कहते हैं धरती पर इंसानों की दुनिया से अलग जानवरों की भी एक अनोखी दुनिया है। इस दुनिया में जानवर आपस में बात करते है, हंसते है खेलते है, प्रकृति उन्हें दुलारती है। लेकिन इंसान आज तक इन दुनिया की खूबसूरती को देख नहीं पाए हैं।
ऐसे में बहुत सारे लेखकों ने अपनी कहानी और कविताओ के माध्यम से इस दुनिया की खूबसूरती को दिखाने का प्रयास किया है। इसी कड़ी में आज हम भी आपके सामने लेकर आए है, तितली परी की कहानी। यह एक अनोखी कहानी है, जो आपको सपनों की दुनिया में ले जाएगी। तो चलिए शुरू करते हैं….
राजकुमारी और तितली परी की अनोखी दोस्ती
बहुत समय पहले की बात है, सोजतगढ़ नाम के राज्य में आहना नाम एक सुंदर सी राजकुमारी रहा करती थी। उसे घूमने–फिरने का बहुत शौक था, ऐसे में अक्सर वह नई – नई जगह पर घूमने जाया करती थी। एक दिन वह महल से दूर जंगल की सैर पर निकल गई।
जंगल की हरियाली, फूलों की महक और पक्षियों की चहचहाहट में वह इतनी खो गई थी कि, न तो उसे रास्ते की खबर थी और न ही समय का पता। वह बस अपनी ही धुन में गुनगुनाते हुए आगे चली जा रही थी। तभी अचानक आसमान में काले बादल छा गए और भयानक तूफान आ गया। तेज हवाओं की वजह से पेड़ की एक डाली टूटकर राजकुमारी पर गिर गई, जिससे वह बेहोश हो गई।
तितली परी ने बचाई राजकुमारी की जान
तभी उस जगह एक नन्ही सी परी आई। यह कोई आम परी नहीं थी, तितली जैसे रंग-बिरंगे पर थे, और उसके चारों तरफ मन को मोह लेने वाली रोशनी थी। यह तितली परी थी, जो अपने जादुई तितली साम्राज्य की महारानी थी।
वैसे तो तितली परी कभी भी इंसानों के सामने नहीं आती थी। लेकिन राजकुमारी को इस हालत में देखकर तितली परी को उसपर दया आ गई। उसने अपने जादू से राजकुमारी की चोट ठीक की और उसे अपने फूलों के महल में ले आई।
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जादुई दुनिया में पहुंची राजकुमारी
यह एक बहुत ही सुंदर जगह थी, रंग बिरंगे और चमचमाते हुए फूल जो आपस में बात कर रहे थे, पेड़ और लताएं भी स्वागत गीत गा रहे थे, और रंग बिरंगी तितलियाँ नृत्य कर रही थीं। ये तितलियां देखने में बिल्कुल परियों जैसी थी। आज पहली बार कोई इंसान इस दुनिया में आया था। राजकुमारी को देखकर हर कोई बहुत खुश था।
तितली परी और अन्य परियों ने उसकी सेवा की, उसे खिलाया, और उसे पूरी तरह से ठीक कर दिया। इस दौरान तितली परी और राजकुमारी आहना बहुत अच्छी दोस्त बन गई।
पूरी तरह से ठीक होने के बाद राजकुमारी तितली परी से बोली – “ मेरे पिता मुझे खोज रहे होंगे। अब मैं पूरी तरह से ठीक हो गई हूं, तो मैं अब अपने घर जाना चाहती हूं। तुमने मुझे इतने दिन यहां रखा, मेरी सेवा की उसके लिए धन्यवाद। मैं तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलूंगी, और हां मैं तुमसे मिलने के लिए आती रहूंगी”। यह कहते हुए आहना थोड़ा भावुक हो गई। तितली परी भी उसे उसके महल छोड़ आई।
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राजा ने किया तितलियों पर अत्याचार
अब थोड़े–थोड़े दिनों में राजकुमारी और तितली परी एक दूसरे से मिलने आते रहते। एक दिन, आहना तितली परी से मिलने जंगल में गई, उनके पीछे-पीछे उनके पिता, राजा बहादुर सिंह भी जंगल तक पहुँच गए। तितलियों की अदभुद दुनिया देखकर वो आश्चर्यचकित रह गए। लेकिन जल्द ही उनका आश्चर्य लालच में बदल गया।
उन्होंने सोचा – “इतनी सुंदर तितलियाँ हमारे बग़ीचे में होनी चाहिए!” अब वे वापस अपने महल गए और अपने सैनिकों को तितली परी और बाकी तितलियों को पिंजरे में बंद करके महल में लाने का आदेश दिया। सैनिकों ने वैसा ही किया, वो सभी तितलियों को कैद करके महल में ले आए।
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राजकुमारी ने बनाई तितलियों को आजाद करने की योजना
अगले दिन राजा ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने उन तितलियों का प्रदर्शन किया। तितली परी और उसके परिवार को कैद में देख कर।
राजकुमारी आहना का दिल टूट गया। उसने पिता से विनती की, “पिताजी, ये मेरी मित्र हैं,इन्हें कैद करना ठीक नहीं। कृपया इन्हें छोड़ दीजिए। ” लेकिन राजा नहीं माने।
अपनी दोस्त तितली परी और उसके साथियोंतको छुड़ाने के लिए राजकुमारी ने एक योजना बनाई। आधी रात को वह चुपचाप महल के बाग़ में गई, जहां सभी तितलियाँ और तितली परी कैद थीं। उसने मुख्य दरबान से पिंजरे की चाबी चुराई और सबको आज़ाद कर दिया।
तितली परी ने जाते-जाते कहा, “राजकुमारी आहना को धन्यवाद दिया”। इस दिन के बाद तितली परी ने एक ऐसी जगह को अपना ठिकाना बनाया जहां इंसानो का जाना न मुमकिन था। यहां सभी तितलिया सुरक्षित थीं। हालांकि अपनी दोस्ती निभाने के लिए वह कभी कभी चुपचाप महल में राजकुमारी आहना से मिलने आती थी। यह दो दुनिया की रानियों की कहानी थी, जिन्हें दोस्ती का अनमोल रिश्ता जोड़ता था।
निष्कर्ष
उम्मीद है तितली परी की ये कहानी आपकी पसंद आई होगी। कहानी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए उन्हें Moral Stories In Hindi जरूर पढ़कर सुनाएं।
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