प्रेमचंद की दो बैलों की कथा: हीरा और मोती की भावुक कहानी

दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है। इस कहानी में प्रेमचंद्र ने एक किसान और उसके दो बैलों के बीच प्रेम को प्रकट किया है। यहां आपको दोनों बैल अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई देंगे।

यह एक बड़ी कहानी है, लेकिन यहां हम प्रेमचंद द्वारा रचित “दो बैलों की कथा” (do bailon ki katha) को छोटे और रोचक रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास करेंगे। तो चलिए पढ़ना शुरू करते हैं….

झुरी के पास दो बैल थे, जिनका नाम हीरा और मोती था। दोनों बैल बहुत ही हट्टे – कट्टे और आकर्षक थे, काम करने में भी वो बहुत ही फुर्तीले थे। काफी समय से साथ रहते रहते हीरा और मोती अच्छे दोस्त बन गए थे, वो एक ही नाद से चारा खाते ओर एक ही होद से पानी पीते। 

झुरी ने भी बड़े प्यार से उन्हें पाला था, लेकिन उसकी पत्नी को अक्सर उनपर गुस्सा आता था। उसे लगता था कि वे कामचोर है, इसलिए वह कभी कभी उन्हें बिना चोकर का भूसा दिया करती थी। पर दोनों बैल झुरी के प्रेम के चलते भोजन खा लिया करते थे। 

मालिक से अलग हुए हीरा मोती 

एक बार झुरी को अपने दोनों बैलों को किसी कारणवश अपने साले गया को देना पड़ा। गया जब मोती और हीरा को अपने गांव लेकर जाता है, तो दोनों बैलों के मन में एक ही बात चल रही थी – “ना जाने हमारी सेवा में क्या कमी रह गई थी, जो मालिक ने हमें इस आदमी को बेच दिया”। अपने आप को यूं बेचा जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। ऐसे में उन्होंने रास्ते में झूरी के साले गया को बहुत परेशान किया। कभी एक दाएं भागता तो कभी एक बाएं। गया जब पगहिया पकड़ कर खींचता तो दोनों पीछे की ओर जोर लगाते। वह उन्हें मारता तो दोनों सींगे नीची करके हुंकारते। 

भगवान ने उन्हें वाणी दी होती तो हीरा और मोती जरूर झूरी से पूछते- “हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं रखी। अगर इतनी मेहनत से काम न चलता था, और काम ले लेते। लेकिन हमें यूं किसी और को तो न बेचते”। 

शाम के समय दोनों बैल अपने नए स्थान पर पहुुँचे। दोनों बैल पूरे दिन से भूखे थे, लेकिन जब वे नांद में लगाए गए तो एक ने भी चारे को मुंह नहीं लगाया। दोनों को ये नई जगह अच्छी नहीं लग रही थी। ऐसे में हीरा और मोती ने अपनी मूक भाषा में सलाह की। 

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गया के पास से भाग गए दोनों बैल 

जब गांव में सभी सो गए, तो दोनों बैल अपना खूंटा तोड़कर वहां से भाग गए। सुबह जब झुरी सोकर उठा, तो उसने देखा कि हीरा और मोती उसके गेट पर खड़े हैं। दोनों के गले में लकड़ी के खूंटे लटक रहे थे, और दोनों के पैर घुटने तक कीचड़ से भरे हुए थे। हीरा और मोती को देखकर वो बहुत खुश हुआ, और दौड़कर उन्हें गले लगा लिया। 

गांव का हर एक व्यक्ति उन्हें देखकर उनकी तारीफ कर रहा था, लेकिन झुरी की पत्नी खुश नहीं थी। गुस्से में वह बोली – “कैसे कामचोर बैल हैं, एक दिन भी काम नहीं कर पाए और वहां से भाग उठे।” 

अगले दिन झुरी का साला फिर से आया और दोनों बैलों को गाड़ी में जोत कर ले गया। दोनों बैलों को उनकी मर्जी के बिना ले जाया जा रहा था, ऐसे में गुस्से में मोती ने गाड़ी को गड्ढे में धकेलना चाह पर, हीरा ने गाड़ी को संभाल लिया। 

गया ने बैलों पर किया अत्याचार 

शाम को घर पहुंचने के बाद गया ने दोनों बैलों को मजबूत खूंटे से बांध दिया, और उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया। अगले दिन दोनों को खेत में जोता गया। पूरा दिन खेत में काम करवाने के बाद उन्हें सूखा भूसा डाला गया, और अपने बैलों को उन्होंने चोकर, खली सब दिया। 

ये देखकर दोनों बैलों को बहुत अपमानित महसूस हुआ और उन्होंने नांद में मुंह तक नहीं डाला। दूसरे दिन गया ने फिर बैलों को हल में जोता, पर इस बार दोनों ने जैसे पांव न उठाने की कसम खा ली थी। वह मारते-मारते थक गया, पर दोनों ने पांव न उठाया। गुस्से में जब गया ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाये तो मोती का गुस्सा काबू से बाहर हो गया। वह हल लेकर भागा। हल, रस्सी, जुआ, जोत, सब टूट-टाटकर बराबर हो गया। 

इन सब से परेशान होकर गया उन्हें खाना पीना देना बंद कर देता है। गया अपने बैलों को अच्छे चारे डालता और हीरा मोती को सिर्फ भूसी खाने को दे देता था। दोनों बैलों की हालत बहुत खराब हो गई थी। लेकिन उस घर में एक छोटी बच्ची जो उन्हें हर रात कुछ रोटियां खिलाती थी। हीरा और मोती उसके स्नेह के सहारे ही अपने दिन काट रहे थे। 

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परेशान होकर घर से भाग गए दोनों बैल 

एक रात बैलों की दयनीन दशा को देखकर उस बच्ची ने हीरा और मोती की रस्सी खोल दी, ताकि वह उस कैद से भाग जाएं। आखिर में हुआ भी ऐसा ही, हीरा और मोती रात को वहां से भाग गए। गया ने उनका पीछा किया, परवाह उन्हें नहीं पकड़ पाया। 

रास्ते में दोनों बैलों का पाला एक मोटे सांड से पड़ा। सांड ने एक ही वार में हीरा को जमीन पर पटक दिया। लेकिन दोनों बैलों ने मिलकर उसे मजा चखाया और आगे बढ़ गए। 

भागते–भागते दोनों बैल एक मटर के खेत के पास पहुंचे। दोनों भूखे थे तो वे वहां मटर के खेत में हरे भरे मटर खाने लगे। हीरा और मोती खाना खा ही रहे थे कि इतने में खेत के किसी वहां आ गए और उन्होंने दोनों को पकड़ कर काँजीहौस में बंद कर दिया। 

यह एक ऐसी जगह थी, जहां सभी आवारा जानवरों को लाया जाता था। कांजीहौस में काफी दिनों तक यातना सहने के बाद एक दिन दोनों बैलों ने वह से भागने की योजना बनाई। मोती ने अपना पूरा दम लगा कर कांजीहौस की दीवार को तोड़ दिया ओर सभी जानवरों को वहां से भगा दिया। 

हीरा के गले में रस्सी बंधी हुई थी तो मोती उसे छोड़कर नहीं गया। थोड़ी देर में ही कांजीहौस का मालिक वहां आ गया और उसने दोनों बैलों को एक कसाई को बेच दिया। कसाई जब उन बैलों को अपने साथ ले जा रहा था, तो उन्हें रास्ता कुछ जाना पहचाना लगा। 

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अंत ने अपने असली मालिक के पास पहुंचे हीरा और मोती 

हीरा और मोती ने अपने घर के रास्ते को पहचान लिया और वो दौड़ते–दौड़ते झुरी के पास पहुंच गए। झुरी उन्हें फिर से देखकर बहुत खुश हुआ और रोते हुए उसने अपने बैलों को गले से लगा लिया। झुरी की पत्नी भी अब उनके प्यार को समझ चुकी थी। अंत में वह भी उन्हें अपना लेती है और स्नेह में आकर प्यार से उनका माथा चूम लेती है। 

निष्कर्ष

इस कहानी में, हीरा और मोती की स्वतंत्रता की चाह और संघर्ष को दर्शाया गया है। वे दोनों अंत तक अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ते हैं और आखिर में अपने मालकिन का प्रेम प्राप्त करते हैं । 

FAQs: “दो बैलों की कथा” को लेकर अक्सर पूछे गए सवाल

Q.1 – दो बैलों की कहानी का सारांश क्या है?

Ans – “दो बैलों की कथा” प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास है। कहानी में एक किसान के पास दो बैल रहते हैं, आर्थिक तंगी के कारण वह उन्हें अपने साले के पास गिरवी रख देता है। जहां उन्हें बहुत सारी यातनाओं का सामना करना पड़ता है।अंत में, वे वहां से भाग जाते हैं और अपने मालिक के पास लौट आते हैं। यह कहानी स्वतंत्रता की कीमत और जानवरों के प्रति मानवता के महत्व पर प्रकाश डालती है।

Q. 2 – दो बैलों की कथा में बैलों के नाम क्या थे?

Ans – मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी उपन्यास दो बैलों की कथा में बैलों के नाम हीरा और मोती होते हैं। 

Q. 3 – दो बैलों की कथा हमें क्या संदेश देती है?

Ans – यह कहानी हमें संदेश देती है कि मनुष्य हो या जानवर हो, प्यार और स्वतंत्रता सभी के लिए बहुत महत्व रखती है। इन्हें पाने के लिए अगर लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए।

Q. 4 – दो बैलों की कथा में छोटी बच्ची बैलों को क्या खिलाती थी?

 Ans – छोटी बच्ची दोनों बैलों को प्यार से रोज रात को छुप छुप कर रोटियां खिलाया करती थी। 

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