बच्चों की रात की कहानियां: Bedtime Stories In Hindi

चांदनी रात में जब बच्चे ना सोने की जिद करते हैं तो आप उन्हें “बच्चों की रात की कहानियां” सुना सकते हैं। सोने से पहले ये कहानियां न सिर्फ उन्हें मीठे सपनों की दुनिया में ले जाती हैं, बल्कि उनके मन को संस्कार, कल्पना और भावनाओं से भी भर देती हैं। 

इन कहानियों में छुपी थी बच्चों के कोमल मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। जो उन्हें अच्छाई और बुराई के फर्क को सिखाती हैं। ऐसे में आइए, डुबकी लगाते हैं उन जादुई पलों में, जब हर रात एक नई कहानी बच्चों की सपनों की दुनिया को रंगीन बना देती है।

Top 3 बच्चों की रात की कहानियां: सोने से पहले सुनाई जाने वाली कहानियां

1. राजकुमारी और चांद का खिलौना

राजकुमारी और चांद का खिलौना

सूरजपुर के राजा भानु प्रताप अपनी बेटी इंद्री से बहुत ही प्यार किया करते थे। वह उनकी इकलौती संतान थी, जो अभी सिर्फ 5 साल की थी। इंद्री की हरकतें अक्सर राजा का मन मोह लिया करती थी। कभी वह उनके साथ शिकार पर जाने की जिद किया करती,  तो कभी वह अपने पिता की राजगद्दी पर बैठकर मंत्रियों के साथ बैठक करने लग जाती। राज दरबार में हर कोई राजकुमारी इंद्री की इन हरकतों को देखकर मोहित हो जाया करता था। 

एक बार राजकुमारी इंद्री रात के समय अपने बगीचे मैं खेल रही थी, कि तभी अचानक उनकी नजर आसमान में चमचमाती चांद की और पड़ी। इंद्री ने अपनी मां से पूछा – “मां यह आसमान में क्या चमक रहा है?”

इंद्री की मां और रानी इंदुमती ने कहा – “यह चांद है जो हमारी धरती पर रात के समय रोशनी करने का काम करता है”। अपनी मां की बात सुनकर इंद्री बोली – “मां मुझे यही खिलौना चाहिए खेलने के लिए आप पिताजी से कहिए ना कि वह मेरे लिए चांद लेकर आए”। 

इंदुमती और राजा भानु प्रताप ने इंद्री को काफी समझाया कि चांद को धरती पर लाना नामुमकिन है लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रहीं। इस जिद्द के चलते राजकुमारी इंद्री ने खाना पीना भी छोड़ दिया ओर अब उनकी तबियत खराब होने लगी। 

राजकुमारी की ये हालत देखकर राजा ने दरबार लगाया जिसमें सभी राज मंत्री इकट्ठा हुए। राजा भानु प्रताप बोले – “हमारी बेटी राजकुमारी इंद्री की तबीयत काफी खराब हो गई है। उन्हें खेलने के लिए चांद चाहिए और अब सिर्फ वही उनकी तबीयत को ठीक कर सकता है। क्या आप में से किसी के पास कोई आइडिया है जिससे मैं अपनी बच्ची की जिद को पूरा कर पाऊं और उसकी तबीयत ठीक हो पाए।”

राजमंत्री बोला – राजा साहब चांद को जमीन पर लाना तो नामुमकिन है। लेकिन हां एक व्यक्ति है जो आपकी समस्या का समाधान कर सकता है, और वह है गांव का फेमस जोकर। 

राजा ने जोकर को बुलाने का आदेश दिया और उसे पूरी बात बताई। जोकर ने राजा को आश्वासन दिया कि वह उनकी बेटी  की जिद को पूरा कर देगा। 

अगले दिन जोकर राजकुमारी इंद्री से मिलने गया। जोकर ने पूछा – “राजकुमारी आप जिस चांद की बात कर रहे हैं, क्या आप मुझे बताएंगे कि वह कितना बड़ा है?” 

राजकुमारी बोली – “चांद मेरे अंगूठी जितना बड़ा है, बगीचे से वह बिल्कुल मेरे अंगूठे जितना दिखाई देता है।” 

जोकर ने फिर पूछा – “कि अच्छा बताइए चांद किस चीज से बना है?”, तो इस पर राजकुमारी ने कहा – “चांदी चांदी से बना है जिसमें हीरे जड़े हुए हैं”। 

राजकुमारी की जिद्द का हल निकल चुका था। जोकर ने राजसुनार से एक सुंदर और चांद जैसा दिखने वाला लॉकेट बनाने के लिए कहा, और वह लॉकेट लाकर राजकुमारी के हाथों में रख दिया। लॉकेट को देखकर राजकुमारी बहुत खुश हो गई। लेकिन राजा को अभी भी इस बात की चिंता थी, कि जब वह चांद आसमान में देखोगी तो उसे लगेगा कि उसके पिता ने उसके साथ धोखा किया है। 

लेकिन इस समस्या का हाल भी जोकर के पास था। जोकर ने राजकुमारी को चांद दिखाया, और कहा कि जिस तरह से छोटे बच्चों का दांत टूटने के बाद वापस आ जाता है । ठीक उसी तरह से यह चांद भी टूटने के बाद फिर से उगा आया है। 

अब राजकुमारी की जिद्दी पूरा हो गई थी और राजा भी खुश थे। राजा ने खुश होकर जोकर को बहुत सारा सोना इनाम में दिया। 

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2. ईमानदारी का इनाम 

ईमानदारी का इनाम 

एक छोटे से गाँव में विराट नाम का एक लड़का रहा करता था। जो बहुत ही ईमानदार और सच्चा व्यक्ति था। विराट की इसी खासियत की वजह से गांव में हर कोई उसे बहुत पसंद करता था। 

एक बार की बात है गांव के राजा प्रीतम सिंह ने गांव में ऐलान करवाया, की जो भी गांव में सबसे बड़ा ईमानदार व्यक्ति होगा उसे उनकी तरफ से इनाम दिया जाएगा। हालंकि उस व्यक्ति की ईमानदारी की परीक्षा खुद राजा प्रीतम सिंह लेंगे। 

अगले दिन बहुत सारे लोग अपनी ईमानदारी की परीक्षा देने पहुंचे। विराट भी इन लोगों में शामिल था। राजा ने हर एक व्यक्ति को कुछ बीज और एक गमला दिया और कहा –  “इन बीजों को बोइए और छह महीने बाद जो सबसे अच्छा पौधा लेकर आएगा, उसे इनाम मिलेगा।”

सभी लोग बड़े उत्साह से बीज लेकर घर अपने अपने घर चले गए। विराट ने भी घर जाकर गमले में बीज बोया और रोज उसे पानी देने लगा। उसने गमले में खाद दिया, उसे धूप में रखा और उसकी खूब देखभाल की, लेकिन कुछ महीनो के बाद भी उस गमले में कोई भी पौधा नहीं उगा। 

देखते-देखते 6 महीने बीत गए। छह महीने बाद सब लोग सुंदर-सुंदर पौधे लेकर राजा के दरबार में पहुँचे, लेकिन विराट का गमला खाली था। उसे यह देखकर शर्म आ रही थी, कि सिर्फ उसी का गमला खाली है बाकी सब के गमले में कोई ना कोई सुंदर पेड़ लगा हुआ है। 

राजा ने सबके पौधे देखे, फिर विराट के पास आकर मुस्कुराए, और बोले – “यही गांव का सबसे ईमानदार और सच्चा व्यक्ति है!”

ये सुनकर हर कोई हैरान रह गया, क्योंकि उसके गमले में तो कोई पौधा भी नहीं, फिर वह कैसे ये प्रतियोगिता जीत गया? ये देखकर राजा ने कहा, “मैंने जो बीज दिए थे, वो खराब थे। उनमें कोई पौधा उग ही नहीं सकता था।

मैं ये देखना चाहता था कि कितने लोग अपने आपको सच्चा साबित करते हैं, लेकिन बाकी सबने नए बीज बोकर मुझे धोखा दिया।  पर विराट ने सच्चाई दिखाई। इसलिए विराट ही इस इनाम का असली हकदार है।”

विराट को राजा ने सोने का एक सिक्का दिया, जिसपर लिखा था ”ईमानदारी की सच्ची मिसाल”।

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3. गडरिया की कहानी: झूठ बोलना भारी पड़ा 

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पुराने समय की बात है, रामू नाम का एक गडरिया भेड़ चराने के लिए गांव की पहाड़ियों पर जाया करता था। रामू बहुत ही शैतान था है, वह अक्सर गांव के छोटे बच्चों को अपनी झूठी बातों से बहकाता रहता। 

एक दिन की बात है, रामू भेड़ चराने के लिए गया। वहां न जाने उसे क्या शरारत सूझी और वो जोर–जोर से चिल्लाने लगा – बचाओ बचाओ भेड़िया आया। 

रामू की आवाज सुनकर आस–पास के खेतों में काम कर रहे लोग भागकर उसके पास आए, और बोले – रामू तुम डरो मत, हम आ गए हैं, बताओ भेड़िया कहां है हम उसे भगा देंगे। 

किसान की बात सुनकर रामू जोर से हंसने लगा और बोला – “अरे मैं तो मजाक कर रहा था यहां कोई भेड़िया नहीं हुआ है। तुम लोगों को बेवकूफ बनाना सच में बहुत आसान है।” यह कहकर वह और तेजी से हंसने लगे।

आसपास के सभी किसान रामू को डांटकर वापस लौट गए। लेकिन रामू अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। एक बार और उसने इसी तरह से झूठ बोला और किसानों को परेशान किया। 

लेकिन एक दिन भेड़ चराते समय सच में एक भेड़िया वहां आगया। रामू ने मदद के लिए आवाज लगाई – “ बचाओ बचाओ भेड़िया आया”। आसपास के किसानों में उसकी आवाज तो सुनी, लेकिन उन्हें लगा कि हर बार की तरह है इस बार भी वह झूठ बोल रहा है।

ऐसे में कोई भी रामू की मदद करने के लिए नहीं आया। आखिरकार भेड़िया रामू की भेड़ को उठाकर ले गया, और वो कुछ भी नहीं कर सका। शाम को।जब वह लौटा तो लोगों को पता चला कि आज सच में एक भेड़िया आया था। 

तभी एक बूढ़े किसान ने रामू से कहा – “अगर तुमने आज से पहले दो बार भेड़िया का झूठ नहीं बोला होता, तो आज तुम्हारे साथ ये न हुआ होता। तुम्हे झूठ बोलने की ही सजा मिली है।” 

रामू अब समझ चुका था कि – झूठ बोलने से किसी का भला नहीं होता है। उसने अब कभी भी झूठ न बोलने की कसम खा ली थी। 

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निष्कर्ष 

उम्मीद है “बच्चों की रात की कहानियो” का यह सफर आपको पसंद आया होगा। अगर कहानी अच्छी लगी हो तो इन्हें अपने दोस्तों परिवार वालों के साथ शेयर करें। और इसी तरह है कि अन्य नैतिक कहानियां या Moral Stories in Hindi पढ़ने के लिए आप हमारे ब्लॉग की दूसरी कैटेगरी को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। 

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