जंगल का राजा शेर न सिर्फ अपनी शक्ति के लिए जाना जाता है, बल्कि पुरानी लोककथाओं और Moral Stories में भी शेर एक मुख्य पात्र रहा है। पंचतंत्र की कहानियों जैसे ग्रंथों में तो बहुत सारी शेर की कहानियों का जिक्र किया गया है। इन कहानियों में शेर कभी एक अच्छा राजा बन जाता है, तो कभी अपनी अहंकार की वजह से सीख लेने वाला पात्र।
मजे की बात तो यह है कि ये कहानियां न सिर्फ मनोरंजन करती हैं, बल्कि जीवन में सही निर्णय, मित्रता, चालाकी और नैतिकता जैसे मूल्यों को भी सिखाती हैं। तो अगर आप अपने बच्चों को कहानियों के माध्यम से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, तो आप उन्हें ये शेर की कहानी पढ़कर जरूर सुनाए….
Sher Ki Kahani: नैतिक शिक्षा से भरपूर 3 शेर की कहानियां
1. शेर और गाय की कहानी

विराटनगर में एक ब्राह्मण के पास रूपा नाम की एक गाय थी। वह गाय रोज जंगल में हरी घास चरने जाती और शाम होते–होते वापस आ जाती थी। एक दिन रूपा घास चरते चरते बाकी गई बाकि गायों से अलग हो गई। आज उसे घास इतनी अच्छी लग रही थी, की वह कब शेर की गुफा के पास पहुंच गई, उसे पता ही नहीं चला।
शेर अपनी गुफा में सो रहा था, लेकिन उसे जैसे ही किसी जानवर के चलने की आहट हुई, तो वह गुफा के बाहर आया। गुफा के बाहर गाय को देखकर शेर ने सोचा – “अरे वाह, आज तो खुद शिकार चलकर शिकारी के पास आया है। इसका शिकार करके तो मुझे दो दिन तक शिकार करने की जरूरत बिल्कुल नहीं पड़ेगी।”
ये सोचकर उसने तेज दहाड़ लगाई, जिसे सुनकर रूपा गाय डर गई। रूपा ने देखा कि उसके आस पास कोई भी गाय नहीं है। जैसे ही वो वहां से भागने के लिए पीछे मुड़ी शेर उसके सामने आ गया।
शेर ने रूपा से कहा – “मैं कई दिनों से भूखा हूं, मुझे कोई शिकार मिल ही नहीं रहा था। लेकिन आज तुम खुद मेरे पास चलकर आई हो। अब तो मैं तुम्हें मारकर अपना पेट भरूंगा।”
शेर की बात सुनकर रूपा डर गई और रोते हुए बोली – “भगवान के लिए मुझे जाने दो, मेरा एक महीने का बच्चा है जो अभी सिर्फ मेरा दूध पीता है
और उसे अभी तक घास खाना नहीं आया है।”
रूपा की बात सुनकर शेर ने हंसते हुए कहा – क्या तुम मुझे पागल समझती हो? मैं एक शिकारी हूं, मैं अपने हाथ में आए शिकार को ऐसे ही जाने नहीं दूंगा ? मैं तुम्हें अपनी दो दिनों की भूख मिटाऊंगा।”
शेर की बात सुनकर रूपा जोर जोर से रोने लगी, और विनती करते हुए बोली – चलो ठीक है तुम मुझे खा लेना, लेकिन आज तो मुझे अपने बच्चे को आखिरी बार देख लेने दो। मैं उसे दूध पिलाकर, सुबह सुबह तुम्हारे पास आ जाऊंगी। फिर तुम मुझे खा लेना और अपना भूखा पेट भर लेना।”
रूपा को रोता देख शेर का दिल पसीज गया। उसने कहा – “ ठीक है, लेकिन तुम मुझे वादा करो कि तुम वापस आओगी, अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो मैं गांव में आकर तुम्हे और तुम्हारे बेटे दोनों को खा जाऊंगा।” रूपा ने शेर से वादा किया और वहां से चली गई। शेर भी चुपचाप उसका पीछा करने लगा, कि अगर गाय ने उसके साथ धोखा करने की कोशिश की तो वह तुरंत उसे मार देगा।
रात के समय रूपा अपने घर पहुंची, उसका बच्चा काफी देर से उसकी रहा देख रहा था। लेकिन रूपा को सामने देखकर वो खुश हो गया, और आकर अपनी मां से चिपक गया। रूपा प्यार से उसके शरीर को चाटने लगी, और उसे अपना दूध पिलाया। थोड़ी देर बाद रूपा ने रोते–रोते अपने बछड़े को शेर के साथ हुई सारी घटना बताई।
रूपा बोली – मुझे शेर के पास जाना होगा, तो अबसे तुम्हे खुद ही अपना ध्यान रखना होगा। अपनी मां की बात सुनकर बछड़ा जोर जोर से रोने लगा। शेर दोनों की बातों को काफी ध्यान से सुन रहा था। अगले दिन सुबह–सुबह अपने बच्चे को सोता हुआ छोड़कर शेर के पास चली गई। गुफा के बाहर जाकर उसने शेर को आवाज दी और कहा – “अपने वचन के अनुसार मैं तुम्हारे पास आ गई हूँ। अब तुम मुझे खा सकते हो।”
गाय की आवाज सुनकर शेर बाहर आया और बोला –” तुमने अपना वचन निभाया ये, देखकर मैं बहुत खुश हूं। लेकिन तुम्हारी ममता को देखकर मैं पिघल गया हूं। तुम अब अपने घर और बछड़े के पास वापस जा सकती हो। मैं अपने लिए कोई और शिकार ढूंढ लूंगा। लेकिन हां, ध्यान रहे अगली बार तुम मुझे यहां ना दिखो, क्योंकि तब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।”
शेर की बात सुनकर रूपा खुश हो गई और दौड़कर अपने बेटे के पास चली गई। उसका बेटा उसे देखकर बहुत खुश हुआ।
👉 सीख :
- सच्चाई और ममता भरे व्यवहार से किसी का भी दिल जीता जा सकता है।
- हर हाल में अपना वचन निभाना चाहिए।
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2. शेर और लालची ब्राह्मण

बहुत समय पहले की बात है, गांव में धनीराम नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही लालची था। अपने यजमानों को वो खूब लूटता था। वहीं दूसरी और गांव के पास के जंगल में एक शेर रहता था, जो काफी बूढ़ा हो गया था। अब उसमें शिकार करने की हिम्मत नहीं बची थी, ऐसे में उसने ब्राह्मण को अपने जाल में फंसाने की योजना बनाई।
एक दिन शेर घायल होने का नाटक करके रास्ते में लेट गया। तभी लालची ब्राह्मण उस रास्ते से गुजरा। शेर को। देखकर पहले तो ब्राह्मण डर गया, तभी शेर बोला – ” है ब्राह्मण देव, मैं बूढ़ा और बीमार हूँ। अब शिकार नहीं कर सकता। क्या तुम मेरी सेवा करोगे? तुम्हे मुझसे डरने की जरूरत नहीं है, और इसके बदले मैं तुम्हें बहुत सारे सोने के सिक्के दूंगा। मेरी गुफा में बहुत सारा खजाना है”।
शेर की बात सुनकर ब्राह्मण थोड़ा रुक गया, और सोचने लगा – “क्या मुझे इसकी मदद करनी चाहिए?” ब्राह्मण ये सोच ही रहा था,की तभी शेर ने उसे एक। सोने का कड़ा दिखाया। दरअसल शेर को पता था, कि ब्राह्मण उसपर ऐसे तो विश्वास नहीं करेगा, इसलिए पिछली बार शिकार लिए गए व्यक्ति का कड़ा वह अपने साथ लेकर आया था।
कड़े को देखकर ब्राह्मण के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि शेर की हालत तो है नहीं कि वो मुझे मार सके और ये इतना बूढ़ा हो चुका है, कि थोड़े दिन का ही मेहमान है। ऐसे में उसने शेर से वो कड़ा लिया और उसकी सेवा करने का वादा किया।
थोड़े दिन ब्राह्मण ने शेर के लिए खाने का इंतजाम किया। लेकिन अब उसका लालच बढ़ रहा था। कुछ दिनों बाद, ब्राह्मण ने कहा, – “हे वनराज, अब तो मुझे मेरी सेवा का फल मिलना चाहिए। कृपया करके मुझे उस खजाने तक ले चलिए।”
शेर को इसी बात का तो इंतजार था। वह ब्राह्मण को जंगल में ले गया, और उसपर झप्पटा मारा। ब्राह्मण नीचे गिर गया। शेर बोला – मुझे पता था, की तुम लालच में आकर ही मेरी सेवा कर रहे हो। एक सोने के कड़े से तुम्हारा मन नहीं भरा, तुम्हे और ख़ज़ाना चाहिए था। अब यही तुम्हारा अंत है।
ब्राह्मण डर के मारे काँपने लगा और हाथ जोड़कर माफ़ी मांगने लगा। पर शेर ने उसकी एक न सुनी और उसे मारकर खा गया। अंत में ब्राह्मण को अपने लालच का खामियाजा भुगतना ही पड़ा।
👉 सीख:
- लालच बुरी बला है।
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3. शेर और तीन बैल

एक जंगल में तीन बैल रहा करते थे। तीनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे। तीनों हर काम एक साथ ही किया करते थे, फिर चाहे वो खाना खाना हो, या फिर घूमना फिरना हो। उसी जंगल में एक खतरनाक शेर भी रहा करता था। शेर की नजर उन तीनों बैलों पर थी, वह उनका शिकार करना चाहता था लेकिन वो कभी सफल न हो सका।
शेर ने कई बार कोशिश की, लेकिन जब भी वह उनपर हमला करता तो तीनों बैल एक साथ मिलकर उसे भगा देते। शेर समझ गया था कि तीनों एक साथ रहेंगे तो इनका शिकार करना नामुमकिन है। पर वह कुछ भी कर के उन्हें खाना चाहता था। ऐसे में उसने तीनों को अलग-अलग करने की योजना बनाई।
अगले दिन शेर ने जंगल में अफवाह उड़ा दी कितीनों बैलों में एक बैल बाकी दो को धोखा दे रहा है। पहले तो तीनों ने इस बात को नजरंदाज किया। लेकिन जैसे जैसे ये बात बढ़ने लगी, तो तीनों बैलों में मनमुटाव आ गया। उनके मन में शक बैठ गया कि आखिर वो धोकेबाज कौन है, जो हमे धोखा दे रहा है?
एक दिन तो तीनों में धोखे वाली बात को लेकर लड़ाई भी हो गई, और देखते ही देखते ये लड़ाई इतनी बढ़ गई कि तीनों ने अलग रहने का फैसला किया। शेर इस बात से काफी खुश था, क्योंकि वह जो चाहता था, आखिर वो हो गया था।
वहीं तीनों बैलों की दोस्ती अब टूट गई थी। अब तीनों घास चरने भी अलग-अलग जाया करते थे। महीनों से शेर इसी इंतजार में था, की कोई बैल उसे अलग मिले।
एक दिन शेर ने तीनों बैलों में से एक बैल पर हमला कर दिया। बैल अकेला था, वहीं शेर अपने साथ एक साथी को और लेकर आया था, ऐसे में वह उनसे नहीं लड़ सका । दोनों शेरों ने मिलकर बैल को मार दिया, और खूब दावत उड़ाई।
कुछ समय बाद शेर ने दूसरे बैल का भी शिकार कर लिया। अब सिर्फ एक बैल बचा था। एक दिन जब वह जंगल में घास चरने गया, तो शेर ने उसे भी अपना शिकार बना लिया। शेर ने बहुत ही चालाकी से तीनों बैलों की दोस्ती तुड़वाई और फिर एक-एक कर के तीनों अपना शिकार बना लिया।
👉 सीख :
- एकता में शक्ति है।
- दूसरों की बातों में आकर कभी भी अपनी दोस्ती पर शक नहीं करना चाहिए।
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निष्कर्ष :
ये कहानियां हमें सीखने में मदद करती हैं कि किस तरह चालाकी, ईमानदारी और सही निर्णय से कठिन परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। तो अगर आप बच्चों की रात की कहानियां ढूंढ रहे हैं या फिर बड़ों के लिए जीवन की सीख—शेर की कहानियां हर उम्र के पाठक के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
आशा करते हैं कि शेर की कहानियां आपको पसंद आई होगी। इन कहानियों में आपको सबसे अच्छी कहानी कौनसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं, और हां कहानियों को शेयर करना न भूले।
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