बिहार के छाबड़ा गांव में एक पुराना पीपल का पेड़ था, जिससे सभी लोग दूर रहते थे। लोगों का कहना था कि उसे पेड़ पर एक चुड़ैल का साया है। सूरज ढलने के बाद कोई भी उस पेड़ के पास नहीं जाता था, क्योंकि उस पेड़ से रात को रोने और चिल्लाने की आवाज आती थी।
लेकिन अनिल ने इस बात को नजरंदाज किया और वो उस पेड़ के पास गया, जिसका नतीजा भी उसे भुगताना पड़ा। आखिर उस रात अनिल के साथ क्या हुआ, ये जानने के लिए पढ़े Chudail ki kahani…
अनिल, एक शहर का लड़का था, जो गर्मियों की छुट्टियों में अपने नाना–नानी के पास गाँव आया था। आधुनिक सोच की वजह से वह भूत-प्रेत जैसी बातों में विश्वास नहीं करता था। एक रात उसने अपने नाना से पूछा, “आप लोग इतने डरे हुए क्यों रहते हैं उस पेड़ से? आखिर उस पेड़ में ऐसा क्या है?”
अनिल के नाना ने गहरी सांस ली और बोले, – “बेटा, वो पेड़ शापित है। सालों पहले गांव के कुछ लोगों ने एक औरत को डायन समझकर उस पीपल के पेड़ से बांधकर मार दिया था। कहते हैं कि उस दिन से ही उस औरत की आत्मा, उस पेड़ के आसपास भटक रही है। आज भी वहां से उस औरत के रोने और चिल्लाने की आवाज आती है।”
पेड़ की चुड़ैल से हुआ अनिल का सामना

अनिल के नाना ने उसे पेड़ के आस–पास भी जाने से मना किया, लेकिन उसे ये सब बातें बकवास लगी । उसने तय किया कि वह खुद जाकर देखेगा।
अगली रात, अनिल चुपचाप टॉर्च लेकर पीपल के पेड़ तक चला गया। अनिल इस बात से हैरान था कि यह उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।
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वह पेड़ के पास पहुँचा, अचानक हवा बहुत ही तेज हो गई। जमीन पर सूखे पड़े पत्ते तेजी से आसमान में उड़ने लगे, और उसकी टॉर्च भी बंद हो गई। अंधेरे में उसे एक आवाज भी सुनाई दी — “क्यों आया है तू?”
अनिल ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, उसे सफेद साड़ी में एक औरत हवा में तैरती हुई दिखी, उसके पैर उल्टे थे और आँखें खून की तरह लाल। यह गांव की वही डरावनी चुड़ैल थी, जिसकी बातें हर जगह होती थी।
अनिल चुड़ैल को देखकर बुरी तरह से डर गया, और कांपती हुई आवाज में बोला – “मैं… मैं बस देखना चाहता था…”। अनिल ये बोल ही रहा था, की चुड़ैल बहुत तेजी से उसकी और आगे बढ़ी और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।
अगली सुबह, गाँव वालों ने अनिल को पेड़ के नीचे बेहोश पाया। उसका चेहरा पूरी तरह से पीला पड़ चुका था। गांव के लोग उसे उठाकर, उसके नाना के घर ले गए।
अनिल के नाना उसकी हालत देखकर डर गए, और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगे। जैसे–तैसे अनिल को होश आया, लेकिन वो बस दीवार को देखकर बडबडा रहा था। वो बार–बार बस एक ही बात बोले जा रहा था – “जब तक मुझे न्याय नहीं मिलेगा, मैं इसके शरीर से नहीं जाऊंगी”।
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चुड़ैल ने सुनाई अपनी दर्द भरी कहानी
अनिल की हालत देखकर गांव के सभी लोग हैरान हो गए। लोग बातें करने लगे – “इसके नाना ने इसको मना किया था, की पेड़ के पास नहीं जाना, लेकिन यह नहीं माना और आज यह है उसका नतीजा भुगत रहा है, इसे भूत बाधा हो गई है, अब पता नहीं यह कैसे ठीक होगा”।
लोग बातें ही कर रहे थे कि इतने में अनिल की नानी एक तांत्रिक को लेकर वह आई। तांत्रिक काफी बुड्ढा हो चुकता लेकिन आज भी भूतों की दुनिया में उसका सिक्का चलता था।
तंत्रिका को देखकर अनिल के अंदर की चुड़ैल बोली – “तुम्हें लगता है, की तुम्हारे आने से मैं यहां से चली जाऊंगी, तो ऐसा नहीं है। मुझे न्याय चाहिए, तभी मेरी आत्म को शांति मिलेगी।”
तंत्रिका ने चुड़ैल को विश्वास दिलाया कि, वह उसे न्याय दिलाएगा । लेकिन उसे उससे वादा करना होगा, की वह अनिल का शरीर हमेशा के लिए छोड़ देगी।
चुड़ैल ने तांत्रिक से वादा किया, और उससे उसकी कहानी पूछी। चुड़ैल से बताया, – “ मैं गांव की बहुत ही गरीब औरत थी, मेरी 2 बच्चियां थीं, एक 1 साल की और एक 5 साल की। एक दिन मेरे बच्चे भूख से रो रहे थी, मैं उसके लिए खाने का इंतजाम करने के लिए बाहर गई।
मैने लोगों से बहुत मदद मांगी लेकिन किसी ने भी मेरी मदद नहीं की, अंत में मुझे खाने की चोरी करनी पड़ी। गांव के सामंत के यह से मैं खाना चुराकर भागी, लेकिन उसने मुझे देख लिया, और मुझे पकड़ लिया।
मैं चिल्लाती रही कि मैं ये खाना अपने बच्चों के लिए लेकर जा रही हूं, लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी, और मुझे डायन करार देखकर पीपल के पेड़ से बांध दिया गया। मैं अपने बच्चों से मिलने की गुहार लगाती रही, लेकिन लोगों ने मुझे डायन समझकर जला दिया। उसी दिन से मैं अपने बच्चों की एक झलक पाने के लिए तरस रही हूं।
उन लोगों ने मुझे टोने टोटके से इस पेड़ के आसपास ही बांध दिया, लेकिन जब अनिल यहां आया तो मुझे अपने बच्चों से मिलने की एक उम्मीद नजर आई । इसी उम्मीद के सहारे मैं इसके शरीर में आई हूं, ताकि मैं अपने बच्चों को देख सकूं और शांति से इस दुनिया से रुखसत हो सकूं।
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चुड़ैल के श्राप से मुक्त हुआ पीपल का पेड़
चुड़ैल की बात सुनकर तांत्रिक और गांव वालों की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने चुड़ैल से उसके पुराने घर का पता पूछा, और बहुत मुश्किलों से उसके बच्चों का पता लगाया। चुड़ैल के बच्चे अब बहुत ही बूढ़े हो चुके थे, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि उनकी मां की आत्मा को वो ही मुक्ति दिला सकते हैं, तो वो तुरंत ही वहां आ गए।
इन सभी चीजों में दो दिन बीत चुके थे, और अनिल की हालत अब खराब होती जा रही थी। चुड़ैल ने जैसे ही अपने बच्चों को देखा तो, वह तुरंत अनिल के शरीर से अलग हो गई, और अपने असली रूप में आ गई।
बच्चों को देखकर वो भावुक हो गई और जोर – जोर से रोने लगी। लेकिन जब उसके बच्चों ने उसे बताया कि उस रात एक भले आदमी आलने उनकी मदद की।ओर उन्हें खाना खिलाया तो सालों से अपने बच्चों के लिए तड़प रहा उसका मन शांत हो गया।
उसके बच्चों ने उसे बताया कि एक आदमी ने उन्हें अनाथ आश्रम में भेज दिया, जहां अच्छे से उनकी देखभाल हुई और लालन पोषण के बाद उनकी शादी कर दी गई। आज उनका भरा पूरा परिवार है जहां वह काफी खुश है।
अपने बच्चों को खुश देखकर चुड़ैल भी खुश हो गई और बोली – “बच्चों इतने सालों से मैं तुम्हें देखने के लिए ही तरस रही थी। आज मैंने तुम्हें देख लिया है और तुम्हें खुश देखकर मेरी आत्मा तृप्त हो गई है। अब भगवान मुझे शांति जरूर देंगे, यह कहकर वह धीरे-धीरे वहां से गायब हो गई क्योंकि अब उसकी आत्मा को शांति मिल चुकी थी।”
सीख :
इस घटना के बाद अनिल ने एक सबक लिया – की कभी भी अपने बड़े बुजुर्गों की बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि वह पीपल का पेड़ अब श्राप मुक्त हो गया है लेकिन लोग अभी भी उसे पेड़ के पास जाने से डरते हैं। क्या तुम भी उस पेड़ के पास जाओगे? कमेंट बॉक्स में जरूर बताओ..
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