भूतिया गांव की कहानी: जब गांव बना मौत का घर

चंदनपुर नाम का एक गांव था, जो कभी खुशहाल हुआ करता था। हरे-भरे खेत, मीठे पानी की नदियां और हंसते-गाते लोग जो हर समय मिल जुल कर रहा करते थे। उस कोई भी डर नहीं था, लेकिन एक दिन गांव की तस्वीर ही बदल गई। 

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चंदनपुर पर पड़ी चुड़ैल की बुरी नजर 

भूतिया गांव

एक दिन अमावस्या की रात को जब चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था, तो सालों से भटक रही एक चुड़ैल की नजर चंदनपुर गांव पर पड़ी। उस गांव के लोगों के बीच इतना प्यार देखकर वह चिढ़ गई, और गांव को तबाह करने का सोचा। चुड़ैल देखने में बहुत ही डरावनी थी। उसके लंबे लंबे बाल और नाखून थे, वह काले रंग की सारी में लिपटी हुई थी और उसकी आँखें एकदम सुर्ख लाल थी। 

उस चुड़ैल की नजर जब से गांव के मर्दों पर पड़ी और तब से गांव की बर्बादी शुरू हो गई। रात को घर से बाहर निकलने वाले मर्द अब एक एक करके गायब होने लगे। गांव में अफवाह फैल गई कि, रोज रात को एक चुड़ैल आती है, और आदमियों को उठा कर ले जाती है। 

मर्दों के बीच फैला डर 

धीरे – धीरे गांव में दहशत का माहौल फैल गया, लोगों ने रात को घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। चंदनपुर में आदमियों के गायब होने का सिलसिला इस कदर फैला कि लोगों ने इसे भूतिया गांव कहना शुरू कर दिया। 

इसी दौरान एक रात रमेश के पिता भी गायब हो गए। सुबह जब उसे पता चला कि उसके पिता को चुड़ैल उठा कर ले गई है, तो पहले वो बहुत रोया। लेकिन बाद में उसने अकेले ही जंगल में जाकर अपने पिता को ढूंढने का फैसला किया। 

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क्या अपने पिता को चुड़ैल के चंगुलत्से बचा पाएगा रमेश? 

दिन के समय वह जंगल में चला गया, जहां अपने पिता को खोजते खोजते वह पीपल के पेड़ के पास पहुंच गया। उस पेड़ के नीचे एक सुरंग बनी हुई थी। रमेश उस सुरंग में चला गया। काफी देर चलने के बाद उसने देखा कि जमीन के नीचे एक। अलग ही दुनिया नसी हुई है, जो बाहर की दुनिया से बिल्कुल उल्टी है। वहां आसमान की जगह पर नदी ओर नदी की जगह पर आसमान थे। और मछलियां आसमान में उड़ रही थी। 

थोड़ी दूर आगे चलने पर उसने देखा कि, एक पेड़ पर गांव के सभी लापता लोग लटके हुए है। ! लेकिन वे एक अजीब जादू में जकड़े हुए थे – जिंदा तो थे, मगर बोल नहीं सकते थे, आंखें भी खुली थीं। रमेश डर कर वहां से निकल गया। वह वापस अपने गांव की और जाने लगा, लेकिन रास्ते में वह सभी को उस चुड़ैल की कैद से आजाद करवाने के बारे में ही सोच रहा था। 

साधु ने सुझाया चुड़ैल के खात्मे का रास्ता 

जंगल में लौटते समय उसकी मुलाकात एक बूढ़े साधु से हुई, जो इस चुड़ैल के बारे मे सब कुछ जानता था। साधु ने बताया कि ये चुड़ैल 100 साल पुरानी आत्मा है, जो मर्दों आत्मा चुराकर ताकतवर होती जा रही है। उसे रोकने का एक ही उपाय है – पहाड़ी के पेड़ पर बैठा हरा तोता। साधु ने उसे एक जल देते हुए बताया कि अगर किसी तरह उस तोते पर ये जल छिड़क दिया जाए, तो चुड़ैल का अंत हो जाएगा।” लेकिन यह बहुत ही मुश्किल काम है। 

रमेश ने साधु से वह जादुई जल लिया और पहाड़ी की चढ़ाई शुरू की। रात के अंधेरे में वह पेड़ तक पहुंचा, लेकिन वह तोते पर जल छिड़क पाता उससे पहले ही वहां चुड़ैल आ गई। साधु ने रमेश को चुड़ैल से लड़ने के लिए बहुत सारे मंत्र बताए थे, उसने सभी का इस्तेमाल करते हुए चुड़ैल से काफी देर तक लड़ाई की। जब चुड़ैल घायल हो गई, तो उसने नजर चुराकर तोते पर वह जादुई जल छिड़क दिया। 

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चंदनपुर को मिली चुड़ैल से आजादी 

जैसे ही तोते पर जल गिरा, वह जलना शुरू हो गया। पूरे जंगल में एक तूफान आ गया और चुड़ैल जलती हुई आसमान में गायब हो गई। जैसे ही चुड़ैल गायब हुई, उसी क्षण सुरंग में बंद सभी लोग होश में आ गए, और वहां से निकलकर वापस अपने गांव आ गए। सभी ने रमेश को उसकी बहादुरी के लिए खूब सराहा। 

अब चंदनपुर फिर से खुशहाल है। लेकिन कहते हैं कि आज भी उस गांव में हर अमावस्या की रात लोग दीये जलाते हैं, ताकि गांव में फिर से अंधेरा ना छा सके। 

सीख:

मुसीबत से डरकर नहीं बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए।

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