Desi Kahani in Hindi: Top 5 गांव की सच्ची देसी प्रेम कहानियां

गांव का देसी माहौल हर किसी का मन मोह लेता है। अक्सर खुशनुमा ग्रामीण परिवेश में सच्चे प्यार, साहस, और विश्वास की मिसाल पेश करने वाली प्रेम कहानियां भी पनपती हैं। गांव की अद्भुत प्रेम कथाओं से जुड़ी ऐसी ही Desi Kahani In Hindi आज हम आपके सामने लेकर आए हैं। 

अगर आप भी प्रेम कहानियां पढ़ने में रुचि रखते हैं तो ये Desi Kahaniya जरूर पढ़िएगा। यहां आपको गांव की संस्कृति में लिपटी प्यार, समर्पण की अनोखी कहानी देखने को मिलेगी, तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं….

Top 5 गांव की दिल छू लेने वाली देसी कहानियां

1 प्रेम की पुनर्जन्म गाथा: Desi Love Story in Hindi

प्रेम की पुनर्जन्म गाथा: Desi Love Story in Hindi

एक गाँव में एक बंजारा लड़का रहता था, जिसका नाम था रोहन। रोहन गाने – बजाने का काम किया करता था। वह अक्सर गांव के बागों में बाँसुरी बजाता और मेलों में अपने गीतों से सबका दिल जीत लेता। उसी गाँव में एक रईस ज़मींदार भी रहता था, जिसका नाम ठाकुर रणबीर सिंह था। उसकी एक बेटी भी थी जिसका नाम चांदनी था। चांदनी सौंदर्य और संस्कार की अटूट मिसाल थी। 

एक दिन गांव में मेला लगा, जहां चांदनी भी अपने दोस्तों के साथ गई। मेले में बांसुरी बजाने की प्रतियोगिता चल रही थी, जिसके चीफ गेस्ट ठाकुर रणबीर सिंह थे। इस प्रतियोगिता में रोहन ने ऐसी बांसुरी बजाई की सब का मन मुग्ध हो गया । ठाकुर रणबीर ने खुद अपने हाथों से रोहन को पुरस्कार दिया। 

इस दौरान चाँदनी भी वहां मौजूद थी। उसने रोहन की बाँसुरी की धुन सुनी और उसे अपना दिल दे बैठी। रोहन को भी पहले ही नजर में चांदनी से प्यार हो गया। 

दोनों की आँखें मिलीं और धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी। रोहन और चाँदनी अब छुप-छुप कर गांव के बाहर बागों और हाट बाजारों में एक दूसरे से मिलने लगे। लेकिन कहते हैं ना कि प्यार छुपाए नहीं छुपता। एक दिन ठाकुर साहब को भी इस रिश्ते की भनक लग गई।

ठाकुर साहब को यह रिश्ता कतई बर्दाश्त नहीं था। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी इकलौती बेटी एक बंजारे के प्यार में कैसे गिर सकती है। यह सोचकर ठाकुर गुस्से में तिलमिला उठे और उन्होंने चाँदनी को घर में बंद कर दिया । 

ठाकुर रणबीर अपने गुंडों के साथ रोहन के ठिकाने पर गया, जहां सभी बंजारे रहते थे। उन्होंने रोहन को अपने गुंडो से पिटवाया और उसे गांव छोड़कर जाने की धमकी दी। ठाकुर ने कहा – “अगर तुम चांदनी को जिंदा देखना चाहते हो तो आज रात ही यह गांव छोड़कर चले जाओ”। 

रोहन ठाकुर की धमकी से डरता नहीं था लेकिन अपने प्यार की सलामती के लिए वह गांव छोड़ने के लिए राजी हो गया। चांदनी को जैसे ही इस बात का पता चला वह जैसे तैसे उस कमरे से भागकर रोहन के पास पहुंच गई।  लेकिन किस्मत ने उन्हें धोखा दे दिया। लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और ठाकुर के हवाले कर दिया। 

क्रोध की अग्नि में ठाकुर रणबीर सिंह ने रोहन को गुंडो से मरवा दिया। अपने प्रेम को अपनी आंखों के सामने मरता देख चांदनी में भी प्राण त्याग दिए। 

लेकिन प्रेम अमर होता है, जो मरकर भी नहीं मारता है। 

सालों बाद, उसी गाँव में एक ज़मींदार का बेटा जन्मा जिसका नाम था वीर। वहीं, एक बंजारा परिवार में एक लड़की जन्मी – जिसका नाम रूपा रखा गया।

समय बदला, पर रूहें वही थीं। दोनो को बचपन से ही एक दूसरे की अधूरी प्रेम कहानी सपने में दिखाई देती। देखते ही देखते दोनों जवान हो गए। वीर ने मेले में बाँसुरी की धुन पर नाचती उस लड़की को देखा – और उसका दिल धड़क उठा। और जब रूपा ने वीर की आँखों में देखा, उसे लगा मानो जैसे कोई अधूरी कहानी फिर से पूरी होने को है।

धीरे-धीरे दोनों की मुलाकात बड़ी ओर उन्हें एहसास हुआ कि उन दोनों का रिश्ता आज का नहीं बल्कि सदियों पुराना है। 

लेकिन इस बार फिर वही समाज की दकियानूसी सोच उनके प्यार के आड़े आ गई। इस बार लड़की बंजारा थी और लड़का ज़मींदार का बेटा था। वीर के पिता को ये रिश्ता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं था। वो अपने बेटे की शादी एक अमीर और जमींदार परिवार में करवाना चाहते थे। 

लेकिन वीर ने रूपा से शादी करने की जिद्द की। इस बार समाज के आगे उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने प्यार के लिए लड़ाई लड़ी।  वीर ने अपने पिता को समझाया कि जात-पात, धन-दौलत कुछ नहीं होता, अगर दिल सच्चे हों तो कच्चे घरों में भी सुकून से रहा जा सकता है।

रूपा ने भी अपने कबीले को अपने साथ खड़ा किया। शुरुआत में रूपा के पिता उससे नाराज हुए लेकिन फिर अपनी बेटी की खुशी के आगे उन्होंने घुटने टेक दिए। आख़िरकार, उनका प्यार जीत गया।

गाँव ने पहली बार देखा – एक बंजारा बेटी, ज़मींदार के आँगन की बहू बनकर आई। जब दोनों ने सात फेरे लिए, तो पूरा गाँव झूम उठा। रूपा और वीर की पिछले जन्म की अधूरी कहानी इस जन्म में पूरी हो चुकी थी। दोनों खुशी – खुशी एक दूसरे के साथ रहने लगे। 

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2. बड़े घर की बेटी: Gaon Ki Desi Kahani 

बड़े घर की बेटी: Gaon Ki Desi Kahani 

वल्लभगढ़ गांव के सरपंच रामपाल आज बहुत ही खुश थे। उनकी इकलौती बेटी राधिका का विवाह हो रहा था। लेकिन राधिका इस विवाह से बिल्कुल भी खुश नहीं थी। वो खुश होती भी क्यों? उसके लिए गांव के एक से एक अमीर जमींदारों के रिश्ते आए थे, लेकिन उसके पिता ने उसका विवाह गांव के एक मामूली किसान श्याम के साथ तय कर दिया था। 

श्याम एक सुंदर और नौजवान लड़का था, जो अपने खेतों में मेहनत करके फसल उगाता था। पहली नजर में तो राधिका ने श्याम से शादी करने से मन कर दिया लेकिन अपने पिता के लिए है वह उससे शादी करने को राजी हो गई। राधिका भले ही स्वभाव से एक जिद्दी लड़की हो, लेकिन अपने पिता के लिए वह कुछ भी कर सकती थी। यह शादी भी उसके द्वारा अपने पिता को दिया हुआ एक तोहफा ही था। 

रामपाल अपनी बेटी राधिका के लिए बड़े से बड़े जमींदार का रिश्ता ला सकते थे लेकिन उन्होंने शाम को चुना इसके पीछे भी एक वजह है थी। दरअसल, एक दिन सरपंच रामपाल खेतों से जा रहे थे, की तभी कुछ गुंडों ने अचानक उन पर हमला कर दिया, और उन्हें लूटने लगे। 

श्याम उस समय अपने खेतों में पानी लगा रहा था, तभी उसने देखा कि कुछ गुंडे एक बूढ़े व्यक्ति को पीट रहे हैं। वह तुरंत वहां आया और गुंडो को वहां से मार कर भाग दिया। रामपाल ने उसे अपनी मदद के बदले कुछ पैसों की पेशकश की, लेकिन शाम में यह कह कर पैसे लेने से मना कर दिया, “कि अगर आज मैं आपकी मदद के बदले ये पैसे ले लेता हूं तो मेरा ज़मीर मुझे कभी माफ नहीं कर पाएगा।”

श्याम की इस बात ने सरपंच का दिल जीत लिया। वे रोज श्याम को खेतों में मेहनत करता देखते। उन्हें पता था कि शाम की खुद्दारी उसे कभी भी किसी के आगे झुकने नहीं देगी उसकी इसी खासियत की वजह से उन्होंने अपनी बेटी का हाथ शाम के हाथों में देने का फैसला किया। 

जैसे तैसे शादी संपन्न हुई और श्याम राधिका को लेकर अपने घर आ गया। श्याम का घर राधिका के घर के मुकाबले काफी छोटा था। उसके पिता के घर में पांच कमरे थे, जहां दो नौकर हमेशा उसके आगे पीछे घूमते रहते थे। लेकिन यहां एक कमरे और रसोई वाले घर में राधिका का गुजारा करना मुश्किल था। 

राधिका यह सब सोच ही रही थी कि, इतने में श्याम वहां आया और राधिका से बोला, “मैं जानता हूं ये रिश्ता तुम्हारे लिए अचानक आया है, लेकिन मैं तुम्हें वक्त दूंगा। जब तक तुम खुद मुझे स्वीकार न करो, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।”

श्याम की इस बात से राधिका के दिल में एक कोमल एहसास जागा। दिन बीतते गए, श्याम की सच्चाई और उसकी मेहनत और लगन, राधिका का दिल जीतने में कामयाब हो रही थी। श्याम राधिका को कोई कमी नहीं होने देता। 

राधिका खाना बनाने में थोड़ी कच्ची थी, तो श्याम अक्सर खाना बनाने में उसका हाथ बटाया करता। खेतों में काम करके आने के बाद वह राधिका को उसके पिता से भी मिलवाने ले जाया करता था, ताकि वह अपने पिता के स्वास्थ्य की चिंता न करे। राधिका अपने पति को अपने पिता की चिंता करते देखकर हमेशा ही खुश हुआ करती थी। 

सबकुछ सही चल रहा था पर फिर भी एक कमी थी, जो अंदर ही अंदर राधिका को श्याम को अपनाने से रोक रही थी। राधिका हमेशा सोचती थी कि वह एक पढ़ी लिखी और बड़े परिवार की लड़की होकर, श्याम जैसे मामूली किसान से कैसे प्यार कर सकती है? 

एक दिन राधिका घर की सफाई कर रही थी, तभी अचानक उसकी नजर अलमारी के ऊपर रखे संदूक पर गई। उसने साफ–सफाई करने के लिए संदूक को नीचे उतारा और उसे खोला तो वह चौंक गई। उस बक्से में श्याम की कॉलेज की डिग्री ओर सर्टिफिकेट थे। श्याम एग्रीकल्चर में फर्स्ट क्लास ग्रेजुएट था। 

शाम को जब श्याम खेतों से घर आया तो, राधिका ने उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा। तब श्याम ने बताया कि। उसे देश की बड़ी बड़ी एग्रीकल्चर कंपनियों से नौकरी का बुलावा आया था, पर वह गांव के लोगों के लिए कुछ खास करना चाहता था। इसलिए वह खेती करता था, ताकि वह उसकी बारीकियों को समझ सके और उसमें सुधार कर सके। 

श्याम की बात सुनकर राधिका को आत्मग्लानि हुई। वह सोच रही थी “ जिसे वह मामूली किसान समझ रही थी, वो एक पढ़ा लिखा समझदार व्यक्ति है। धीरे धीरे राधिका ने श्याम को अपने मन से पति मानना शुरू कर दिया। 

कुछ दिनों बाद श्याम की मेहनत भी रंग लाई। उसने किसानों के लिए कुछ ऐसे आधुनिक औजार बनाए, जिसने उनके काम ओर मेहनत को कम करके पैदावार बढ़ाने में मदद की। राधिका और श्याम भी अब खुशहाल दंपत्ति की तरह जीवन जीने लगे। 

राधिका अब समझ चुकी है – कभी-कभी जो रिश्ते हमें थोपे गए लगते हैं, वही हमारे दिल की सबसे खूबसूरत कहानी बन जाते हैं। 

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3. बचपन की दोस्ती प्यार में बदली: देसी कहानी 

बचपन की दोस्ती प्यार में बदली: देसी कहानी

हीरा और रूबी बचपन के दोस्त थे। दोनों गांव के चौपाल पर खूब मस्ती किया करते थे। हीरा की मां लीलावती तो बचपन में रूबी को खूब छेड़ा करती थी। कहती थी – “ मैं अपने हीरा के लिए तुझे ही दुल्हन बनाकर लाऊंगी” पर रूबी का निश्चल मन इन बातों को कहा समझता था। वह तो अपनी मस्ती में धुन पूरा पूरा दिन हीरा के साथ गांव का चक्कर लगाती। 

रूबी के पिता कैलाश गांव के सरकारी बैंक में बड़े अधिकारी थे। थोड़े दिनों बाद उनका ट्रांसफ़र हो गया ओर रूबी को अपने पिता के साथ गांव छोड़कर जाना पड़ा। शहर जाने से पहले रूबी हीरा से मिलने आई जहां हीरा ने उसे एक मोतियों का ब्रेसलेट गिफ्ट में दिया। 

रूबी शहर तो आ गई थी लेकिन वहां वह अपने दोस्त हीरा को बहुत ज्यादा याद किया करती थी। वहीं दूसरी ओर गांव में भी हीरा का थी हाल था। 

पूरे गांव में एक रूबी ही थी जो उसके मन की बात को समझ पाती थी। रूबी के जाने के बाद  हीरा के मन में एक खालीपन सा आ गया था। 

धीरे-धीरे समय बीतता गया। रूबी अब एक सुंदर युवती बन गई थी। जिसका सौंदर्य और कोमल व्यवहार हर किसी का मन मोह लेता था। वहीं दूसरी और हीरा भी एक हट्टा कट्टा नौजवान बन गया था। कुश्ती में उसका नाम न सिर्फ उसके गांव बल्कि आसपास के सभी गांव में फेमस था। 

एक दिन कुश्ती टूर्नामेंट के लिए हीरा शहर गया। यह वहीं शहर था जहां रूबी अपने पिता के साथ रहा करती थी। शहर आने के बाद हीरा ने सोचा कि अभी कुश्ती के मैच को समय है तो क्यों ना शहर घूम लिया जाए? यह सोचकर वह मॉल में गया जहां उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई, जो मॉल में कपड़े चेंज करवाने आई थी। इस लड़की से बात करके हीरा को लगा कि जैसे हो उसे सालों से जानता हो। 

हालांकि वह इस बात से बिल्कुल अनजान था, कि यह लड़की ही उसकी बचपन की दोस्त रूबी है। वही रूबी को भी नहीं पता था कि जिस लड़के से वह बात कर रही है वह कोई और नहीं बल्कि उसका दोस्त हीरा है। बातों की बातों में हीरा ने उसे अपने मैच के बारे में बताया और उस आग्रह किया कि वह उसकी कुश्ती देखना जरूर आए। 

रूबी नहीं मैच देखने के लिए हां कर दी शाम को रूबी अपना फेवरेट बैग लेकर मैच देखने के लिए पहुंची। कुश्ती में हीरा ने सामने वाले व्यक्ति को पटखनी दी और वह मैच जीत गया। 

मैच के बाद रूबी और हीरा दोनों मिले, जहां हीरा ने रूबी के बैग में लटका हुआ एक ब्रेसलेट देखा। ये भी ब्रेसलेट था जो हीरा ने अपनी बचपन की दोस्त रूबी को दिया था। हीरा ने आश्चर्य से पूछा – “क्या यह ब्रेसलेट तुम्हारा है”? 

रूबी बोली – “हां, ये मेरे बचपन के दोस्त ने मुझे दिया था। मैं इसे कभी अपने से दूर नहीं होने देती। वो तो अब ये मेरे हाथ में नहीं आता तो, तो मैने इसे अपने बैग में लटका रखा है।” 

रूबी की बात सुनकर मानो हीरा को उसकी दुनियां मिल गई हो, बचपन से जिस दोस्त का वो इंतजार कर रहा था, वो अब उसके सामने थी। 

हीरा बोला – “ तुम कैलाश जी की लड़की, रूबी चौहान हो?” 

रूबी बोली – “ हां, लेकिन तुम्हें कैसे पता?” रूबी ने आश्चर्य से कहा। 

हीरा बोला – “अरे पागल में तुम्हारे बचपन का दोस्त हीरा हूं, जिसे तुम पूरा दिन हीरा – हीरा कहकर चिढ़ाती थी।” 

ये सुनकर रूबी बहुत खुश हुई, की जिस दोस्त को वो गांव की गलियों में भूल आई थी, वो आज उसके सामने है। दोनों बहुत खुश थे। 

धीरे – धीरे दोनों की मुलाकात बढ़ने लगी और दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। थोड़े समय बाद दोनों ने शादी की और खुशी – खुशी गांव में रहने लगे। 

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4. प्यार ने दी सपनो को उड़ान 

प्यार ने दी सपनो को उड़ान: Desi Kahani in Hindi

निशा गांव की भोली भाली लड़की थी। वह पूरा दिन अपने मां बाबा के साथ खेतों में काम किया करती थी, और रात को उन्हें अच्छा अच्छा खाना बनाकर खिलाती थी। उसके घर की रसोई उसके लिए एक अलग ही दुनिया थी, जहां अलग – अलग मसालों से वो देसी–विदेशी पकवान बनाया करती थी।

खाना बनाना उसका जुनून था। सालों से उसने बस एक ही सपना देखा था की, एक दिन वो मास्टरशेफ इंडिया का हिस्सा बने। लेकिन गांव में सपने देखना आसान नहीं होता। क्योंकि वहां न तो संसाधन होते हैं, न मार्गदर्शन, और न ही कोई ऐसा जो उसके हुनर को समझ सके। लेकिन निशा ने सपना देखना नहीं छोड़ा। 

इसी दौरान गांव में अरुण नाम का एक लड़का आया। वह शहर में रहता था, लेकिन कुछ समय के लिए वो अपने दादा–दादी के पास रहने आया था। उसके दादी एक दिन उसे निशा के घर ले गई, जहां उसने निशा के हाथ का बनाया हुआ खाना चाहिए। निशा के खाने को परोसने का तरीका उसका स्वाद और उसकी मेहनत उसे बहुत ज्यादा पसंद आई।

अरुण ने निशा के बनाए खाने की तारीफ की। अरुण अब अक्सर अपनी दादी के साथ निशा के यह आता और निशा के हाथ का बना खाना खाता। धीरे–धीरे दोनों की दोस्ती भी हो गई, और वो एक दूसरे से प्रेम करने लगे। निशा की बात सुनकर अरुण ने उसे प्रोत्साहित किया। 

उसने इंटरनेट, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के जरिये निशा को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। वह रोज उसके विडियोज बनाकर यूट्यूब पर अपलोड़ करता। धीरे – धीरे लोगों को उसकी रेसिपी पसंद आने लगी। कुछ ही महीनों में उसके बनाए व्यंजन सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। 

अरुण ने निशा को मास्टरशेफ इंडिया के ऑडिशन की तैयारी करवाई। उसे थोड़ी बहुत इंग्लिश बोलना सिखाया ।  आखिरकार, निशा ने ऑडिशन पार कर लिया। अब वह जी–जान लगाकर प्रतियोगिता में भाग लेने लगी। मास्टरशेफ के जजों को भी निशा का खाना बहुत पसंद आया।

देखते ही देखते निशा से प्रतियोगिता की सभी चुनौतियों को पार कर लिया और उसने मास्टरशेफ इंडिया का खिताब जीत लिया। निशा के लिए ये बहुत बड़ी जीत थी, अपनी ट्राफी लेकर निशा सबसे पहले अरुण के पास गई और बोली –

“तुमने मुझे सिर्फ सपना जीना नहीं सिखाया बल्कि मुझे मेरी पहचान दी, मैं तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलूंगी।”

इसके बाद निशा और अरुण ने अपने अपने घर पर शादी की बात की। दोनों के घरवाले मान गए और धूम–धाम से उनकी शादी हुई।

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5. निस्वार्थ प्रेम की अनोखी कहानी 

Niswarth Prem Ki Anokhi Kahani: Desi Kahani

राम, गांव का एक सीधा साधा लड़का था, जो मन ही मन अपने गांव के मुखिया की बेटी गोपी से प्यार करता था। वहीं गांव की सबसे चुलबुली लड़की गोपी भी राम के स्वभाव को पसंद करती थी। लेकिन गरीबी अमीरी का फर्क दोनों के प्यार के बीच दीवार बनकर खड़ा था। इसी के चलते राम ने गोपी से कभी भी अपने प्रेम का इजहार नहीं किया था। 

एक दिन गोपी के लिए पड़ोसी गांव के जमींदार के बेटे का रिश्ता आया। गोपी के पिता ने उसकी मर्जी के बिना उसकी शादी तय कर दी। दोनों की शादी हुई, लेकिन किस्मत को शायद ये मंजूर नहीं था। शादी के दूसरे दिन हर गोपी के पति की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। 

पति की मौत के बाद गोपी का जीवन अंधेरे में डूब गया। समाज ने उसे विधवा के उस बंधन में जकड़ दिया, जिसमें न कोई रंग था न कोई रोशनी। था तो सिर्फ सफेद रंग। समाज में विधवाओं का जीवन आसान नहीं होता है। पुराने रीती रिवाजों के चलते उन्हें समाज और घर में रहते हुए भी सबसे कट कर रहना पड़ता है। 

गोपी के साथ भी यही हुआ। उसके ससुराल वालों ने उस पर कलंकिनी होने का आरोप लगा कर उसे उसके पीहर भेज दिया। उसके पिता उससे बहुत प्रेम करते थे, लेकिन रीती रिवाजों और घर की बुजुर्ग महिलाओं के सामने वो विवश थे। 

गोपी, जो हमेशा चहचहाती रहती, वो अब गुमसुम हो गई थी। उसका घर से बाहर निकलना बंद हो गया था। त्योहारों में शामिल होना तो दूर, उसका हँसना भी मानो पाप बन गया था। समाज की परंपराओं ने उसे जीते जी एक मरा हुआ इंसान बना दिया।

राम, जो वर्षों से गोपी से प्रेम करता था, उससे उसकी ये हालत नहीं देखी गई। उसने फैसला किया कि वह उसे फिर से हंसना सिखाए, उसे फिर से जीने का हक दिलाएगा। वह गोपी की जिंदगी को फिर से रंगों से भरना चाहता था। 

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राम ने फिर से पहले की तरह गोपी से मिलना जुलना शुरू किया। वह उसे गांव के उन बागों में ले जाने लगा, जहां उसने अपना बचपन बिताया था। वह उसकी सभी दोस्तों को उससे मिलता। इस तरह गोपी के जीवन में फिर से थोड़ी बहुत खुशी आने लगी। लेकिन समाज से एक विधवा की खुशी देखी नहीं गई। 

गांव के लोगों ने बाते बनाना शुरू कर दिया। वो कहने लगे, “राम पगला गया है, “एक विधवा से प्रेम करता है!” देखते ही देखते ये बात गोपी के पिता और गांव के मुखिया तक भी पहुंची। गोपी के पिता ने राम का घर आना बंद करवा दिया। लेकिन राम इस बार पीछे नहीं हटा, उसने सबके सामने गोपी के लिए अपने प्रेम का इजहार किया। 

राम की बात सुनकर पूरे गांव में हलचल मच गई और गांव में पंचायत बिठाई गई । लोगों ने बाते बनाना शुरू कर दिया कि – “आखिर कोई एक विधवा से प्रेम कैसे कर सकता है, यह तो पाप है।” 

इस पर राम ने लोगों से खुलकर सवाल पूछे—”क्या विधवा होना जीवन का अंत है?”, “क्या उसका हँसना, उसका जीना पाप है, अगर कोई लड़की किसी हादसे में विधवा हो जाती है, तो इसमें उस बेचारी का क्या कसूर है? क्या उससे प्यार करने और फिर से जीने का अधिकार उससे छीना जा सकता है?”

राम की बात सुनकर बहुत से लोगों ने उसका समर्थन किया। सबसे पहले एक बूढ़ी विधवा बोली – “यह लड़का सही कह रहा है, क्या औरत के पति के मरने के बाद, उसे जिंदा लाश बनाना सही है? हमारा भी जीवन है, हम भी जीना चाहते है।”

वहीं एक दूसरा व्यक्ति बोला – मेरी बेटी 18 साल की उम्र में ही विधवा हो गई, में भी चाहता हूं कि समाज के नियम बदले जाए। ताकि मैं अपनी बिटिया को यूं तिल–तिल मारता न देखूं। 

पंचायत ने पहले विरोध किया, लेकिन जब उन्होंने देखा कि गांव के कई लोग राम का समर्थन कर रहे हैं, तो वे थोड़ा शांत हुए। पंचायत ने गोपी को बुलाया और उससे उसकी मर्जी जानी। जब गोपी खुद सामने खड़ी होकर कहा कि वो भी राम से प्रेम करती है, तो उन्होंने शादी की इजाज़त दे दी।

पूरे गांव के सामने दोनों की शादी हुई । गोपी ने फिर से लाल जोड़ा पहना, माथे पर सिंदूर लगाया, और राम का हाथ पकड़कर साथ फेरे लिए। 

गांव में ये पहला विधवा विवाह था। इस इतने बड़े बदलाव से गांव का हर व्यक्ति खुश था। इन सबमें सबसे ज्यादा खुश थे गोपी के पिता, क्योंकि वह दिल से चाहते थे कि उनकी बेटी फिर से जीना सीख ले। और राम के साथ रहकर वह बहुत खुश थी। 

राम और गोपी के प्रेम ने सदियों से चली आ रही रूढ़ियों को तोड़ा। इस विवाह के बाद गांव में और भी विधवा विवाह हुए। दोनों के प्रेम की अमर गाथा आज भी गांव के हर व्यक्ति की जुबां पर कायम है। 

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निष्कर्ष:

गांव के परिवेश में पली–बड़ी ये Desi Kahaniya सच्चे और निश्चल प्रेम का उदाहरण है। इन कहानियों से सिख मिलती है, की हमें अपने प्रेम को पाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। 

उम्मीद हैं ये Hindi Desi Kahaniya आपको पसंद आई होंगी। कहानियां अच्छी लगी हों, तो इन्हें अपने परिवार वालों के साथ शेयर करें। अगर आप कुछ और कहानियों को एक्सप्लोरर करना चाहते हैं तो हमारी Romantic Stories जरूर पढ़ें। 

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