उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव ओगीपुर में जोशी परिवार रहता था । यह एक संयुक्त परिवार था जिसमें दादा-दादी, उनके दो बेटे – कृष्ण और श्यामलाल , दोनों की पत्नियाँ – रीटा और गोमती, और उनके चार बच्चे (सोनू, मोनू, रवि और इशिता) एक ही छत के नीचे रहते थे।
संयुक्त परिवार का प्यार
परिवार काफी बड़ा था, लेकिन उनके संस्कार उससे भी ज्यादा बड़े थे। कृष्ण के पिता हमेशा कहा हमेशा कहा करते थे, “हमारा परिवार एक पेड़ है, जिसकी शाखाएं अलग हो सकती हैं, लेकिन जड़ें एक ही हैं।”
कृष्ण और श्यामलाल घर चलाने के लिए खेती किया करते थे। दिनभर दोनों भाई खेतों में मेहनत करते और उनकी पत्नियां हाउस वाइफ थी। ऐसे में वो घर के काम करती, साथ ही साथ बच्चों की पढ़ाई में मदद करती। पिछले साल फसल काफी अच्छी हुई थी, जिससे उनके परिवार को काफी मुनाफा हुआ था।
जोशी परिवार की एकता को तोड़ने के लिए बनाया प्लान
जोशी परिवार की एकता को देखकर गांव के कुछ लोग उनसे जला करते थे। वे हमेशा दोनों भाइयों को भड़काने की कोशिश करते, ताकि उनका परिवार टूट जाए । लेकिन गांव वालों की ये मंशा कभी पूरी नहीं हुई।
एक बार गांव के कुछ लोगों ने दोनों भाइयों को लडाने के लिए चुपके से उनके खेत में आग लगा दी। जिसकी वजह से खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई। खेतों में आग की खबर सुनकर दोनों भाई दौड़ते हुए खेतों पर पहुंचे।
श्यामलाल ने कृष्ण से कहा – “भैया, हमारी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई, अब हमारा क्या होगा? शायद इसमें मेरी गलती है, घर जाते समय मैंने ट्यूबवेल का तार सही से चेक नहीं किया होगा, तभी शॉर्ट सर्किट से ये हादसा हुआ। मुझे माफ कर दो। यह कहकर श्यामलाल जोर–जोर से रोने लगा “
कृष्ण ने श्यामलाल को समझाया और बोला – “ तुम चिंता मत करो, हम मिलकर कुछ न कुछ जरूर कर लेंगे। और इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, तुम खुद को दोष मत दो।”
जिन बदमाश लोगों ने खेतों में आग लगाई थी, वो दोनों भाइयों की बातें सुन रहे थे। तभी एक बोला – “ऐसे समय में भी ये दोनों भाई लड़ नहीं रहे हैं”। तभी दूसरा बोला, “कहीं इन्हें पता न चल जाए कि ये आग शॉर्ट सर्किट की वजह से नहीं, बल्कि हमने लगाई है? चलो जल्दी जल्दी यहां से चलते हैं”।
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बच्चों ने सुनी बदमाशों की बात
बदमाशों की ये बात सोनू और मोनू ने सुन ली। दोनों बच्चों ने समझदारी से काम लिया और जाकर पूरी बात अपने दादाजी को बता दी। शाम को जब कृष्ण और श्यामलाल उदास होकर घर लौट तो, उनके पिताजी ने परिवार की एक बैठक बुलाई, और बोले – “ यह आग किसी गलती की वजह से नहीं लगी, बल्कि हमारे गाँव के कुछ बदमाशों ने लोगों ने लगाई है, हमारे बच्चों ने खुद ये बात सुनी है।”
इसके बाद सोनू और मोनू ने सबको उन बदमाशों की बात बताई। मोनू बोला – “ये काम पीछे की गली में रहने वाले रामू काका के लड़के मोहन भैया और उनके दोस्तो का है। हमने खुद उनकी बातें सुनी हैं”।
बच्चों की बात सुनकर कृष्ण और श्यामलाल दोनों चौंक गए, लेकिन फिर शांत स्वर में बोले कहा, “अगर ये सच है, तो इसका जवाब भी हमें अपने तरीक़े से देना होगा”।
पंचायत ने दोषियों को सजा सुनाई
जोशी परिवार ने अगले दिन पंचायत बुलाई और गांव के पंचायत प्रमुख के सामने अपनी बात रखी। सबूत के तौर पर सोनू और मोनू की गवाही दी गई। इसी के साथ बिजली के तारों को भी चेक करवाया गया, जिनमें शॉर्ट सर्किट जैसी कोई घटना नहीं दिखी। इसी दौरान गाँव के कुछ और लोग भी सामने आए, जिन्होंने बताया कि उन्होंने उन बदमाशों को खेत के पास देखा था।
सभी लोगों की बातें सुनने के बाद दोषियों को पंचायत में पेश किया गया। थोड़ी देर तो उन लोगों ने झूठ बोला, लेकिन जब सारे सबूत उनके सामने पेश हुए तो वे बेपर्दा हो गए। पंचायत ने उन्हें माफी मांगने और नुकसान की भरपाई के लिए एक साल तक जोशी परिवार के खेतों में मजदूरी करने की सजा सुनाई।
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एकता की मिसाल बना जोशी परिवार
पंचायत के फैसले से जोशी परिवार खुश था, लेकिन इस आग से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई थी। जोशी परिवार ने भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने खेत दोबारा तैयार किए और नए सिरे से खेती करना शुरू किया । श्यामलाल ने भी खाली समय में गाँव के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया, ताकि घर में राशन आ सके।
गोमती और रीटा ने घर का खर्च संभालने के लिए अचार और पापड़ बनाने का बिजनेस शुरू किया। चारों बच्चों ने बिजनेस की मार्केटिंग की। देखते देखते समय बीतने लगा और जोशी परिवार की आर्थिक हालत फिर से ठीक हो गई।
खेतों में फिर से फसल लहलहाने लगी, और गोमती और रीटा का बिजनेस भी चलने लगा। जोशी परिवार की एकता ने उन्हें इतने बड़े आर्थिक संकट से बचा लिया। अब गांव में इस परिवार की एकता के चर्चे होने लगे, और हर कोई अपने बच्चों को उनके परिवार की मिसाल देने लगा ।
अगर आप अपने बच्चों को संयुक्त परिवार का महत्व सिखाना चाहते है, तो आप उन्हें ये Family Story In Hindi पढ़कर सुना सकते हैं।
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