Hathi Aur Darji Ki Kahani: The Elephant And The Tailor Story

नैतिक कहानियों के सफर में आज हम आपको सुनाएंगे हाथी और दर्जी की कहानी, जहां एक दर्जी के बेटे की शरारत उसे बहुत भारी पड़ती है। इस कहानी में एक हाथी है, जो काफी मिलनसार और नेकदिल है। लेकिन आखिर उसके साथ ऐसा क्या होता है, जो वह दर्जी की दुकान को कीचड़ से भर देता है? जानने के लिए कहानी को पूरा जरूर पढ़ें….

प्रेमपुरा गांव में बहुत सारी दुकानें थीं, जिनमें एक दुकान लालादर्जी की भी थी। लाला दर्जी बहुत दयालु और ईमानदार था। आज तक उसने अपने ग्राहकों से कपड़ों की कीमत में कोई गबन नहीं किया था। उसकी इस ईमानदारी को देखकर हर कोई उससे प्रसन्न था। 

हाथी और दर्जी की दोस्ती हुई 

एक दिन गांव में एक भूखा हाथी आया। वो बहुत सारी दुकान पर गया, लेकिन किसी ने उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया। खाने की तलाश में वह लाला दर्जी की दुकान पर जा पहुंचा। दुकान पर पहुंचकर हाथी ने ऐसे अपनी सूंड फैलाई, मानो वह उससे खाने को मांग रहा हो। 

हाथी को देखकर दर्जी समझ गया, की वह भूखा है। उसने पास कुछ केले रखे थे, जो उसने हाथी को खाने के लिए दे दिए और उसकी सूंड पर हाथ फेरने लगा। खाना पाकर हाथी बहुत खुशी गया। 

उस दिन के बाद से हाथी रोज दर्जी की दुकान में आने लगा। लाला दर्जी को भी उसका रोज आना पसंद था, ऐसे में वह रोज उसके लिए अलग अलग तरह के रंग लाता। इसके बदले में हाथी कई बार उसे अपनी पीठ पर बिठाकर सैर पर ले जाता, तो कभी अपनी सूंड में भरकर उसके लिए पानी ले आता। दोनों के बीच अब बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी। 

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दर्जी के बेटे ने की हाथी के साथ शरारत 

एक दिन दर्जी को किसी काम से शहर जाना पड़ा। ऐसे में दुकान पर उसने अपने बेटे को बिठा दिया। शहर जाते हुए उसने अपने बेटे को कुछ केले दिए और कहा, “ बेटा दुकान पर एक हाथी आयेगा, ये सारे फल तुम उसे खिला देना।”

दर्जी के सामने उसके बेटे ने हां कर दी, लेकिन वह बहुत ज्यादा शरारती था। अपने पिता के जाते ही उसने सारे केला खुद खा लिया। जब हाथी उसकी दुकान पर आया और केले खाने के लिए उसने अपनी सूंड आगे की, तो उसके मन में शरारत सूझी। उसने हाथी की सूंड में सुई चुभो दी। 

सुई चुभते ही हाथी दर्द से बिलबिला उठा। हाथी को दर्द में देखकर दर्जी के बेटे को बहुत मजा आया, वह जोर जोर से हंसने लगा और ताली बजाने लगा।। यह देखकर हाथी को बहुत ही गुस्सा आया। 

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हाथी ने सिखाया सबक 

पहले तो अपना दर्द शांत करने के लिए वह नदी की ओर भागा। वहाँ जाकर उसने अपनी सूंड कुछ देर के लिए ठंडे पानी में डाल तो उसे राहत महसूस हुई। हाथी ने उस शरारती बच्चे को सबक सिखाने का निर्णय किया। 

पड़ोसी के नाले से उसने अपनी सूंड में बहुत सारा कीचड़ भर लिया, और दर्जी की दुकान की तरफ बढ़ा। दर्जी का लड़का हाथी को अपनी ओर आता देखकर डर गया, और एक बड़ा सा डंडा लेकर खड़ा हो गया। 

हाथी के पास आने पर बच्चे ने जैसे ही उसे मारने के लिए डंडा उठाया, हाथी ने अपनी सूंड में भरा सारा कीचड़ उस पर उड़ेल दिया। दर्जी का बेटा अब पूरी तरफ से कीचड़ से सन चुका था, वहीं कीचड़ के छींटों से दुकान के कुछ कपड़े भी गंदे हो गए थे। 

उसी समय दर्जी भी शहर से अपना काम निपटाकर दुकान पर लौटा। लेकिन दुकान और अपने बेटे की हालत देखकर वह चौंक गया। उसने अपने बेटे से पूछा, तो बेटे ने सारी बात बता दी।

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बच्चे को हुआ अपनी गलती का अहसास 

बेटे की बात सुनकर दर्जी ने उसे डांटा और उसे समझाया कि, तुम्हारे बुरे बर्ताव की वजह से ही हाथी ने तुम्हारे साथ ऐसा किया है। दर्जी के बेटे को उसकी गलती का एहसास हुआ। अगले दिन दर्जी हाथी के पास गया, और उसके शरीर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला, “मेरे बेटे से गलती हो गई, अब से वो कभी ऐसा नहीं करेगा। कृपया उसे माफ कर दो।” 

यह कहकर दर्जी और उसके बेटे ने उसे केले और अन्य फल खिलाये, जिससे हाथी और उसकी दोस्ती हो गई। इस दिन के बाद दर्जी के बेटे ने शरारत करना छोड़ दिया और सबके साथ अच्छा व्यवहार करने लगा।

सीख : 

  • जैसे को तैसा 
  • बुरे काम का बुरा नतीजा ही होता है 

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