यह नागपुर के एक गांव में रहने वाले भाई बहन की कहानी है। इस कहानी में भाई और बहन के बीच असीम प्रेम और समर्पण को दिखाया गया है। तो अगर आप अपने बच्चों को भाई बहन के बीच के रिश्ते की गरिमा समझाना चाहते हैं तो उन्हें ये कहानी जरूर पढ़कर सुनाएं…
नमन और निया अपने माता पिता के साथ गांव में हसी खुशी रहा करते थे। नमन 15 साल का था, तो वहीं उसकी बहन 8 साल की थी। एक दिन नमन के माता-पिता किसी काम से बाहर गांव जा रहे थे लेकिन तभी उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और दोनों की ही मौके पर मौत हो गई।
नमन ने पूरी की माता पिता की कमी
माता-पिता की मौत के बाद निया का ध्यान रखने वाला सिर्फ नमन था। माता पिता के जाने के बाद मात्र 15 साल की छोटी उम्र में नमन ने सभी जिम्मेदारियां अपने कंधे पर ले ली। अपनी बहन के लिए वह मां-बाप, दोस्त, भाई, सब कुछ बन गया।
नमन अब खेतों में काम करने लगा, ताकि वह घर की जरूरतों को पूरा कर पाए। 12 वीं के बाद आरव ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और निया का भविष्य बनाने में लग गया।
साल बीतते चले गए और निया अब बड़ी हो गई। 12 वीं उसने फर्स्ट क्लास से पास की थी। लेकिन गांव में केवल 12 वीं तक का ही स्कूल था। ऐसे में निया को कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता।
अपने भाई को यूं गांव में अकेले छोड़ कर जाना निया को गवारा नहीं था। ऐसे में उसने पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लिया और अपने भाई से बोली – “भैया मैं आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी। बचपन से लेकर अब तक आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन अब में चाहती हूं कि मैं आपकी सेवा करूं।”
निया की बात सुनकर नमन भावुक हो गया और बोली – “अरे मेरी छोटी सी लाड़ली इतनी बड़ी हो गई है कि आज वो मेरे लिए अपनी पढ़ाई छोड़ना चाहती है। लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि तुम कलेक्टर बनकर मेरा नाम रोशन करो। क्यातुमअपनेभाईका ये सपना पूरा नहीं करोगी?”
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निया ने खाई अपने भाई के सपनों को पूरा करने की कसम
अपने भाई की बात सुनकर निया खुशी के मारे रोने लगी और बोली – “भैया मैं एक दिन जरूर कलेक्टर बनकर दिखाऊंगी।”
इसके बाद निया अपने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए शहर चली गई। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान निया अपने आस–पास के छोटे बच्चों को ट्यूशन देने लगी, ताकि उसके भाई पर फीस और उसके खर्चों का भार न आए। देखते –देखते 5 साल बीत गए। इस बीच निया ने एक बार IAS की परीक्षा दी, जिसमें वो पास नहीं हो पाई।
अपने भाई के सपनों को पूरा करने के लिए निया ने फिर से फॉर्म भरा और इस बार जी जान से पेपर की तैयारी की। निया की मेहनत आखिर रंग लाई, दूसरी बार में उसने परीक्षा पास कर ली। वह यह खुशी अपने भाई के साथ बांटना चाहती थी, ऐसे में वह नमन को सरप्राइस देने के लिए गांव पहुंची।
गांव पहुंचते ही निया ने नमन को अपने पास होने की खुशखबरी सुनाई, और बोली – भैया आज मैंने आपका सपना पूरा कर दिया है। मैने परीक्षा पास कर ली है, और मैं कलेक्टर बन गई हूं। ये आपकी मेहनत की जीत है क्या अब आप खुश है।
निया की बात सुनकर नमन बोला – “बहन मुझे तुझ पर गर्व है, आज तूने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।”
नमन यह कह ही रहा था, की अचानक कमजोरी की वजह से उसे चक्कर आ गए, और वो वहीं बेहोश हो गया। हड़बड़ी में निया उसे अस्पताल लेकर गई, जहां उसे पता चला कि। उसके भाई को। किडनी की बीमारी है।
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भाई के लिए बहन का त्याग
डॉक्टर ने निया से कहा – “आपके भाई की दोनों किडनी खराब हो गई है, अगर जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो उसकी मौत भी हो सकती है। आपके भाई का ब्लड ग्रुप O नेगेटिव है, ऐसे में डोनर मिलना मुश्किल है।”
डॉक्टर की बात सुनकर निया बोली – मेरा ब्लड ग्रुप भी O नेगेटिव ही है। अगर मेरी किडनी मैच हो जाती है, तो ममैं अपने भाई को किडनी देने के लिए तैयार हूं।
निया की बात सुनकर डॉक्टर चौंक गए और बोले –, “आप सोच लें। ये आसान निर्णय नहीं है।”
निया ने मुस्कराकर कहा, – “मेरे लिए यह सबसे आसान फैसला है। जिसने मेरी हर साँस के लिए अपनी ज़िंदगी लगा दी, उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।”
निया की किडनी नमन से मैच हो गई। डॉक्टर्स ने ऑपरेशन किया और निया की एक किडनी नमन को दे दी गई। थोड़े दिनों में ही नमन ठीक हो गया, और उसने अपनी बहन को धन्यवाद किया।
अपने भाई की बात सुनकर निया बोली – “भैया, आपने मुझे जीना सिखाया है। यह तो बस मेरा फर्ज़ था।”
कुछ महीने बाद निया अपनी ट्रेनिंग पर चली गई। कुछ सालों के बाद निया ने अपने भाई के साथ मिलकर गांव में एक NGO खोला, जहां गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता था।
भाई बहन के बीच के प्यार को देखकर गांव का हर व्यक्ति उनकी तारीफ करता। निया और नमन गांव वालों की नजरों में भाई-बहन के रिश्ते की वो मिसाल बन गए, जिसमें त्याग था, प्यार था, और बिना शर्त के समर्पण था।
✨ कहानी से सीख (Moral of the Story)
भाई-बहन का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोस्ती, प्यार और मातृत्व सबकुछ समाया होता है।
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