति को मनोरंजक तरीके से दर्शाया गया है। उम्मीद है, गरीब किसान की कहानी आपको पसंद आई होगी। अगर कहानी अच्छी लहरों, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

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