कछुआ और खरगोश की कहानी

Rabbit And Tortoise Story In Hindi: बच्चों की नैतिक कहानियों में आज हम लेकर आए हैं एक “खरगोश और कछुआ की कहानी”। एक खरगोश जिसे अपने तेज दौड़ने के गुण पर बहुत ज्यादा घमंड था, वही कछुआ धीरे-धीरे चलकर भी खुश था। लेकिन घमंड में चूर खरगोश हमेशा उसका मजाक बनाया करता। 

एक दिन सभी जानवरों के सामने कछुए का मजाक उड़ाने के लिए खरगोश ने उसे चुनौती दी। लेकिन यह चुनौती खरगोश को ही भारी पड़ गई। अब इस चुनौती में ऐसा क्या हुआ? यह जानने के लिए इस “कछुआ और खरगोश की कहानी” को पूरा जरूर पढ़े….

कछुआ और खरगोश की कहानी

khargosh aur kachhua ki kahani

पुराने समय की बात है, एक जंगल में तालाब किनारे एक कछुआ रहा करता था जो काफी शांत स्वभाव का था । वह किसी से ना ज्यादा बात करता ना ही लड़ाई झगड़ा। 

इसी जंगल में एक खरगोश भी रहता था जो बहुत ही फुर्ती रहा था जंगल में उसने बहुत सारी दौड़ प्रतियोगिता है जीती थी जिस वजह से उसे घमंड था कि इस पूरे जंगल में उसके जितना तेज कोई भी जानवर नहीं भाग सकता है। 

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खरगोश ने उड़ाया कछुए का मजाक

जानवरों की महफिल में वह हमेशा अपने रेस जीतने के किस्से सुनाया करता था। एक दिन जंगल में जमघट लगा जहां सभी जनवरी इकट्ठा हुए। कछुआ भी इस जमघट में पहुंचा।

खरगोश अपनी बड़ी-बड़ी डींगे हांक ही रहा था कितने में उसने कछुए को देखा। न जाने कछुए को देखकर खरगोश के मन में क्या विचार आया और उसने कहा – “अरे कछुए, तुम तेज चलना क्यों नहीं सीखते? तुम इतना धीरे धीरे चलते हो कि अगर तुम्हें दूसरे गांव जाना हो तो रात ही हो जाती होगी। अगर तुम जल्दी चलना सीख लोगे करो, तो हम किसी दिन रेस लगा सकते हैं।”

खरगोश ने दी कछुए को चुनौती

खरगोश की बात सुनकर कछुआ केवल उसे देखकर मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। खरगोश कछुए को तंग करना चाहता था। ऐसे में एक दिन उसने सभी जानवरों के सामने कछुए को चुनौती दी। 

खरगोश ने कछुए से कहा – “तुमको मैंने कितनी बार कहा है कि तुम तेज चलना सीख लो लेकिन तुम हो कि तुम्हारे कान पर जूं ही नहीं रेंगती है।” 

इस पर कछुआ बोला – अच्छा, लेकिन मैं अपने आप से संतुष्ट हूं। मुझे तेज चलने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं धीरे-धीरे चलकर भी अपने सभी कम समय पर पूरे कर लेता हूं। 

कछुए की बात सुनकर खरगोश चिढ़ गया और गुस्साए स्वर में बोला – “अच्छा तुम्हें ऐसा लगता है तो क्यों ना एक रेस हो जाए। जंगल की चौपाल से हम दोनों एक साथ पहाड़ के ऊपर वाले पेड़ की ओर जाएंगे देखते हैं कौन वहां पहले पहुंचता है।” 

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चुनौती को स्वीकार करके कछुए ने हर किसी को चौंका दिया

सभी जानवर खरगोश की बात सुनकर उससे कहने लगे कि वह यह कैसी बातें कर रहा है? भला कछुआ एक खरगोश से तेज कैसे भाग सकता है? 

लेकिन कछुए ने सभी जानवरों से अलग कुछ और ही कहा। कछुआ बोला : “ठीक है, मैं चुनौती स्वीकार करता हूँ।”

उसके ऐसा कहते ही पास खड़े बाकी जानवरों को बहुत आश्चर्य हुआ लेकिन कछुए की हिम्मत देखकर वे उसका उत्साहवर्धन करने लगे।

खरगोश और कछुआ की रेस देखने पहुंचे सभी जानवर 

दूसरे दिन जंगल के सभी जानवर चौपाल पर इकट्ठा हुए। जंगल के लगभग आधे जानवर खरगोश का सपोर्ट कर रहे थे तो वहीं आधे कछुए का सपोर्ट कर रहे थे। 

जब दौड़ शुरू हुई तो कुछ ही देर में खरगोश कछुए को पीछे छोड़ उससे बहुत आगे निकल गया। कुछ दूर दौड़ने के बाद जब खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे दूर – दूर तक कछुआ नजर ही नहीं आया। 

यह देखकर उसने मन में सोचा – “कछुआ अपनी धीमी चाल में न जाने कब तक यहां पहुंचेगा।” क्यों न मैं यहीं रुक कर उसका इंतजार करूं? और जब वह आएगा तो, मैं तुरंत दौड़ कर रेस पूरी ही कर लूंगा और जीत जाऊंगा। 

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कछुए ने जीती रेस 

ऐसा सोचते ही खरगोश किनारे लगे एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे लेट गया। पत्तों की छाया और ठंडी हवा में उसे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला। 

दूसरी ओर कछुआ बिना हार माने अपनी धीमी गति से लगातार चल रहा था। 

थोड़ी देर बाद कछुआ उसे जगह पर पहुंचा, जहां खरगोश घोड़े बेचकर सो रहा था। 

कछुआ उसके पास से गुजरते हुए धीरे धीरे उसी तरह से चलता रहा। काफी समय बाद खरगोश की नींद खुली तो उसने देखा की कछुआ उससे बहुत आगे निकल गया है। 

हड़बड़ी में वह बहुत तेज भाग लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी कछुआ अपनी मंजिल तक पहुंच गया था और जंगल के बाकि जानवरों ने उसे विजेता भी घोषित कर दिया था। 

खरगोश जब वहां पहुंचा तो उसने देखा कि कछुआ के सिर पर जीत का ताज लगा हुआ था और दूसरे जानवर उसे बधाई दे रहे थे। खरगोश को देखकर कछुआ मुस्कुराया और बोला –”आज मेरी जीत नहीं बल्कि आपके घमंड की हार हुई है”। 

खरगोश को आपने गलती का एहसास 

कछुए की बात सुनकर खरगोश को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हो रहा था। उसे अब पता चल गया था कि वह अपने घमंड और बड़बोलेपन के कारण ही जंगल के सबसे धीरे चलने वाले जानवर से हार गया है। खरगोश ने प्रण लिया कि अब से वह किसी भी जानवर को बेवजह है परेशान नहीं करेगा, ना ही वह उनसे इस तरह की ऊलजुलूल शर्तें लगाएगा। 

सीख  

  • किसी की बातों में आकर अपनी काबिलियत पर शक कभी मत करो। 
  • अपने हुनर पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए। 

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FAQs: खरगोश कछुआ की कहानी को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q.1 – कछुआ और खरगोश कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

Ans – यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी परिस्थिति में जल्दबाजी से काम नहीं देना चाहिए । बल्कि हर परिस्थिति में आत्मविश्वास, धैर्य और दिमाग से काम लेना चाहिए। अगर कछुआ अपना मनोबल हार जाता तो वह खरगोश से कभी नहीं जीत पाता। 

Q.2 – कछुआ और खरगोश की दौड़ कौन जीता?

Ans – खरगोश और कछुआ की कहानी में कछुआ दौड़ में जीतता है। 

Q.3 – खरगोश कछुए से क्यों हार गया था?

Ans – खरगोश अपने ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से हारा। क्योंकि उसे लगा कि कछुआ धीरे-धीरे चल रहा है, और इसी के चलते वह खरगोश  लापरवाही से बीच रेस में ही पेड़ के नीचे सो गया। 

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