गरीबों की होली: एक प्रेरणादायक होली की कहानी

ढोलकपुर गांव में गजोधर अपने परिवार के साथ रहा करता था। वह बहुत ही गरीब था और गांव के लाला सेठ की स्टील कंपनी में मज़दूरी किया करता था। गांव में होली का माहौल था, चारों तरफ होली की तैयारियां चल रही थी, लेकिन गजोधर की एक ही समस्या थी  – कि वह अपने बेटे के लिए रंगों और मिठाइयों की व्यवस्था कैसे करे? पिछले महीने जो उसे सैलरी मिली थी वो तो उसकी पत्नी की दवाई में खर्च हो गए, अभी उसकी तनख्वाह आने में 15 दिन थे। 

गजोधर की पत्नी पति की गरीबी को समझती थी लेकिन बच्चे की जिद्द के सामने वो भी मजबूर थी। अब उसका बेटा मात्र 5 साल का ही तो था, ऐसे में गजोधर भी अपने बच्चे को होली के दिन उदास नहीं करना चाहता था। ऐसे में उसने अपने सेठ से मदद मांगने का सोचा, उसे उम्मीद थी कि उसका सेठ उसे जरूर कुछ एडवांस दे देगा जिससे उसकी होली अच्छी बन जाएगी। 

बिना पैसों के कैसे होली मनाएगा गजोधर? 

बिना पैसों के कैसे होली मनाएगा गजोधर? 

अगले दिन गजोधर कंपनी में गया, उसके साथ रामू और विभु भी थे। वह दोनों गजोधर से काफी जलते थे, क्योंकि लाला सेठ गजोधर की ईमानदारी से काफी खुश रहता था। अगर गजोधर से कभी कोई गलती हो भी जाती थी तो वह उसे नजर अंदाज करता था। यही बात रामू और विभु को बुरी लगती थी। 

दिन बीत रहा था, दोपहर होने को आई थी। गजोधर अपनी पूरी मेहनत के साथ सारा काम कर रहा था। तभी उसने सेठ को। कंपनी में आते देखा, सेठ के साथ उनका मुंशी भी था। मौका पाकर गजोधर ने सेठ से बात की। 

गजोधर ने कहा – “सेठ की मुझे कुछ पैसों की जरूरत है, चार दिन में होली आने वाली है और घर में खाने को कुछ नहीं है, अगर आप कुछ पैसे उधर दे देंगे तो बड़ी कृपा होगी “। 

यह सुनकर सेठ ने कहा – “अरे गजोधर अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने तुम्हें तुम्हारी पूरी तनख्वाह दी थी, अब तुम इतना जल्दी ही एडवांस मांगने आ गए।”

गजोधर बोला – “सेठ जी वह पैसे तो मेरी पत्नी की दवाई में ही खर्च हो गए, अभी मेरा छोटा बच्चा होली खेलने की जिद कर रहा है। मैं उसे कैसे बताऊं कि मेरे पास तो पैसे भी नहीं है । 

सेठ ने कहा – तनख्वाह तो अब तुम्हें तुम्हारी तारीख को ही मिलेगी। अगर मैं बार बार सबको ऐसे ही एडवांस देता रहूंगा तो कंपनी कैसे चलेगी। जाओ जाकर अपना काम करो। 

रामू और विभु सेठ जी और गजोधर की बातें सुन रहे थे। इतनी ही देर में मुंशी एक बैग लेकर सेठ जी के पास आया और बोला – “ सेठ जी ये लाख रुपए हैं, बताइए इन्हें कहा रखें”। सेठ जी ने बोला – इन्हें तिजोरी में ले जाकर रख दो। 

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पैसे देखकर बिगड़ी रामू और विभु की नियत

सेठ जी के पैसे देखकर रामू और विभु की नियत खराब हो गई। विभु ने रामू से कहा –” काश हमारे पास भी एक लाख रुपए होते तो हमभी खुद का कोई व्यापार शुरू कर सकते “। 

ये सुनकर रामू बोला – “पैसे तो अभी भी हमारे पास आ सकते हैं विभु” । लेकिन यह कैसे होगा? विभु ने पूछा। रामू ने विभु के कान में चोरी करने का पूरा प्लान बताया। अगले दिन दोनों काम पर गए और शाम होने का इंतजार करने लगे। 

शाम होते ही सभी मजदूर अपने-अपने घर चले गए, गजोधर भी उन्हीं के साथ अपने घर जा चुका था। तभी मौका पाकर विभु और रामू कंपनी में घुस गए । उन्होंने तिजोरी ढूंढी और मास्टर की से उसका ताला खोलकर सारा पैसा चुरा लिया । तिजोरी में ₹100000 के अलावा और भी कैश था, जिसे दोनों ने आधा आधा बांट लिया। 

गजोधर पर लगा चोरी का इल्जाम 

गजोधर पर लगा चोरी का इल्जाम 

अगले दिन सभी मजदूर काम पर आ चुके थे, लाला सेठ भी कंपनी में ही था। तभी सेठ ने अपने मुंशी को तिजोरी में से पैसे लाने को कहा का। मुंशी तिजोरी के पास गया और खाली तिजोरी देखकर वह चौक गया।

चिल्लाते हुए मुंशी सेठ के पास आया और बोला –” गजब हो गया सेठ जी कंपनी में चोरी हो गई है, तिजोरी का सारा कैश गायब है।”  यह सुनकर सेठ ने सभी मजदूरों को  इकठ्ठा किया, ओर पूछा – सही सही बताओ चोरी किसने की है। 

ये सुनकर रामू बोला – “सेठ जी हो सकता है यह चोरी गजोधर ने की हो? क्योंकि गजोधर को पैसों की जरूरत थी और आपने उसे पैसे देने से मना कर दिया था। हो सकता है उसने आपसे बदला लेने के लिए चोरी की हो?

गजोधर बोला –सेठ जी मैं ऐसा क्यों करूंगा? आप तो मुझे जानते हैं लेकिन तभी रामू ने उस पर इल्जाम लगाते हुए कहा – “क्यों भाई कंपनी में देर तक तो रुक कर तुम ही तो काम करते हो, क्या पता तुम चोरी करने ही रुकते हो और कल तुम्हें वो मौका मिल गया। ये सुनकर सभी मजदूरों ने गजोधर को मारने शुरू कर दिया। 

सेठ जी ने सभी मजदूरों को रोका और बोले – “ गजोधर मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी” ।  गजोधर बोला – “ सेठ जी मैं बेकसूर हूं। तभी लाला सेठ ने कहा – अगर तुम बेकसूर हो तो होली से पहले खुद को निर्दोष साबित करो वरना में तुम्हें पुलिस को सौंप दूंगा। 

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क्या गजोधर चोरों को ढूंढ कर खुद को निर्दोष साबित कर पाएगा? 

गजोधर उदास मन के साथ अपने घर पहुंचा और पूरी बात अपनी पत्नी को बताई। गजोधर की पत्नी उसकी बात सुन ही रही थी की, इतनी देर में रामू की पत्नी कमला वहां आई और उसे अपने सोने का हार दिखाने लगी। 

कमला बोली – “कल ही मेरे पति की लॉटरी लगी है। वह एक लाख घर लेकर आए थे, मैंने सोचा इतने पैसों को घर में रखना सुरक्षित नहीं है तो मैंने उसका हार बनवा लिया”। और सुनो कमाल की बात तो यह है की विभु की कल ही लगी है। उसने भी सोने के कड़े खरीदे हैं। 

गजोधर की पत्नी ने यह बात अपने पति को बताई और कहा – “ हो ना हो यह चोरी विभु और रामू ने मिलकर की है वरना एक दिन में उनके पास इतनी सारे पैसे कहां से आ गए” । अगले दिन होलिका दहन की पूजा होनी थी और उसी दिन गजोधर ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर दोनों चोरों का पर्दा फाश करने का प्लान बनाया। 

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होली के रंग में बेरंग हुए चोर

अगले दिन शाम को गांव के सभी लोग चौक में होलीका दहन के लिए इकट्ठा हुए, तभी रामू और विभु भी वहां आ गए। उन्हें देखकर गजोधर ने अपनी पत्नी से ठंडाई बनाकर लाने को कहा। 

ठंडाई लेकर वह रामू और विभु के पास पहुंचा और बोला – “ लो भाई तुम्हारी भाभी ने बहुत ही स्वादिष्ट ठंडाई बनाई है जरा इसे पीकर तो देखो” । ठंडाई देखकर दोनों के मुंह में पानी आ गया और वह घट – घट करके पूरी ठंडाई पी गए। 

ठंडाई पीते ही दोनों को मदहोशी छा गई, क्योंकि ठंडाई में भांग मिली हुई थी। थोड़ी देर में लाला सेठ भी वहां आ गए और गजोधर को देखकर बोले – ”क्यों भाई गजोधर चोरों का कुछ पता लगा, कल तुम्हें दिया हुआ समय खत्म हो जाएगा और उसके बाद में तुम्हें पुलिस को सौंप दूंगा”। 

यह सुनकर रामु बोला – “अरे सेठ जी गजोधर चोरों को ढूंढ ही नहीं सकता है वह कोई मामूली कर थोड़ी है बहुत पहुंची हुई चीज है।” सेठ जी बोले – “अच्छा तुम्हे कैसे पता?”

रामू और विभु दोनों ने नशे की हालत में हंसते हुए कहा – “अरे सेठ जी वो चोरी हमने ही तो की है।” ये सुनकर सेठ को बहुत गुस्सा आया और उसने तुरंत थानेदार को फोन किया। थोड़ी ही देर में पुलिस वहां आ गई, तब तक रामू और विभु का नशा भी उतर गया, और अब उन्हें पता चल चुका था कि उन्होंने नशे की हालत में क्या कर दिया है। पुलिस उन्हें पड़कर जेल ले गई, ओर सारे पैसे गहने जब्त कर लिए। 

लाला सेठ ने गजोधर से माफी मांगी और उसे कुछ पैसे एडवांस में भी दे दिए । पैसे पाकर गजोधर काफी खुश हुआ क्योंकि अब वह अपने बेटे के लिए रंग पिचकारी और ढेर सारी मिठाइयां ला सकेगा। जिसे देखकर उसका बेटा बहुत खुश हो जाएगा और उसकी होली वास्तव में खुशियों की होली होगी। 

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सीख:

  • सुनी सुनाई बातों पर विश्वास ना करें और सच्चाई की तह तक जाने का प्रयास करें। 
  • अगर आप अच्छे हैं तो आपके साथ बुरा कभी नहीं होगा। 

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