अधूरे प्यार की कहानी: एक अधूरी मोहब्बत

कहते हैं कि जिनसे आप बेइंतहा मोहब्बत करते है, किस्मत कभी उन्हें आपके हिस्से नहीं आने देती। लेकिन क्या किस्मत दो लोगों के दिलों में पलने वाले प्यार को रोक सकती है? इस सवाल का जवाब है, “नहीं”। 

प्यार एक ख़ूबसूरत अहसास है जो शरीर से परे आत्मा से जुड़ा होता है। इसी अहसास को महसूस करवाने के लिए आज हम आपको सुनाएंगे अधूरे प्यार की कहानी। जहां दो लोग एक दूसरे को बेतहाशा चाहते थे, लेकिन वक्त और हालात ने उन्हें कभी एक नहीं होने दिया। यह कहानी आपको इमोशनल कर सकती है, हो सकता है आपको भी अपने प्यार की याद आ जाए, तो इसे आराम से पढ़िएगा। चलिए शुरू करते हैं….

उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में विराज का जन्म एक अमीर जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पास करोड़ों की संपत्ति थी, और वह घर में हर किसी का लाडला था। 

 बचपन से ही उसके दिल के सबसे क़रीब थी उसकी पड़ोसन निशा। दोनों बचपन में साथ खेलते। घर घर खेलते समय निशा हमेशा विराज की पत्नी बनती थी। निशा हमेशा कहती, “ विराज, बड़े होकर हम शादी करेंगे और शहर के बाहर हमारा एक घर होगा।” 

वक्त के साथ जवान होता गया विराज और निशा का प्यार 

समय बीता, दोनों अब बड़े होने लगे। विराज को उसके घरवालों ने पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज दिया। उस समय फोन नहीं होते थे, ऐसे में निशा विराज को चिट्ठियां लिखा करती थी। विराज ने भी उसके खेतों का जवाब दिया, जिन्हें पाकर निशा बहुत ज्यादा खुश थी। वह एक खत को दिन में पांच – पांच बार पढ़ती थी। निशा बचपन से ही विराज को अपना सबकुछ मान चुकी थी। 

सालों बाद जब विराज अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने घर लौटा तो निशा की खुशी का ठिकाना नहीं था। वह अब जवान हो चुकी थी, उसके साथ ही विराज के लिए उसका प्रेम भी जवान हो चुका था। सालों बाद जब विराज ने निशा को देखा तो उसकी खूबसूरती उसके मन में बस गई। सालों विदेश में रहकर उसने भी निशा दिन रात याद किया था। दोनों अब एक दूसरे के प्रेम में डूब चुके थे। 

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झूठी शान ने थोड़ा निशा का दिल 

अपनी बेटी के प्रेम को देखकर निशा की मां विराज के यहां अपनी बेटी का रिश्ता लेकर गई। लेकिन ज़मींदार पिता ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा, “ क्या तुम अपनी औकात भूल गई हो, जो अपनी बेटी का रिश्ता यहां लेकर आई हो? हम जमींदार लोग अपनी बराबरी देखकर रिश्ता तय करते हैं। तुम लोग अपने घर की लड़कियों को क्या यही सिखाते हो, कि वो अमीर लड़कों पर डोरे डालें?” 

विराज के पिता की ऐसी अपमानजनक बातें सुनकर निशा की मां का दिल टूट गया। यह अपमान अब उसकी माँ के दिल में आग बनकर धधक उठा। उसने तय किया कि अब वह निशा का विवाह एक और भी बड़े घराने में करेगी।

विराज, जो मन ही मन निशासे विवाह करना चाहता था, परिवार के दबाव और अपनी झिझक के कारण उस समय कुछ न बोल सका। और जब उसे अहसास हुआ कि वह निशा के बिना रह नहीं सकता तब तक बहुत देर हो चुकी थी। निशा की मां ने उसका विवाह ठाकुर विक्रम सिंह के साथ तय कर दिया था, जो पैसे और जमींदारी में विराज के परिवार से बहुत बड़े थे। 

निशा का दिल टूट चुका था, ऐसे में अपनी माँ के मान-सम्मान की खातिर चुपचाप शादी के लिए हां कर दी। शादी वाले दिन विराज उससे मिलने आया। अपने प्रीतम से बिछड़ने का दुख उसकी आंखों से आंसू बनकर बहने लगा। उसने निशा से कहा, “क्या तुम यह शादी करने से मना नहीं कर सकती? मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगा।” 

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शराब के नशे में डूबा विराज 

निशा जो विराज के प्रेम में खुद को खो चुकी थी, यह पल उसके लिए भी आसान नहीं था। लेकिन अपनी मां के। खातिर उसने अपना प्यार छोड़कर कर्तव्य को अपना लिया। निशा की शादी के बाद विराज पूरी तरह से टूट गया। अपने ग़म को भुलाने के लिए वह शराब के नशे में डूब गया। 

अब वह दिन रात शराब पीता और निशा को याद करता रहता। उधर निशा के पास सबकुछ होते हुए भी अंदर से वह बिल्कुल अकेली थी। उसका पति उम्र में उससे बहुत बड़ा था और उसने केवल बच्चों की देखभाल के लिए उससे शादी की थी। इतनी बड़ी हवेली में अकेलापन ही उसका साथी था। 

निशा जब भी अपने पीहर आती तो वह विराज के बारे में हमेशा पूछती। जब उसे उसके पीने की आदत के बारे में पता चला तो उसने उसे समझाया कि वह शराब छोड़ दे। लेकिन उससे अलग होने का गम विराज को इस कदर खाए जा रहा था कि वह पूरी तरह से शराब के नशे में डूब गया। 

अधूरा रह गया निशा और विराज का प्यार 

एक दिन जब विराज को लगा कि वह अब और भी जी पाएगा तो वह निशा से मिलने उसकी हवेली जा पहुंचा। लेकिन परिस्थितियों ने फिर से दोनों को अलग कर दिया। निशा अपने घर की दहलीज़ पार न कर सकी, क्योंकि उसी में उसके पति और परिवार का सम्मान था। आखिरकार विराज ने निशा की दहलीज पर आकर अपने प्राण त्याग दिए। 

अंदर निशा को जैसे दिल की आवाज़ सुनाई दी। वह दौड़कर बाहर आई, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी आँखों के सामने विराज की निष्प्राण देह पड़ी थी। अपने प्यार को मृत देखकर निशा पूरी तरह से टूट गई और बिलख बिलख कर रोने लगी। समाज के डर और झूठे मान-सम्मान के कारण विराज और निशा की प्रेम कहानी अधूरी रह गई। 

उम्मीद है अधूरे प्यार की यह कहानी आपको पसंद आई होगी। कहानी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। अगर आपके पास भी अधूरे प्यार की कोई कहानी है तो हमें बताएं, हम उसे शब्दों में पिरोने का पूरा प्रयास करेंगे।

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