माया: एक रात की चाहत, हमेशा की मौत

माया, एक लड़की जिसे हर कोई पाना चाहता लेकिन आज तक जिस किसी ने भी उसे पाने की चाहत की, वो अपनी जान से हाथ धो बैठा। आखिर माया में ऐसा क्या था, जानने के लिए कहानी को पूरा पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं….

रात के दो बजे रहे थे, हवाओं में अजीब सी नमी थी। आसमान में काले बादल गरज रहे थे। गांव की नदी आज आज उफान पर थी। ऐसे में कैलाश शहर से मजदूरी करके अपने गांव लौट रहा था। वह गांव का एक भोला भाला सा लड़का था, जो शहर में मजदूरी करके अपने परिवार को पाल रहा था। 

कैलाश के पास एक पुरानी साइकिल थी, जिसे आज वो बहुत तेजी से चला रहा था, क्योंकि उसे गांव पहुंचने की जल्दी थी। उसकी जेब में एक छोटा सा तोहफा था और दिल में मिलन का इंतजार। आज उसकी और चंद्रमुखी की शादी की सालगिरह थी। वह अपनी पत्नी की सरप्राइस देना चाहता था। 

कैलाश को शहर से निकलने में देर हो गई थी। ऐसे में चारों तरफ अंधेरा और सन्नाटा छा गया था। रास्ता वीरान था, ऐसे में उसने अपने मोबाइल की टॉर्च को साइकिल की हैडलाइट बना दिया था। 

वह तेजी से चल रहा था, तभी अचानक मोबाइल बजा। यह चंद्रमुखी का फोन था। कैलाश ने फोन उठाया और बोला, “ हां बोलो” ।

चंद्रमुखी ने घबराई आवाज़ में कहा, “कहाँ पहुँचे हो? उस नदी के पास तो नहीं हो ना?”

कैलाश बोला, “बस नदी पार कर लूं, फिर सीधा तुम्हारे पास आ जाऊंगा।”

चंद्रमुखी ने डर के मारे धीरे से कहा,” कैलाश, प्लीज़ जल्दी आओ, लेकिन नदी के पुल से मत आना। वो जगह सही नहीं है, माँ कहती थीं वहाँ एक जवान औरत की आत्मा भटकती है जो जवान मर्दों को अपना निशाना बनाती है।”

कैलाश ने हंसकर बोला, “अच्छा ऐसा क्यों है?”

चंद्रमुखी ने बताया, “ कहते है सालों पहले माया नाम की एक लड़की थी, जिसे उसके बॉयफ्रेंड ने धोखा दिया। धोखे से परेशान होकर लड़की ने नदी के पुल से कूदकर अपनी जान दे दी। तब से उसकी आत्मा वहीं भटक रही है। अब माया रोज राज लड़कों को अपने प्रेम के जाल में फंसाती है और उन्हें मौत के घाट उतार देती है”। 

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यह सुनकर कैलाश जोर से हंसने लगा और बोला, “देखो l, मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता हूं, और इन बातों को छोड़ो और तुम तैयार हो जाओ। आज हमारी शादी की साहगिराह है, आज में तुम्हारे लिए एक ऐसा तोहफा लाया हूं, जिसे देखकर तुम झूम उठोगी।” 

यह कहकर कैलाश ने फोन काट दिया और मन ही मन हंसने लगा, “ पता नहीं चंद्रमुखी भी आज के ज़माने में कैसी बातों पे विश्वास करती है। कहती है कोई आत्मा है, मुझे तो आजतक नहीं दिखी। रोज तो में इसी रस्ते से जाता हूं”। 

कैलाश अब पुल पर पहुँच चुका था। तभी ठंडी हवा का एक झोंका उसे छूकर निकला, और उसकी नजर नदी के दूसरी तरफ खड़ी लड़की पर पड़ी। लड़की ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, वो इतनी खूबसूरत थी कि चाँद भी शर्मा जाए। लंबे खुले बाल, गीली पलकों पर नमी, और होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान।

उस लड़की में अजीब सी कशिश थी, कैलाश ना चाहते हुए भी उसके पास खिंचा चला गया। कैलाश ने धीरे से कहा, “इतनी रात को… तुम यहाँ अकेली क्या कर रही हो? क्या तुम रास्ता भटक गई हो? 

यह लड़की ने धीरे से मुस्कुराकर इशारा किया—“इधर आओ…”

कैलाश जैसे सम्मोहित हो गया था। वह साइकिल छोड़कर  उसकी तरफ बढ़ा। 

“तुम्हारा नाम…?” कैलाश ने धीरे से पूछा। लड़की ने कैलाश के बेहद ही करीब आकर कहा, “माया” 

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लड़की की सांसे कैलाश की गर्दन से टकराईं। कैलाश की धड़कनें तेज़ हो गईं। वो माया के बेहद करीब आ गया। माया ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, “तुम्हारे हाथ गर्म हैं… लेकिन तुम्हारा दिल?”*

कैलाश ने सांसे रोककर कहा, “तुम… तुम क्या चाहती हो?”

माया ने धीरे से कहा, “सिर्फ आज रात का साथ।” यह कहकर उसने कैलाश को अपनी बाहों में जकड़ लिया। 

माया की चाहत में कैलाश सब भूल गया—*चंद्रमुखी*, सालगिरह, घर… सबकुछ। उसने भी अपनी बांहे कस ली। लेकिन फिर अचानक, माया की आँखें बदलने लगीं। वो गहरे काले रंग की हो गईं। 

कैलाश ने घबराकर पूछा,“त…त….तुम कौन हो?”

“वहीं जिसका जिक्र तुम्हारी पत्नी ने किया था”, माया ने हंसते हुए कहा। 

कैलाश ने अब पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। 

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माया अब अपने असली अवतार में आ गई। वह हवा में तैरने लगी, उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान फैल गई। अचानक तेज़ हवाएँ चलने लगीं, जैसे पूरा जंगल उसके इशारे पर थिरक रहा हो।

माया हंसते हुए बोली, “अब तू कभी वापस नहीं लौट पाएगा”। कैलाश मदद के लिए चीखना चाहता था… पर उसकी आवाज़ गले में ही रुक गई। और फिर अचानक से जंगल में अंधेरा छा गया और तेज बारिश शुरू हो गई। 

अगली सुबह, जब चंद्रमुखी उसे तलाशने नदी के पुल पर गई, तो उसे नदी किनारे सिर्फ एक टूटा हुआ गिफ्ट और साइकिल की घंटी मिली।

कहते हैं चंद्रमुखी आज भी हर साल उस पुल पर एक दिया जलाती है… शायद कैलाश लौट आए… या फिर माया उसे छोड़ दे।

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