Top 10 Akbar Birbal Ki Kahaniya: अकबर बीरबल की कहानियां

इंटरनेट पर अकबर बीरबल की कहानियां और किस्से बहुत ज्यादा मशहूर हैं। इन कहानियों में बीरबल हमेशा अपनी समझदारी, बुद्धिमानी और चतुराई से बादशाह अकबर के सवालों का जवाब देते, और उनका दिल जीत लेते थे। तो अगर आपको भी ये मजेदार कहानियां पढ़नी है, तो चलिए हमारे साथ अकबर बीरबल की कहानियों के सफर पर…

Akbar Birbal Story In Hindi

Akbar Birbal Story In Hindi

1. बीरबल की खिचड़ी 

सर्दियों के दिन थे, आगरा में बहुत ज्यादा ठंड पड़ रही थी। ऐसे में बादशाह अकबर के मन में एक मजेदार ख्याल आया। उन्होंने अपने राज्य में घोषणा करवा दी कि, जो व्यक्ति राज तालाब में पूरी रात बिना कोई कंबल ओढ़े खड़ा रहेगा, उसे ईनाम में 1000 सोने की अशर्फियां दी जाएंगी। 

पुरस्कार काफी बड़ा था, लेकिन सर्दी के चलते कोई भी इस चैलेंज के लिए राजी नहीं हुआ। दो दिन के बाद एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी मिटाने के लिए तालाब में खड़े होने के लिए राज़ी हो गया। शाम होते ही धोबी घुटनों तक पानी में उतरा। दो सैनिकों को उसकी निगरानी के लिए रखा गया। 

पूरी रात धोबी ठिठुरता हुआ तालाब में खड़ा रहा। अगले दिन जब वह बादशाह अकबर से ईनाम लेने पहुंचा, तो उसकी हिम्मत देखकर अकबर बहुत खुश हुए। उन्होंने धोबी से पूछा – “तुमने पूरी रात तालाब में खड़े खड़े बीता दी, क्या तुम्हें बिल्कुल भी सर्दी नहीं लगी।”

इस पर धोबी बोला – “शुरू शुरू में मुझे बहुत सर्दी लगी, लेकिन फिर मैने महल में जलता दीपक देखा। और मैने उसी को देख कर पूरी रात गुजार दी।” ये सुनकर बादशाह अकबर गुस्सा हो गए, और बोले – मतलब पूरी रात तुम उस दीपक से गर्मी लेते रहे, और अब यहां इनाम लेने आए हो। तुम्हे इनाम नहीं बल्कि सजा मिलेगी। ये कहकर अकबर ने उसे जेल में डलवा दिया। 

दरबार में बीरबल भी यह सब देख रहा था। उसने धोबी को न्याय दिलाने की सोची। अगले दिन बीरबल दरबार में नहीं आया, अकबर ने जब अपने सैनिकों को उसे बुलाने भेजा तो उसने कहलवाया की, बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही उसे खाकर आ जाएंगे।

काफी घंटे बीत गए, जब बीरबल नहीं आया तो बादशाह अकबर खुद वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि बीरबल ने तीन बांस गाड़े हुए है, जिनमें उपर उसने मटकी बांधी हुई है और नीचे आग जलाई हुई है। ये देखकर बादशाह ने गुस्से में पूछा – यह क्या तमाशा है? जब तक मटकी पर आंच नहीं लगेगी, ये खिचड़ी पकेगी कैसे?

अकबर की बात सुनकर बीरबल ने कहा – माफ करें, जहाँपनाह, यह खिचड़ी जरूर पकेगी। वैसी ही पकेगी जैसी कि धोबी को महल के दीये की गरमी मिली थी। ये सुनकर बादशाह को अपनी गलती का एहसास हुआ । इसके बाद उन्होंने धोबी को रिहा करके उसे सम्मान सहित पुरस्कार राशि देकर वहां से भेज दिया। 

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2. दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा 

एक दिन बादशाह अकबर अपने शहजादे के साथ बगीचे में टहल रहे थे। वहां मौजूद सभी लोग शहजादे की तारीफ कर रहे थे, और कह रहे थे कि वो बहुत ही सुंदर है। ये सुनकर बादशाह बोले, “मेरा बेटा दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा है”। बादशाह की बात सुनकर वहां मौजूद हर एक व्यक्ति ने उनकी हां में हां मिला दी। 

बीरबल भी वहां पर मौजूद थे। अकबर की बात सुनकर वो बोले, “ महाराज शहजादे बहुत सुंदर है, लेकिन वो दुनिया के सबसे खूबसूरत बच्चे नहीं हैं”। यह सुनकर अकबर को गुस्सा आ गया, और वो बोले –  अगर तुम्हें लगता है कि दुनिया में शहजादे से भी ज्यादा खूबसूरत बच्चा है तो तुम उसे हमारे पास लेकर आओ। मैं भी उस बच्चे की खूबसूरती को देखना चाहता हूं।

अगले दिन बीरबल, साधारण भेष में अकबर को लेकर दुनिया के सबसे खूबसूत बच्चे की तलाश में निकले। काफी दूर चलने के बाद वे एक टूटी–फूटी झोपड़ी के पास पहुंचे, झोपड़ी के बाहर एक बच्चा धूल-मिट्टी से खेल रहा था। उस बच्चे को दिखाते हुए बीरबल ने कहा – “देखिए जाहंपनाह वो रहा सबसे सुंदर बच्चा”। 

उस बच्चे को देखकर बीरबल पर भड़क गए, और बोले – “क्या बकवास है, तुम्हें ये मिट्टी में सना हुआ बच्चा सबसे खूबसूरत लगता है? यह तो काफी बदसूरत है।” अकबर की बात सुनकर बच्चा रोने लगा, और अपनी मां को जाकर सारी बात बता दी। 

ये सुनकर बच्चे की मां बाहर आई और अकबर खरी खोटी सुनाते हुए बोली – “मेरी नजरों में मेरा बच्चा दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा है, अगर अगली बार तुमने इसे बदसूरत कहा तो मैं तुम्हारी हड्डी पसली एक कर दूंगी।” ये सुनकर अकबर और बीरबल वहां से चले गए। 

वापसी में बीरबल को समझाया कि, दुनिया के हर माता–पिता के लिए उनकी औलाद की दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा होता है। हमें अपने बच्चों की बाहरी खूबसूरती नहीं बल्कि आतंरिक खूबसूरती पर ध्यान देना चाहिए।  बीरबल की बातें सुनकर अकबर खुश हो गए और बोले, “बीरबल तुमने एक बार फिर हमारा दिल जीत लिया।” 

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3. अकबर, बीरबल और तोते की कहानी 

एक बार एक व्यापारी ने बादशाह अकबर को एक तोता उपहार में दिया। तोता बहुत ही मीठा बोलता था, ऐसे में उसकी रखवाली के लिए बादशाह ने एक खास सेवक नियुक्त किया। बादशाह ने सेवक को साफ हिदायत दी की, “अगर ये तोता मरा तो मैं तुम्हें मृत्यु दंड दे दूंगा। और इसके अलावा जिस किसी ने भी अपने मुंह से कहा कि तोता मर चुका है, उसे भी मौत की सज़ा मिलेगी। ऐसे में तोते की देखभाल अच्छे से करना।”

यह कहकर अकबर ने सेवक को तोता सौंप दिया। सेवक ने काफी जी जान से तोते की देखभाल की, लेकिन एक महीने बाद वह तोता मर गया। सेवक की जान अब हलक में आ गई, उसे समझ नहीं आ रहा था की अब वह अपनी जान कैसे बचाए? डर के मारे वह बीरबल के पास गया, और रोते–रोते बोला – “ मेरी जान बचा लो, मैं जिंदगी भर तुम्हारा अहसानमंद रहूंगा।” 

बीरबल ने उसे सांत्वना दी और कहा – “चिंता मत करो। मै बादशाह से बात करूंगा “। थोड़ी देर बाद  बीरबल बादशाह के पास गए और बोले कि, “बादशाह आपका तोता”, यह कहकर वह चुप हो गए। इतने में ही बादशाह अपने सिंहासन से उठे और बोले, क्या हुआ मेरे तोते को? क्या वो मर गया?

बीरबल बोले, “ आप का तोता ना मुंह खोलता है, ना खाता है, ना पीता है, ना हिलता है, ना डुलता है। उसकी आँखें बंद है। और वह अपने पिंजरे में लेटा पड़ा है। चलिए एक बार चलकर उसे देख लीजिए।”

अकबर जब वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि, तोता मर गया है। अकबर बोले – “अरे बीरबल तोता मर चुका है, , तुमने ये बात मुझे वहां क्यों नहीं बताई?” इसके रखवाले को बुलाओ, मैं उसे अभी मौत की सजा दूंगा”। तभी बीरबल बोले,” रखवाले को तो आप सजा दे देंगे, लेकिन आपको सजा देने के लिए आप किसको बुलाएंगे।”

गुस्से में अकबर ने कहा – “ये तुम क्या कह रहे हो?”, बीरबल बोला – “बादशाह आपने ही तो कहा था, की जो कोई भी बोलेगा कि ‘तोता मर चुका है’, उसे भी मौत की सजा दी जायेगी। अब कुछ देर पहले आप ने खुद अपने मुंह से यह बात कही। आप चाहे तो। किसी भी दरबारी से पूछ सकते हैं।” 

यह सुनकर अकबर को अपनी गलती का एहसास हो गया। उन्होंने घोषणा की कि तोते के मरने में किसी का दोष नहीं है, और किसी को भी कोई सजा नहीं दी जाएगी। ये सुनकर दरबार में मौजूद हर कोई बीरबल की बुद्धिमानी की तारीफ करने लगा। 

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4. बैगन के गुण और अवगुण 

बहुत दिनों के बाद अकबर और बीरबल साथ खाना खा रहे थे। खाना परोसा जा चुका था, जिसमें बैंगन का भर्ता भी शामिल था। बैंगन के भरते को देखकर बादशाह अखबार बहुत ही खुश हो गए, और बोले – “वाह आज तो दिल खुश हो गया, इतने दिनों बाद बैंगन का भर्ता खाकर जी को सुकून सा मिल गया है। अकबर की बात सुनकर बीरबल ने भी उनकी हां में हां मिलाई और बैंगन की शान में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए। 

बीरबल बोले है –”जी जहांपनाह, आपने बिल्कुल ठीक कहा, बैंगन सिर्फ़ सब्ज़ी नहीं है, इसमें तो इतने गुण हैं कि इसे औषधि का दर्ज़ा प्राप्त हो सकता है। इसे खाने से अपच की समस्या नहीं होती। सुखंडी रोग में भी यह काफी गुणकारी है।” बीरबल की बात सुनकर अकबर बहुत खुश हुए और स्वाद लेकर बैंगन का भर्ता खाने लगे। 

बहुत दिनों बाद एक बार फिर बीरबल और अकबरको एक साथ खाना खाने का मौका मिला। आज भी भोजन में बादशाह के सामने बैंगन की सब्जी परोसी गई। जिसे देखकर बादशाह भड़क गए, और रसोइए को डांटते हुए बोले – “किसने कहा था तुम्हें बैंगन की भाजी बनाने को? यह भी कोई खाने की चीज़ है!”

बादशाह को भड़कता देखकर बीरबल भी उनकी हां में हां मिलते हुए बोले – अरे तुम्हे पता नहीं है क्या, बैगन से बादी होती है। इसे खाने से फोड़े फुंसी हो जाती है। अब खड़े खड़े देखो में, उठाओ ये बैंगन की सब्जी। बीरबल की बात सुनकर रसोइया सब्जी को उठाकर ले गया, लेकिन अकबर लगातार बीरबल को घूरे जा रहे थे। 

थोड़ी देर यूं देखने के बाद अकबर बोले – “बीरबल, तुम अपनी जुबान के पक्के नहीं हो। उस दिन तो तुम बैंगन की तारीफ कर रहे थे, उसके गुण गिनवा रहे थे। लेकिन आज तुम बैंगन के अवगुण गिनवाए जा रहे हो। क्या उस दिन तुम्हे बैंगन के ये अवगुण भी पता थे?”

ये सुनकर बीरबल गंभीरता से बोला – “जहांपनाह! मैं बैंगन का नहीं, आपका सेवक हूं और सेवक का धर्म है हर चीज को मालिक की दृष्टि से देखना। उस दिन आपको आपको बैंगन का भर्ता पसंद आया तो मुझे उसके गुण दिखाई दिए । वहीं आज आपको ये सब्जी पसंद नहीं आई, तो मुझे आज बैंगन के अवगुण दिखाई दे रहे हैं।” बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह अकबर खुश हो गए। 

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5. सोने का खेत 

एक बार एक सेवक बादशाह अकबर के शयनकक्ष में साफ सफाई कर रहा था, तभी अचानक उसके हाथ से बादशाह का पसंदीदा गुलदस्ता टूट गया। यह देखकर नौकर बहुत डर गया। उसने गुलदस्ते को जोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा। ऐसे में उसने ये सोचकर कि अकबर की नजर इसपर नहीं पड़े, उस गुलदस्ते की जगह दूसरा गुलदस्ता लाकर रख दिया और उस गुलदस्ते को कूडादान में फेंक दिया। 

बादशाह अकबर जब अपने कमरे में गए, तो उन्होंने देखा उनके गुलदस्ते की जगह कोई दूसरा गुलदस्ता रखा है। ऐसे में उन्होंने तुरंत सेवक को वहां बुलाया और पूछा, “ मेरा गुलदस्ता कहा है?  ये सुनकर सेवक डर गया और बोला – बादशाह मैं  उस गुलदस्ते को अपने घर ले गया हूं, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं। 

यह सुनते ही अकबर और गुस्सा हो गए और कहने लग कि, मुझे तुरंत वो गुलदस्ता लाकर दो। अब नौकर अपनी ही बातों में फंस गया, और उसने बादशाह को पूरी सच्चाई बता दी। अकबर ये सुनकर और आग बबूला हो गया, और बोले  – जब गुलदस्ता टूट गया था, तो तुमने मुझसे झूठ क्यों कहा? गुस्से ने उन्होंने झूठ बोलने के बदले में नौकर को फांसी की सजा सुना दी। 

अगले दिन बीरबल को इस घटना के बारे में पता चला। बीरबल ने राजदरबार में सबके सामने इसका विरोध किया, और बोले कि झूठ तो हर व्यक्ति बोलता है, और उस नौकर ने तो अपनी जान बचाने के लिए झूठ बोला था। बीरबल की बात सुनकर अकबर उसपर भी भड़क गए। उन्होंने दरबार में बैठे लोगों ने पूछा,” क्या यहां कोई ऐसा है जिसने कभी झूठ बोला हो?”

दरबार में बैठे सभी लोगों ने एक सुर में कहा कि, नहीं वो झूठ नहीं बोलते।  इसके बाद अकबर ने बीरबल को वहां से जाने का आदेश दिया। बीरबल वहां से चले गए, लेकिन उन्होंने मन ही मन ठाना कि वह अपनी बात को साबित करके ही रहेंगे। 

अगले दिन बीरबल सुनार की दुकान पे गए और वहां से सोने की गेहूं की बाली बनवा ली। ये सोने की बाली लेकर वह राजदरबार में पहुंचे। बीरबलरको दरबार में देखकर अकबर बोले – “तुम यहां क्यों आए हो?” 

इस पर बीरबल बोले, “बादशाह जब में यहां से जा रहा था, तो रास्ते में मुझे एक सिद्ध पुरूष मिले जिन्होंने मुझे ये सोने की बाली दी और कहा, कि इसे तुम जिस खेत में गढ़ोगे, वो सोने का खेत बन जाएगा।” लेकिन उन्होंने मुझे यह कहा था, की इसे सिर्फ उसी व्यक्ति के हाथ से जमीन में गढ़ना है, जिसने आजतक कोई झूठ न बोला हो। मेरे घर में तो कोई ऐसा नहीं है, जिसने झूठ न बोला हो इसलिए मैं यहां आया हूं। 

उस दिन इस दरबार के लोगों ने कहा था, की। उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला तो, आप अपने किसी मंत्री से ही इस बाली को जमीन में लगवा दीजिए। बीरबल की बात सुनते ही सभी खामोश हो गए और कोई भी गेहूं की बाली लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ। 

ये देखकर अकबर बोले – तुम सभी ने उस दिन मुझसे झूठ बोला था? तभी बीरबल ने कहा, जहांपनाह! आप इसे जमीन में लगा दीजिए। बीरबल की बात सुनकर अकबर बोले – “मैं यह काम नहीं कर सकता, क्योंकि मैंने भी अपने बचपन में कई बार झूठ बोला है”। 

इसके बाद अकबर को अपनी गलती का अहसाह हुआ और उसने नौकर को फांसी की सजा से मुक्त कर दिया। 

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6. कौवों की गिनती 

बादशाह अकबर एक दिन सुबह–सुबह कबूतरों को दाना खिला रहे थे, तभी वहां एक कौवा भी आ गया। कौवे को देखकर उनके मन में उत्सुकता हुई, उन्होंने तुरंत सैनिकों को बुलाया और कहा – “तुम सभी अभी जाओ और हमें गिनती करके बताओ कि किस राज्य में कितने कौवे हैं।” 

बादशाह की बात सुनकर सभी सैनिक वहां से निकाल तो गए लेकिन उन्हें पता था कि यह एक असंभव काम है। ऐसे में वे बीरबल के पास अपनी समस्या का समाधान करने पहुंचे। शाम को बीरबल सभी सैनिकों के साथ राजदरबार पहुंचे, और बादशाह अकबर से बोले – “जहांपनाह हमने पता लगा लिया है कि हमारे राज्य में कितने का हुए हैं।”

यह सुनकर अकबर उत्सुक हुए और बोले, “अच्छा बताओ कितने कौवे हैं?” बीरबल बोले –  “एक लाख एक सो एक”। अकबर ने पूछा,  “तुमने सही गिनती तो की है न? 

बीरबल ने जवाब दिया, “जी हां बिल्कुल सही गिनती की है, आप चाहे तो किनका कर देख लीजिए। अगर कौवा की गिनती एक लाख एक सो एक से ज्यादा हो तो समझ जाएगा कि पड़ोसी राज्य के कौवे अपने कौवे रिश्तेदारों से मिलने आए हैं। और अगर जितनी कम हो तो समझ लेना की हमारे राज्य के कौवे अपने रिश्तेदारों के यहां गए हुए हैं।” बीरबल की चतुराई देखकर अकबर खिल खिला के हंस पड़े। 

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7. तीन प्रश्न 

एक दिन बादशाह अकबर ने राजदरबार में सभी के सामने बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने का विचार बनाया। उन्होंने बीरबल को बुलावा भेजा। बीरबल दरबार में आए और बोले – “जहांपनाह आपने मुझे याद किया, बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?”

ये सुनकर अकबर बोले – “मैं तुमसे तीन सवाल पूछना चाहता हूँ, अगर तुमने मुझे इनके सही जवाब दे दिए, तो मैं तुम्हारी बुद्धिमता का कायल हो जाऊंगा।” बीरबल ने उन्हें सवाल पूछने के लिए कहा। 

अकबर ने पहला सवाल पूछा – “अच्छा बताओ, जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है?” बीरबल ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोले – “जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ वर्तमान में जीना है। अतीत बीत चुका है, जिसे हम बदल नहीं सकते और भविष्य अनिश्चित है, जिसपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में वर्तमान ही सबसे महत्वपूर्ण चीज है, जहाँ हम कार्य करने की शक्ति रखते हैं।” 

इसके बाद अकबर ने दूसरा सवाल पूछा, “चलो ये बताओ कि सबसे महत्वपूर्ण समय कौन सा है?” बीरबल ने इसका जवाब देते हुए कहा – “आज, क्योंकि यही, ऐसा पल है, जिसे हम नियंत्रित कर सकते हैं।” 

अब अकबर ने तीसरा सवाल पूछा – “सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन है?” इस पर बीरबल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, ” इस वक्त आप सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है, क्योंकि एक आप ही हैं, जो इस वक्त मेरी मदद कर सकते है”। 

बीरबल के जवाबों की गहराई सुनकर अकबर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें ईमान में बहुत सारा धन दिया। 

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8. गरीब किसान ने कुआं खरीदा 

आगर में एक गरीब किसान ने खेती करने के लिए एक अमीर किसान से कुआं खरीदा, लेकिन पूरी कीमत चुकाने के बाद भी उसने किसान को पानी इस्तेमाल नहीं करने दिया। इस बात की शिकायत लेकर वह व्यक्ति बादशाह अकबर के दरबार में पहुंचा। मामले की समझाइश के लिए दोनों व्यक्तियों को राज दरबार में पेश किया गया। 

किसान बोला – “जहांपनाह, मैंने इस व्यक्ति को कुएं की पूरी कीमत दी है, लेकिन फिर भी यह मुझे उसका पानी इस्तेमाल नहीं करने दे रहा है।”

इस पर अमीर जमींदार बोला – जी जहांपनाह, ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने इसे केवल कुआं बेचा है, उसका पानी नहीं। तो मैं उसे ये पानी इस्तेमाल नहीं करने दूंगा। अगर उसे पानी चाहिए तो उसे अतिरिक्त पैसा देना होगा”। 

बीरबल भी दोनों की बातों को ध्यान से सुन रहे थे। अकबर ने बीरबल की तरफ देखा, तभी बीरबल बोले – “अच्छा,तुमने कुआँ तो बेच दिया, लेकिन पानी नहीं बेचा। तो इस हिसाब से ये कुआं इस किसान का हुआ। अब तुम एक काम करो, या तो आज के आज इस पानी को हटा दो, या फिर किसान को पानी रखने के बदले में किराया दो। 

बीरबल की बात सुनकर जमींदार को अहसास हो गया, कि अब उसकी चालाकी यहां नहीं चलेगी। उसने पूरा कुआं किसान को सौंप दिया। आखिरकार बीरबल के चतुराई भरे उपाय से न्याय हुआ, यह देखकर बादशाह अकबर भी बहुत खुश हो गए। 

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9. चोर की दाढ़ी में तिनका 

एक बार की बात है, एक किसान अपनी फरियाद लेकर अकबर के दरबार में आया । उसका कहना था, की गांव के किसी व्यक्ति ने उसका बेशकीमती तरबूज चुरा लिया है। वह चाहता था, कि तरबूज के चोर को पकड़ा जाए। अकबर ने मामले को सुलझाने के लिए बीरबल को बुलाया। 

बीरबल ने पूरे मामले को ध्यान से सुना, और चोर का पता लगाने के लिए एक अनोखी तरकीब लगाई। उसने गांव के सभी लोगों को एक ही लंबाई की छड़ी लाने को कहा, और सभी के सामने उन छड़ियों पर एक मंत्र फूंकते हुए बोले –  चोर की छड़ी रातों-रात जादुई रूप से बड़ी हो जाएगी। 

अगले दिन, बीरबल ने सभी गांव वालों को बुलाया और छड़ियों का निरीक्षण किया। इसी दौरान बीरबल ने पाया कि एक व्यक्ति की छड़ी बाकियों की तुलना में छोटी है। उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति को पकड़ा और पूछताछ शुरू की। 

आखिर में उस व्यक्ति ने कबूल किया कि, उसी ने उस तरबूज की चोरी की है। और उसे डर था कि उसकी छड़ी बढ़ जाएगी l, इसी डर की वजह से उसने छड़ी को। काट दिया था।  बीरबल की चतुराई से किसान का चोर पकड़ा गया। 

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10. बीरबल की चतुराई 

काफी दिनों के बाद बादशाह अकबर ने बीरबल ने की परीक्षा लेने की सोची। उन्होंने फर्श पर एक रेखा खींची और बीरबल को चुनौती दी कि, वह इसे मिटाए और बिना स्पर्श किए छोटी करके दिखाए। 

बीरबल ने पहले तो थोड़ी देर सोचा, लेकिन फिर उसने एक चौक ली और उस रेखा के बगल में ही एक लंबी रेखा खींच दी। फिर उसने अकबर से कहा, “देखिए जहांपनाह, अब आपकी खींची गई लाइन खुद ब खुद छोटी हो गई है, जबकि मैंने इसे न तो छुआ है, और ना ही इसे मिटाया है।”

अकबर ने जब दोनों रेखाओं को देखा, तो पहली रेखा अब दूसरी की तुलना में छोटी लग रही थी। अकबर को अब बीरबल की चतुराई समझ आ गई थी। आज बीरबल ने बादशाह अकबर को एक अनोखी सीख दी थी, की किसी चीज का असली मूल्य तभी स्पष्ट हो सकता है जब किसी दूसरी चीज से उसकी तुलना की जाए। 

बीरबल की चतुराई देखकर अकबर बहुत खुश हुए और बोले, “तुमने आज साबित कर दिया है, की अपनी बुद्धिमानी से तुम हर परेशानी को हल कर सकते हो। हमें गर्व है, की तुम हमारे नवरत्नों में शामिल हो। अकबर की बात सुनकर बीरबल बहुत प्रसन्न हो गए। 

निष्कर्ष : 

अकबर और बीरबल की कहानियां और किस्से सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है। ये कहानियां हास्य, बुद्धिमानी और दोस्ती की एक अनोखी मिसाल हैं। ये कहानियां आपके बच्चों को नैतिक सीख के साथ साथ उन्हें आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेंगी। 

उम्मीद है, ये कहानियां आपको पसंद आई होंगी। कहानियां अच्छी लगी हो, तो इन्हें अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। साथ ही हमें कमेंट करके बताए कि आपको इनमें से कौनसी कहानी सबसे ज्यादा अच्छी लगी। 

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