ये कहानी है रमानाथ और उसके पालतू कुत्ते शेरू की, जिसमें न तो कोई भाषा थी और न ही कोई वचन। लेकिन फिर भी एक कुत्ता अपने मालिक के लिए वो कर गया, जो उसके आगे बच्चे भी न कर पाए। शेरू और रमानाथ की कहानी जानने के लिए हमारी आज की “Emotional Story In Hindi” जरूर पढ़ें…
रमानाथ बहुत ही बूढ़ा हो चुका था। गांव में न तो उसका कोई परिवार था और न ही कोई खास दोस्त। उसकी बीवी दस साल पहले ही गुजर गई थी और उसके बच्चे विदेश पढ़ने गए थे, लेकिन अब वो वहीं बस चुके थे।
रमानाथ के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, उसके बच्चे विदेश से उसे पैसे भेजा करते थे, वहीं थोड़े बहुत पैसे वो अपने गाँव की जमीन को पट्टे पर देकर काम लेता था। पर उसके पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसे वो अपना कह सके। हां, गांव में उसके थोड़े बहुत दोस्त थे जिनके साथ वो हसीं ठिठोली किया करते था ।
रमानाथ को मिला अकेलेपन का साथी
एक बार की बात है। सर्दियों के दिन थे, रमानाथ चौपाल से अपने घर की और आ रहा था, की तभी अचानक उसकी नजर एक आवारा कुत्ते पर पड़ी। वह कुत्ता सर्दी के मारे ठिठुर रहा था। कुत्ते ने रमानाथ को बहुत ही उम्मीद भरी निगाह से देखा और कुं–कुं करने लगा।
रमानाथ से उसकी ये दशा देखी नहीं गई और वो उसे अपने घर ले गया। रमानाथ ने उसे खाने को कुछ बिस्कुट और दूध दिया और एक गर्म कपड़ा भी जिसमें वो आराम से सो सके। अगले दिन जब उसने कुत्ते को देखा तो, उसकी हालत काफी ठीक थी।
वह कुत्ता अब रमानाथ के साथ ही रहने लगा। रमानाथ जहां भी जाता वह उसके पीछे पीछे चलता, मानो जैसे वह उसकी रक्षा कर रहा हो। कुत्ते के इस लाड प्यार को देखकर उसने उसे पालने का निश्चय किया, और प्यार से उसका नाम भी रख दिया शेरू।
शेरू हर सुबह रामनाथ के साथ मंदिर जाता, बाज़ार जाता, और रात को उसके पैरों के पास सो जाता। वक़्त बीतता गया, रामनाथ और शेरू की दोस्ती समय के साथ और भी गहरी हो गई।
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अंतिम समय में भी साथ ना छोड़ा
एक दिन रमानाथ की तबियत काफी ज्यादा खराब हो गई, पूरे दिन वह बिस्तर से उठ नहीं पाया। कई घंटे बीत गए, शेरू कुछ समझ नहीं पा रहा था, की वह क्या करे। शेरू कभी रमानाथ के पास जाकर भौंकता, कभी दरवाजे की ओर दौड़ता, शायद वह मदद मांगने की कोशिश कर रहा था।
सुबह से शाम ही गई, लेकिन रमानाथ अपने बिस्तर से नहीं उठ पाया। इस बीच शेरू पूरा समय उसके पास ही बैठा था। रमानाथ ने शेरू को अपने पास बुलाया और धीरे से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – “लगता है दोस्त की मेरा समय आगया है, शायद अब मैं कभी नहीं उठ पाऊं। तुम अपना ध्यान रखना” ।
शेरू रामनाथ को यूं देख रहा था कि मानो उसे उसकी सारी बातें समझ आ रही हों, और वह से कहना चाहता हो कि – “नहीं मैं आपको इस तरह से नहीं जाने दूंगा।”
शेरू उसकी छाती पर वहीं सिर रखकर चुपचाप लेट गया। जब अगली सुबह लोगों ने देखा कि दो दिन से रमानाथ घर से बाहर नहीं आया है, तो मोहल्ले वाले उसके घर आए। घर में आकर हर कोई चौंक गया, क्योंकि रमानाथ की साँसें थम चुकी थीं।
पर हैरानी की बात ये थी… शेरू भी उसके सीने पर बिल्कुल शांत पड़ा था…जब लोगों ने उसे उठाने की कोशिश की तो उन्होंने देखा कि कुत्ते की सबसे सांसे भी बंद हो गई हैं।
गांव वालों ने मिलकर रमानाथ का अंतिम संस्कार किया, और शेरू को भी भी पास में दफना दिया गया। कुत्ते की याद में एक कब्र बनाई गई, जहां रमानाथ और शेरू को फोटो भी लगाई गई। आज भी लोग उस जगह को कुत्ते ओर इंसान के अटूट प्रेम की मिसाल के तौर पर देखते हैं।
सीख:
- प्यार और वफ़ादारी खून या जुबान से नहीं, दिल से होती है।
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