भावनगर में रमेश अपने पूरे परिवार के साथ रहा करता था। गांव को चर्चा थी कि रात को पूरे गांव में एक छलावा घूमता है, जो कभी इंसान का तो कभी किसी जानवर का रूप बनाकर लोगों के सामने आ जाता है। ऐसे में गांव का कोई भी व्यक्ति रात को 8 बजे के बाद घर से नहीं निकलता था।
एक दिन रमेश अपने दोस्त की शादी से लौट रहा था। दोस्त के घरवालों ने उसके परिवार के लिए गुलाब जामुन और लड्डू पैक कर दिए। रमेश खुशी खुशी वहां से अपनी बाइक पर घर की और निकला।
रास्ता छोटा था, लेकिन उसे एक सुनसान और बदनाम मोड़ से होकर गुजरना था – “काली मोड़”। लोगों का कहना था कि इस मोड पर हमेशा अजीबों गरीब घटनाएं होती हैं। गांव के कई लोगों ने तो यहां पर छलावा होने तक का दावा किया था, जो जानवर, बच्चे या किसी भी बुजुर्ग के रूप में सामने आ जाता था। लेकिन रमेश इन बातों को केवल अफवाह मानता था।
क्या रमेश कोई गलती तो नहीं कर रहा था?
रमेश अपनी धुन में घर की और जा रहा था। वह जैसे ही काली मोड़ के पास पहुंचा, अचानक उसकी बाइक के सामने एक छोटा सा बिल्ली का बच्चा आ गया। बिल्ली के बच्चे को देख रमेश उसपर मोहित हो गया, और उसे घर ले जाने के बारे में सोचने लगा।
उसने सोचा “ इस प्यारे से बिल्ली के बच्चे को देखकर बच्चे भी खुश हो जाएंगे, और वो पूरा समय इसके साथ खेलेंगे तो घर की चीजों को भी कम नुकसान पहुंचाएंगे”। यह सोचकर उसने बाइक के आगे उस बिल्ली के बच्चे को बिठा लिया और फिर बाइक स्टार्ट करके आगे बढ़ गया।
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रास्ते में कुछ तो गड़बड़ थी…
रास्ते में रमेश को महसूस हुआ कि उस बिल्ली के बच्चे का वजन धीरे धीरे बढ़ रहा था। देखते ही देखते उसका आकर भी बढ़ने लगा। वह अब वह बिल्ली का बच्चा एक कुत्ते के साइज का हो चुका था। उसके चेहरे पर अब भी वही मासूमियत थी – लेकिन वह रमेश को देखकर अजीब डरावनी मुस्कान में हंस रहा था।
यह देखकर रमेश का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसे समझ में आ गया कि यह कोई जानवर नहीं बल्कि वही छलावा है, जिसकी बात पूरा गांव करता है। यह छलावा मिठाइयों की खुशबू सूंघ कर वहां आया था। रमेश ने बाइक तेजी से भगाई, लेकिन अब बच्चा और बड़ा होने लगा। अब रमेश की धड़कन और तेज हो गई। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे?, क्योंकि यह छलावा उसकी जान भी ले सकता था…..
क्या रमेश अपने आप को बचाने में सफल हो पाएगा?
रमेश का घर अब बस एक किलोमीटर ही दूर था, और बिल्ली के बच्चे का आकर अब गाय के बच्चे जितना हो गया था। उसने बाइक छोड़ दी और पैदल ही दौड़ लगा दी। थोड़ी ही देर में वह अपने घर के बाहर पहुंच गया और जोर जोर से दरवाजा पीटने लगा।
रमेश – “अरे भाग्यवान दरवाजा खोलो, जल्दी करो….. वरना वो मेरी जान ले लेगा।”
रमेश की पत्नी ने जल्दी से गेट खोला। उसके घर में हनुमान की के मंदिर से बाबा की दी हुई भभूत रखी थी। उसने झट से वो भभूत उठाई और पूरे दरवाज़े और आंगन में छिड़क दी और दरवाजे पर भगवान के नाम का दिया जला दिया।
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गायब हुआ छलावा
बिल्ली का बच्चा जो अब तक एक सांड का रूप ले चुका था, वो रमेश के घर के बाहर खड़ा होकर गुर्रा रहा था। पर जैसे ही भभूत हवा में फैली, वह डरावना बिल्ली का बच्चा एक चीख के साथ हवा में गायब हो गया। तभी दरवाजे पर जलती दीपक की लौ एकदम तेज़ हो गई और वातावरण शांत हो गया।
इस घटना के बाद रमेश कभी भी मीठा खाकर या अपने साथ लेकर सफर नहीं करता था।
भूत-प्रेत और छलावे सिर्फ कहानियों में नहीं होते, कभी-कभी हकीकत में भी सामने आ जाते हैं। अगर आपको भी इस तरह का कोई अनुभव हुआ है?, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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