रुलाने वाली लव स्टोरी: Crying Love Story

सच्ची मोहब्बत, बहुत ही किस्मत से मिलती है, पर जब वो मिलती है तो प्रेमियों का जीवन सफल हो जाता है। ऐसे में आज हम आपको एक रुलाने वाली लव स्टोरी सुनाएंगे, जहां एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को पाने के लिए बहुत जद्दोजहद करता है। प्रेमिका उसे मिलती है, पर उनकी प्रेम कहानी का अंत वैसा नहीं होता जैसा उन्होंने सोचा था। 

हरीश रहीमपुर गांव में अपने परिवार के साथ रहा करता था। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा उसके दो भाई थे जिनकी शादी हो चुकी थी। छोटा होने की वजह से हरीश हर किसी का लाडला था। उनका परिवार मुख्यतः खेती का ही काम किया करता था, लेकिन हरीश को बांसुरी बजाने का बहुत शौक था तो गाय चराते वक्त अक्सर वह खेतों में अपने दोस्तों के साथ बांसुरी बजाता रहता था। 

जमींदार की बेटी के प्यार में पड़ा हरीश

एक दिन हरीश अपने दोस्तों के साथ खेतों में गाय चरा रहा था, कि तभी उसकी नजर एक युवती पर पड़ी। सांवली सूरत और तीखे नैन नक्श देखकर हरीश पहली नजर में ही उसे अपना दिल दे बैठा। 

यह लड़की गांव के सबसे अमीर जमींदार ठाकुर राज प्रताप सिंह की बेटी थी, जिसका नाम था रागिनी। रागिनी अपने पिता की इकलौती औलाद थी, जिसे उसके पिता ने बहुत ही नाजों से पाला था। उस दिन रागिनी अपनी सहेलियों के साथ खेतों में घूमने आई थी, जहां हरीश को बांसुरी बजाता देख वो मानो मंत्रमुग्ध हो गई थी। 

Harish aur ragini ki love story

हरीश और रागिनी दोनों ही पहली नजर में एक दूसरे को दिल दे बैठे थे। दोनों ने एक दूसरे से बात करना शुरू किया, मुलाकातें बढी तो दोनों का प्रेम एक दूसरे के लिए और भी ज्यादा बढ़ता चला गया। रागिनी अक्सर अपनी सहेलियों के साथ मंदिर जाने का बहाना लगाकर हरीश से मिलने आया करती थी। 

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रागिनी और हरीश के प्यार के खिलाफ था परिवार 

एक दिन रागिनी के चाचा बलवीर सिंह ने दोनों को मिलते हुए देख लिया और ये बात जाकर, रागिनी के माता-पिता को बता दी। जब नहीं पता चला कि उनकी बेटी एक मामूली से चरवाहे से प्रेम करती है तो उन्हें बहुत धक्का लगा। 

रागिनी के पिता ने अपनी बेटी को खूब मनाया कि वह किसी और अमीर लड़के से शादी के लिए हां कर दें, पर वह नहीं मानी। रागिनी के लिए हरीश का प्रेम किसी लाखों करोड़ों रुपए के हीरे से काम नहीं वह उसके लिए कुछ भी कर सकती थी। अपनी बेटी के पागलपन को देखते हुए रागिनी के पिता ठाकुर राज प्रताप में हरीश से शादी करने की बात मान ली, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी। 

रागिनी के पिता ने शादी के लिए रखी शर्त

रागिनी के पिता ने हरीश को बुलाया और पूरे परिवार के सामने उससे कहा – “मैंने मेरी बेटी को बहुत ही नाजों से पाला है, लेकिन वो ना जाने कैसे तुम्हारे प्रेम में पड़ गई। अपनी बेटी की जिद के आगे मैं मजबूर हूं, पर तुम्हें ये साबित करना होगा कि तुम उसके लायक हो। 

अगर तुम एक महीने में एक लाख रुपए कमा कर मेरे हाथों में रख देते तो, मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूंगा। लेकिन हां, ध्यान रखना अगर तुम ऐसा करने में सफल नहीं हुए तो, मैं अपनी बेटी रागिनी की शादी किसी अमीर परिवार के लड़के से कर दूंगा । 

हरीश ने रागिनी के पिता की ये शर्त मान ली और बोला – “मैं आपकी बेटी से बहुत ज्यादा प्रेम करता हूं। अपने आप को उसके लायक साबित करने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं।”

रागिनी का चाचा बलवीर भी ये सब बातें सुन रहा था। मन ही मन उसने सोचा – “भाई साहब को न जाने क्या हो गया है? बेटी के प्रेम में आकर वो इस भिखारी के साथ रिश्ता तय के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं भी देखता हूं कि गांव का यह गंवार कैसे 1 महीने में एक लाख रुपए कामता है। 

हरीश ने शर्त तो मान ली, लेकिन एक महीने में एक लाख रूपए कहना, पहाड़ चढ़ने से भी ज्यादा मुश्किल था। हरीश को लगा कि वह गांव में रहकर पैसे नहीं काम पाएगा इसीलिए वह शहर चला गया। 15  दिन बीत चुके थे लेकिन हरीश को कोई भी काम नहीं मिला, वह बहुत ही ज्यादा निराश हो गया और उसे लगा कि शायद वह रागनी से शादी नहीं कर पाएगा। 

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क्या शर्त पूरी कर पाएगा हरीश? जाने आगे क्या हुआ…

वह यह सब सोच ही रहा था कि अचानक से उसे एक पोस्टर दिखाई दिया, जहां बासुंरी बजाने की प्रतियोगिता के बारे में लिखा था। जिसकी विजेता राशि एक लाख रुपए थी। ये पढ़कर हरीश बहुत ही खुश हो गया, यह एक काम ही तो ऐसा था जिसमें वो सबसे ज्यादा अच्छा था। 

वह उसी दिन प्रतियोगिता में अपना नाम लिखवाने के लिए गया, ऑडिशन में उसे सेलेक्ट कर लिया गया और प्रतियोगिता शुरू हुई। हरीश ने अपनी बांसुरी की धुन से हर किसी को अपना दीवाना बना दिया, और वह प्रतियोगिता जीत गया। पर हरीश इस बात से अनजान था की रागिनी का चाचा उस पर नजर बनाए हुए हैं। 

प्रतियोगिता की विजेता राशि लेकर हरीश रागिनी के पिता के घर की ओर निकाला, लेकिन रास्ते में ही उसके चाचा के गुंडो ने उसे घेर लिया। गुंडों से जैसे – तैसे जान बचाकर हरीश ने एक लाख रुपए रागिनी के पिता के हाथों में रख दिए। 

हरीश की मेहनत से खुश होकर रागिनी के पिता बहुत खुश हुए और उन्होंने दोनों की शादी तय कर दी। लेकिन रागिनी के चाचा इस शादी से खुश नहीं थे। उन्हें लगता था, की ये शादी समाज में उनकी नाक कटवा देगी, और इसी बेज़्जती से बचने के लिए उन्होंने हरीश को मारने का फैसला लिया। 

अधूरी रह गई हरीश और रागिनी की प्रेम कहानी 

बलवीर खाना लेकर हरीश के पास पहुंचा और बोला – “रागिनी ने बहुत ही प्रेम से ये खाना तुम्हारे लिए बनाया है, लो चखो और बताओ ये कैसा है”। 

बलवीर ने इस खाने में जहर मिला दिया था, और हरीश इस बात से अनजान था। हरीश ने जैसे ही खाना खाया, वहीं उसकी मृत्यु हो गई। रागिनी को जब इस बात का पता, चला तो उसने भी वह खाना खाकर अपने प्राण त्याग दिए। 

अपनी भतीजी को इस हालत में देखकर, बलवीर को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया। 

हरीश और रागिनी ने अपने प्रेम को पाने की बहुत कोशिश की। लेकिन बलवीर की रूढ़िवादी सोच की वजह से, उनके प्यार को मंजिल नहीं मिल पाई। 

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