छोटे बच्चों की 10 मजेदार कहानियां: मजेदार कहानी इन हिंदी | Funny Story In Hindi

मजेदार स्टोरी इन हिंदी: कहानियां सुनना किसे पसंद नहीं होता? ये हर किसी के बचपन को वो मीठी मीठी यादें समेटे है, जब वे अपनी दादी नानी के मुंह से ये Moral Stories सुना करते थे। ये कहानियां बच्चों के कोमल मन पर एक अमिट छाप छोड़ती है, जो उन्हें जिंदगी से जुड़ी बड़ी–बड़ी सीख भी देती है। 

इसी कड़ी में आज हम आपके सामने लेकर आए हैं 10 मजेदार कहानियां, जिन्हें पढ़कर आपका दिल बाग – बाग हो जाएगा। तो चलिए पढ़ते हैं इन कहानियों को और खो जाते है, रोमांचक कहानियां की दुनिया में…

Top 10 मजेदार कहानियां: Funny Story In Hindi

1. ऊंट और भेड़िए की कहानी 

ऊंट और भेड़िए की कहानी 

एक बार की बात है, नदी के किनारे एक ऊंट और भेड़िया रहते थे। ऊँट बहुत सीधा-साधा और भेड़िया बहुत लालची और मतलबी था। साथ रहते रहते वो दोस्त बन गए थे, खाने की तलाश भी वो साथ करते थे। 

ऐसे में एकदिन भेड़िए को पता चला कि नदी के उस पार किसानों ने तरबूजों की बेल लगा रखी है। सभी पंछी वहां जाकर उनका स्वाद लेते है। वह भी खेत में जाकर तरबूजों का स्वाद लेना चाहता था, लेकिन इसमें एक समस्याएं थी। नदी पार करने का कोई तरीका नहीं था, और उसे तैरना भी नहीं आता। 

ऐसे में उसने एक तरकीब सोची। वह ऊंट के पास गया और बोला – “ऊँट भैया, मैने सुना है नदी के उस पार बहुत सारे तरबूज लगे हैं। सभी जानवर उनका मजा ले रहे हैं, चलो हम लोग भी तरबूज खा कर आते हैं। आप इतने लंबे हो, तो आपको नदी पार करने में दिक्कत भी नहीं होगी, मै भी आपकी पीठ पर बैठकर नदी पार के लूंगा।” 

ऊँट उसकी बातों में आ गया और उसे अपने पीठ पर बैठा कर नदी के उस पार तरबूज के खेतों में ले गया। खेत में लगे तरबूजों को देखकर भेड़िए के मुंह में पानी आ गया। उसने न आव देखा न ताव और खेत में कूद गया। तरबूज वास्तव में भी बहुत मीठे थे, थोड़ी देर में ही भेड़िए का पेट भर गया। अब वह अपने घर जाना चाहता था। ऐसे में उसने ऊंट से कहा – “चलो अब नदी के उस पार चलते है।”

लेकिन ऊंट अभी भी तरबूज खा रहा था, उसने कहा – “अभी मेरा पेट नहीं भरा है, थोड़ी देर में चलते है।” ऊंट की बात सुनकर भेड़िया सोचने लगा – “इसका पेट इतना बड़ा है, अगर सारे तरबूज खा गया तो, हम दुबारा क्या खायेंगे?” इतने में ही उसके मन में एक शरारत सूझी। उसने तरबूजों को तोड़ – तोड़ कर खेत में फेंकना शुरू कर दिया, और चिल्ला चिल्ला के नाचने लगा। 

ऊंट ने उसे रोक पर वह नहीं माना, और कहने लगा कि खाना खाने के बाद मुझे नाचने की आदत है। ऐसे में भेड़िए की आवाज सुनकर किसान वहां आ गया। फसल की बर्बादी देख उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने ऊँट की पिटाई शुरू कर दी, यह देख भेड़िया वहां से भाग गया और नदी के किनारे जा कर रुका।

पिटाई खाने के बाद ऊंट भी बड़ी मुश्किल से वहां पहुंचा। ऊंट को गुस्सा आ रहा था, उसने भेड़िए को सबक सिखाने का सोचा। भेड़िया ऊंट के ऊपर बैठ गया, अब दोनों नदी पार करने लगे। जब दोनों नदी के बीचों बीच पहुंचे तो, ऊंट नदी में बैठ गया। जब भेड़िए ने पूछा कि की वह क्या कर रहा है, तो ऊंट बोला – “मुझे खाना खाने के बाद पानी में बैठने की आदत हैं”, अब मैं तो नदी में बैठूंगा। 

ये कहकर वह नदी में बैठ गया। भेड़िया पानी में बहते-बहते बहुत मुश्किल से किनारे लगा और उसको अपने किए पर पछतावा होने लगा।

सीख: जैसे को तैसा 

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2. अच्छे कर्मों का अच्छा फल 

अच्छे कर्मों का अच्छा फल 

राधा बहुत ही शरारती लड़की थी, लेकिन वह दिल की नेक थी । एक दिन वह स्कूल से अपने घर जा रही थी, कि अचानक रास्ते में उसने एक कुत्ते के बच्चे को घायल अवस्था में देखा। उस पिल्ले के पैर से खून बह रहा था, उसे इस हालत में देखकर राधा का दिल पसीज गया, और वह उसे अपने साथ घर ले आई। 

घर आने के बाद राधा ने अपनी मां के साथ मिलकर उस पिल्ले के जख्मों पर मरहम लगाया और पट्टी की। वह पिल्ला काफी घबराया हुआ था, ऐसे में वह उसके लिए एक छोटा सा बैग और डॉग फूड ले आई। राधा ने उसका नाम भी रखा, टिल्लू। वह प्यार से उसे टिल्लू ही बुलाती थी। 

थोड़े दिनों की देखभाल में ही वह पिल्ला एक दम ठीक हो गया। अब वह पूरा दिन राधा के साथ मस्ती किया करता था l राधा जैसे ही स्कूल से आती, वह उसका इंतज़ार करता रहता। एक दिन उस कुत्ते का असली मालिक उसे ढूंढता–ढूंढता राधा के घर पहुंचा। राधा उसे भेजने को राजी नहीं थी लेकिन उसकी माता-पिता ने उसे समझाया कि, यह उनकी अमानत है तो हमें इसे उन्हें दे देना चाहिए। 

राधा ने अपने माता-पिता की बात मान ली, लेकिन अब वह टिल्लू को बहुत मिस करती। देखते ही देखते 6 महीने बीत गए। एक दिन राधा स्कूल से घर लौट रही थी की, की अचानक एक लड़का उसकी साइकिल छीनने लगा। राधा मदद के लिए चिल्ला रही थी, लेकिन वहां कोई भी व्यक्ति नहीं थी। 

राधा रोने लगी, की इतने में ही वहां एक कुत्ता आया, जिसने उसे लड़के को काटकर वहां से भगा दिया। राधा ने जब उसे कुत्ते को ध्यान से देखा तो, उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। क्योंकि यह कुत्ता कोई और नहीं बल्कि उसका टिल्लू था, जिसकी जान कुछ समय पहले उसने बचाई थी। आज टिल्लू ने राधा की मदद करके उसके अहसानों का कर्ज चुकाया था। 

सीख: मुश्किल समय में हमेशा लोगों की मदद करनी चाहिए। 

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3. चिड़िया और सांप की कहानी 

चिड़िया और सांप की कहानी 

पीपल के पेड़ पर एक चिड़िया का जोड़ा अपने बच्चों के साथ रहता था। एक सांप भी उस पेड़ के नीचे बिल बनाकर रहने लगा। सांप हमेशा चिड़िया के बच्चों को खाने की फिराक में रहता, लेकिन चिड़िया कभी भी अपने बच्चों को अकेला छोड़कर नहीं जाती। 

जब चिड़ा खाना लेने बाहर जाता तो चिड़िया हमेशा अपने बच्चों की निगरानी करती। एक दिन सांप ने पेड़ के ऊपर चढ़ने का फैसला किया। वह पेड़ पर चढ़ ही रहा था कि चिड़िया और चिड़ा ने उसे देख लिया। 

दोनों में उसे रोकने की बहुत कोशिश, लेकिन सांप से लड़ते-लड़ते दोनों लहूलुहान हो गए, और जमीन पर गिर गए। दोनों अपनी अंतिम सांस तक सांप से लड़ने रहे, उनकी बहादुरी को दूर पेड़ पर बैठा एक बाज़ बहुत देर से देख रहा था। उसने जब देखा कि चिड़िया खून से लथपथ होकर गिर गई है। सांप उसके बच्चों को खाने के लिए आगे बढ़ रहा था, की तभी बाज ने अपने मजबूत पंजों से साँप को पकड़कर नदी में गिरा दिया और चिड़िया के बच्चे मरने से बच गए।

बाज ने चिड़िया के बच्चों की देखभाल का जिम्मा लिया, और खुशी खुशी उन्हें पालने लगा। 

सीख : विपत्ति का हमेशा डटकर मुकाबला करना चाहिए। 

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4. मूर्ख सेवक 

मूर्ख सेवक 

लोहागढ़ के राजा मानसिंह बहुत ही प्रतापी थे । एक दिन उनके सबसे विश्वसनीय सेवक बुद्धिराम की मृत्यु हो गई। वह सबसे ज्यादा बुद्धिमान और साहसी था। राजा उसे हर समय अपने साथ रखता था। उसकी मौत के बाद राजा ने बहुत से सैनिकों की परीक्षा ली, लेकिन बुद्धिराम वाली बात किसी में नहीं थी। ऐसे में गुस्से में उन्होंने एक ऐसे दरबारी का चुनाव कर लिया, जो बहुत ही मूर्ख था। 

उस दरबारी को राजा की व्यक्तिगत सेवा का मौका दिया गया। उसके चुनाव से राजदरबार का हर मंत्री नाराज था, लेकिन राजा की मर्जी के आगे किसी की न चली। 

एक दिन राजा शिकार कर के वापस महल में लौटे। वो बहुत ज्यादा थक गए थे, तो उन्होंने अपने दरबारी से कहा – “मैं सोने जा रहा हूं, तुम जरा देखना कि कोई मुझे परेशान ना करे।” ये कहकर राजा अपने कमरे में चले गए। दरबारी राजा के कमरे के बाहर पहरा देने लगा। 

राजा शांति से सो रहे थे, की अचानक से एक मक्खी राजा के कमरे में चली गई। दरबारी भी उसके पीछे पीछे चला गया। उस दरबारी ने मक्खी को निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह राजा के कमरे से बाहर ही नहीं निकल रही थी। दरबारी गुस्से में आ गया, उसने तय किया कि आज तो वह इस मक्खी को मारकर ही दम लेगा। इसलिए उसने अपनी तलवार भी निकाल ली। 

मक्खी लगातार इधर–उधर भिनभिना रही थी, की तभी अचानक से वह राजा की नाक पर जाकर बैठ गई। गुस्से में दरबारी ने उस पर तलवार से वार किया मक्खी तो उड़ गई, लेकिन तलवार के वार से राजा की नाक कट गई। राजा जोर-जोर से चिल्लाते हुए उठा और दरबारी को पकड़ लिया गया। राजा ने उसे उसकी मूर्खता का दंड दिया। पर राजा को अब अपने गुस्से में लिए गए फैसले पर गुस्सा आ रहा था। 

सीख : गुस्से में कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। 

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5. छिपा खजाना 

छिपा खजाना

एक बार एक बूढ़ा किसान था, जिसके दो बेटे थे। दोनों बहुत ही ज्यादा आलसी थे, और वे खेत का कोई भी काम नहीं करते थे। एक दिन किसान बहुत ज्यादा बिमार हो गया, तो उसे अपने दोनों बेटों के भविष्य की चिंता सताने लगी। ऐसे में उसने अपने दोनों बेटों को अपने पास बुलाया। 

किसान बोला – मैने सालों पहले अपने खेतों में एक खजाना गढ़ा था। अब मेरी हालत ठीक नहीं है, तो मैं सोच रहा हूं की उस धन को मैं तुम दोनों में बराबर–बराबर बांट दूं? तो तुम जाओ और उस खजाने को। उखाड़ लाओ। 

किसान की बात सुनकर दोनों बेटे खुश हो गए और उन्होंने एक दिन में ही पूरा खेज खोद डाला, लेकिन उन्हें कोई भी खजाना नहीं मिला। शाम को निराश होकर दोनों बेटे किसान के पास गए, और उन्हें पूरी बात बताई। 

किसान ने कहा, कोई बात नहीं तुम एक काम करो कि ये गेहूं के बीज खेतों में डाल आओ। थोड़े ही दिनों बाद खेतों में फसल लहलहाने लगी। फसल पकने के बाद गेहूं की बालियां एकदम सोने की तरह लग रही थी। किसान ने उस फसल को। काटकर बेचने की सलाह दी। दोनों बैटो ने वैसा ही किया। फसल बेचने के बाद उन्हें पैसे मिले, जिसे देखकर वो बहुत खुश हुए। 

ये देखकर किसान ने अपने बेटों को समझाया कि असली खजाना उनका खेत ही है, जहां अपनी मेहनत से वो बहुत सारा धन इकट्ठा कर सकते है। किसान के बैठे अब खेतों में मेहनत करने लगे, वहीं अब किसान अपने बेटों की चिंता से मुक्त हो गया।

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6. पक्की दोस्ती 

पक्की दोस्ती 

राकेश और मदन दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। साथ खेलना, साथ स्कूल जाना और साथ खाना वो हर काम एक साथ ही किया करते थे। लेकिन राकेश काफी शरारती था, वह स्कूल में रोजाना कोई न कोई शरारत करता, जिसकी डांट कभी–कभी मदन को भी पड़ती। 

एक बार की बात है दोनों अपनी-अपनी सीट पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे, तभी किसी काम की वजह से अध्यापिका को क्लासरूम से बाहर जाना पड़ा। सभी बच्चे आपस में बातें करने लगे। ऐसे में राकेश को एक शरारत सूझी, उसने सोचा – “चलो सभी बच्चों को मजा दिलाता हूं।”

राकेश ने मदन को अपने पास बुलाया, और उसे कुछ दिखाने का बहाना करते हुए उसे तेजी से धक्का दे दिया। मदन खिड़की के शीशे से जाकर टकरा गय। शीशा टूटकर नीचे गिर गया, और उसके हाथ से खून आने लगे। 

यह देखकर सभी बच्चे डर गए और चुपचाप अपनी अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। जब टीचर क्लास में आई, तो मदन की चोट देखकर वो समझ गई, जरूर किसी ने उसके साथ शरारत की है। टीचर को उसकी चोट देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आया। 

उसने सभी बच्चों से डांटकर पूछा कि यह काम किसने किया है, लेकिन सभी बच्चे शांत रहे। टीचर को पता था, कि राकेश यह शरारत कर सकता है। उसने राकेश को अपने पास बुलाया, तभी मदन ने सारा इल्जाम अपने ऊपर ले लिया। उसने कहा कि ये चोट उसे उसकी गलती की वजह से ही लगी है।

वह क्लासरूम में उछल कूद कर रहा था, की तभी वह खिड़की से जाकर टकरा गया। मंदारकी बात सुनकर टीचर ने उसे बहुत डांटा। दोपहर को जब स्कूल की छुट्टी हुई, तो राकेश ने मदन से अपनी की हुए गलती की माफी मांगी । राकेश ने वादा किया की अब वह कभी भी ऐसी शरारत नहीं करेगा। राकेश की बात सुनकर मदन ने उसे माफ कर दिया। 

सीख: छोटी-छोटी गलतियाँ भारी पड़ सकती हैं, ऐसे में कोई ऐसा काम न करें जिससे दूसरों को नुकसान हो। 

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7. चिड़िया और हिरण की कहानी 

चिड़िया और हिरण की कहानी

एक जंगल में एक हिरण और चिड़िया रहा करते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, वे हमेशा मुश्किल समय में एक दूसरे की मदद किया करते थे। एक बार की बात है, हिरन की मुलाकात एक लोमड़ी से हुई। अपनी मीठी मीठी बातों से लोमड़ी ने उसका दिल जीत लिया। अब हिरण रोज उसके साथ घूमने लगा। 

एक दिन चिड़िया ने हिरण को लोमड़ी के साथ देखा, तो वह परेशान हो गई। उसने अपने दोस्त हिरण को समझाया कि वह लोमड़ी से दूर रहे, क्योंकि वह बहुत चालक है। लेकिन भोला भाला हिरण इस बात को समझ न सका। 

ऐसे में एक दिन हिरण और लोमड़ी घूमते घूमते जंगल के बाहर गांव की तरफ चले गए। जहां हिरण शिकारियों के द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गया। दरअसल, लोमड़ी ने शिकारियों के साथ समझौता किया हुआ था, वह भोले भाले जानवरों को। उनके जाल में फंसती और इसके बदले में वो उसे भर पेट खाना देते।

हिरण ने उस जाल में से निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन फिर भी वह वहाँ से नहीं निकल पाया। उसने लोमड़ी से मदद मांगी, लेकिन उसने कहा की वह शिकारियों को बुलाने जा रही है, ताकि वे उसे मार सकें। 

यह सुनकर हिरण जोर-जोर से चिल्लाने लगा। हिरण के चिल्लाने की आवाज़ सुनते ही चिड़िया वहाँ पर आ गयी। जब उसने अपने दोस्त को जाल में फँसा हुआ देखा, तो वह समझ गई कि लोमड़ी ने ही उसके साथ ऐसा किया है। 

चिड़िया ने हिरण को कहा – “तुम शांत रहो, और ऐसे लेट जाओ जैसे कि तुम मर गए हो।” हिरण ने चिड़िया की बात मान ली और जाल में मरने का नाटक करते हुए लेट गया।

जब शिकारी वहाँ आया तो उसने देखा कि हिरण तो मर गया है। ऐसे में उसने सोचा – चलो बढ़िया है, मुझे इसे मारना नहीं पड़ा। अब मैं जाल खोलकर इसके सिंह तोड़ लेता हूं। शिकारी ने जैसे ही जाल खोला, हिरण वहाँ से तुरंत भाग गया और उसकी जान बच गयी। अंत में उसके सच्चे दोस्त की सलाहरकी हिरण के काम आई। 

सीख : कभी भी किसी पर बहुत जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए। 

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8. राजू और डरावना भूत 

राजू बहुत ही भोला भाला था, लेकिन उसे भूतों से डर लगा करता था। उसके दोस्त अक्सर उसे भूत की कहानियां सुनाकर डराते रहते थे। एक बार राजू के दोस्तों ने मिलकर उसे परेशान करने की एक योजना बनाई। 

रात को जब राजू खेतों से घर लौट रहा था, तो रस्ते में उसे एक सफेद कपड़े पहना एक भूत दिखाई दिया। भूत ने राजू से कहा – “मैं रोज देख रहा हूं, की तुम इस रास्ते से जा रहे हो। यह मेरा रास्ता है, अगर तुम्हें यहां से जाना है तो तुम्हें मुझे रोज एक लीटर दुध और मिठाइयां देनी होगी। अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा।”

अगले दिन से राजू रोज भूत के लिए दूध और मिठाइयां के जाने लग। थोड़े दिनों में गांव के ही एक आदमी ने उसे सारी सच्चाई बता दी। की उस रास्ते पर असल में कोई भूत बुत नहीं है, बल्कि उसके कुछ दोस्त ही मिलकर उसके साथ मस्ती कर रहे है। राजू के जाने के बाद वो सारा सामान मिलकर खा लेते है। 

ये सुनकर राजू को दुख हुआ, उसने उन्हें सबक सिखाने की योजना बनाई। अगले दिन राजू दूध की डोलची लेकर गया, जिसमें उसने एक नकली सांप छुपा दिया। भूत को दूध देने के बाद उसने चुपके से उनका पीछा किया। भूत उर्फ उसके दोस्तों ने जैसे ही डोलची को खोला वो सांप को देखकर डर गए और वहां से भागने लगे। 

ये देखकर राजू को बहुत हंसी आई, और वह जोर जोर से हंसने लगा। राजू को वहां देखकर उसके दोस्त समझ गए कि, उनकी चोरी पकड़ी गई है। उन्होंने राजू से अपने किए माफी मांगी और वह वापस से हंसी खुशी उसके साथ रहने लगे। 

सीख : किसी के भोलेपन का फायदा नहीं उठाना चाहिए। 

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9. चूहे और बिल्ली की कहानी 

एक बार की बात है, शहर के एक बड़े से घर में चूहों ने अपना डेरा जमा लिया। घर के कोने कोने में उन्होंने अपने बिल बना लिए । घर में पड़े सामान, खाने आदि को चूहे खराब करने लगे। इससे परेशान होकर घर के मालिक ने बिल्ली लाने का फैसला किया।

अगले दिन वह एक खूंखार बिल्ली को घर ले आया। उसने चूहों पर अपना आतंक जमाना शुरू कर दिया। घर में वह जैसे ही कोई चूहा देखती वह उसे मारकर खा जाती। इस बात से सभी चूहे बहुत ज्यादा डर गए। डर के मारे उन्होंने अपने बिल से निकलना भी बंद कर दिया। 

लेकिन इस तरह चूहे भूख से तड़पने लगे। वे अब बड़ी मुसीबत में फंस गए, क्योंकि वे बिल से बाहर जाएं तो बिल्ली उन्हें खा जाएं. और न जाएं तो वे भूख से मर जाएं। ऐसे में सभी चूहों ने मिलकर एक सभा बैठाई। बूढ़े चूहे ने सुझाव दिया – “बिल्ली से लड़ा तो नहीं जा सकता, लेकिन हां अगर उसके गले में घंटी बांध दी जाए तो परेशानी से थोड़ा बहुत छुटकारा मिल सकता है।”

सुझाव काफी अच्छा था, लेकिन एक परेशानी भी थी कि “बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?” 

तभी कुछ बूढ़े चूहों ने इस काम को करने का जिम्मा उठाया। अगले दिन चूहे घंटी लेकर बिल्ली के सामने गए। बिल्ली उन्हें देखते ही खाने को झपटी, लेकिन तभी सारे चूहे एक साथ बोले, – “हम आपके भले के लिए आपसे बात करने आए है”।

बिल्ली बोली जल्दी बोलो, तभी एक बूढ़े चूहे ने कहा – तुम रोज इतने सारे चूहों को मारती हो, ऐसे तो हमारी आबादी खत्म हो जाएगी? क्यों न एक समझौता कर लिया जाए। हम रोज दो चूहे आपके पास भेजेंगे ताकि आपकी भूख भी शांत रहे और hm भी अपने बिलों से निकल पाए। बिल्ली को चूहों का प्रस्ताव अच्छा लगा, उसने सोचा ये तो अच्छी बात है मुझे बिना मेहनत किए खाना मिल जाएगा। 

तभी दूसरे चूहे ने कहा कि इसी लिए हम आपके लिए ये घंटी भी लाए है, आप इसे बांध ले। ताकि जब भी आप यहां आए हमें पता चल जाएगा और हम दो चूहों को आपके पास भेज देंगे। बिल्ली उनकी बातों में आ गई और उसने गले में घंटी बांध ली। 

अब चूहे बहुत ही ज्यादा खुश थे। वे पूरा दिन मस्ती करते और जैसे ही बिल्ली आती घंटी की आवाज से पता चल जाता, और वे सभी अपने अपने बिलों में छुप जाते। 

सीख : समझदारी से किसी भी परेशानी से निकला जा सकता है। 

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10. जादुई चिराग़ की कहानी 

राघव बहुत शरारती लड़का था। एक दिन मस्ती मस्ती में वह उस गांव की उस पुरानी हवेली में चला गया, जहां भूत होने का दावा किया जाता था। गांव में उस हवेली से जुड़ी Horror Stories फेमस थी। कहते थे कि वहां कोई जिन्न रहता है, लेकिन राघव को इस बात की कोई चिंता नहीं थी। 

हवेली काफी सालों से बंद पड़ी थी, ऐसे में वह बहुत गंदी ओर डरावनी दिख रही थी। हवेली में राघव को कोई भूत तो नहीं दिखा, लेकिन हां उसे एक चिराग़ जरूर मिला। जिसे लेकर वह हवेली से बाहर आ गया। 

बाहर आकर राघव ने उस चिराग़ को रगड़ा, जिससे एक जिन्न बाहर आया। बाहर आते ही जिन्न बोला – “तुमने मुझे चिराग़ से बाहर निकला है, मांगो तुम्हारी क्या इच्छा है। मैं तुम्हारी कोई भी तीन इच्छा पूरी कर दूंगा।”

ये सुनकर राघव सोच में पड़ गया। सबसे पहले तो उसने एक स्मार्ट फोन मांगा, उसके बाद उसने अपने लिए एक क्रिकेट किट मांगी। जिन्न ने उसकी दोनों इच्छाएं पूरी कर दी। अब बारी तीसरी इच्छा की थी। 

राघव सोच ही रहा था कि क्या मांगा जाए, तभी उसके मन में एक आइडिया आया। उसने जिन्न से कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ मेरे दोस्त बनकर रहो और मेरी मदद करो। राघव की बात सुनकर जिन्न बोला – मैं तुम्हारी चालाकी देखकर बहुत प्रसन्न हूं। अब से मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा। तुम्हे जब भी मेरी जरूरत हो, तुम इस चिराग़ को रगड़ देना मैं बाहर आ जाऊँगा, और तुम्हारी मदद करूंगा। 

लेकिन हां ध्यान रखना कि तुम इस चिराग़ को खो न दो। क्योंकि अगर तुमने ऐसा किया, तो तुम हमेशा के लिए मुझे खो दोगे। राघव ने जिन्न की बात मान ली, और वह चिराग़ को हमेशा अपने साथ रखने लगा। अब जब भी उसे कोई परेशानी होती, जिन्न आकर उसे हल कर देता। 

सीख : कोई भी काम सोच समझ के ही करें। 

निष्कर्ष : 

आशा करते है छोटे बच्चों की ये 10 मजेदार कहानियां आपको पसंद आई होंगी। इन Moral Stories In Hindi में आपको प्रेम, दोस्ती और नैतिक जिम्मेदारियों को जरूर मिला होगा। इन कहानियों को शेयर जरूर करें और कमेंट बॉक्स में बताएं कि आपको इनमें से सबसे अच्छी कहानी कौनसी लगी। 

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