बच्चों की कहानियों में आज हम आपको सुनाएंगे एक साधु और उसकी अनोखी बेटी की कहानी। इस कहानी में एक साधु हैं, उनकी पत्नी और उनकी बेटी है। साधु की बेटी के लिए बड़े – बड़े देवताओं के रिश्ते आते है। लेकिन साधु की पुत्री अपने लिए किसी राजकुमार को न चुनकर एक चूहे को अपना पति चुनती है। आखिर वो ऐसा क्यों करती है, ये जानने के लिए आपको कहानी पूरी पढ़नी होगी, तो चलिए शुरू करते हैं।
सज्जनगढ़ गांव में एक साधु अपनी पत्नी के साथ हंसी खुशी रहा करते थे। उनके पास भगवान का दिया सब कुछ था, लेकिन सिर्फ कमी थी तो सिर्फ एक संतान की । एक दिन साधु गंगा नदी के किनारे स्नान करने गए तभी उन्होंने देखा की एक बार अपनी सोच में एक छोटी सी चिड़िया को दबाकर ले जा रहा है। तभी अचानक से हवा का एक तेज झोंका आया, और बाज की चोंच से चुहिया छूट कर उनके हाथों में आ गिरी।
उसकी छोटी-सी पूँछ व काली चमकीली आँखें देखकर साधु का मन भर आया। साधु गांव के सबसे महान विद्वान थे, और उनके पास कुछ जादुई शक्तियां भी थी। लेकिन उन्होंने कभी उनका गलत इस्तेमाल नहीं किया था। चुहिया को देखकर उन्हें उसे पर दया आ गई और उन्होंने उसे जादुई मंत्रों की मदद से एक छोटी बच्ची में बदल दिया।
नन्ही बच्ची को देखकर खुश हुई साधु की पत्नी
साधु उस लड़की को अपने साथ घर के गए और अपनी पत्नी से बोले- “तुम हमेशा से संतान चाहती थीं न, तो लो आज से यही हमारी पुत्री है। तुम्हें इसे पूरी देखभाल व स्नेह से पालना होगा।
साधु की पत्नी अपनी पुत्री को देख प्रसन्न हो उठी। उनकी प्रसन्नता देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो उनकी वर्षों पुरानी इच्छा पूरी हो गई है। उन्होंने उस लड़की को उर्वशी नाम दिया और उसे राजकुमारी की तरह पाला।
साल बीत के चले गए और नन्ही लड़की अब एक सुंदर सी लड़की बन गई थी। जब युवती 18 साल की हुई, साधु और उसकी पत्नी को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। दोनों चाहते थे कि उनकी बेटी को एक सुयोग्य वर मिले जो से जिंदगी भर खुश रखे।
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शादी के लिए आए अनोखे रिश्ते
साधु ने अपनी पत्नी से कहा- “मेरी बिटिया का विवाह ऐसे व्यक्ति से होना चाहिए, जो सबसे बड़ा हो। मेरे हिसाब से सूर्य ठीक रहेगा।” साधु की पत्नी ने भी हम ही भर दी। उन्होंने जादुई मंत्रों के से सूर्य को नीचे बुला लिया।
उन्होंने जब अपनी पुत्री उर्वशी से उससे विवाह करने की बात कही तो उसने सूर्य से विवाह करने से मन कर दिया। उर्वशी ने कहा – ” पिताजी! यह तो बहुत गरम है। मैं उससे विवाह करूँगी, जो इससे भी बेहतर हो।”साधु निराश हो गए। उन्होंने सूर्य से कहा कि वे ही कोई वर सुझाएँ।
क्या उर्वशी को मिलेगा उसका मनपसंद वर?
सूर्य ने काफी देर सोचा और फिर बोला – “आप अपनी बेटी के लिए बादलों के देवता को चुन सकते हैं उनसे बड़ा तो कौन है उनमें तो मेरी करने को भी रोकने की शक्ति है और वह मेरे जितने गरम भी नहीं है।”
सूर्य की बात सुनकर साधु ने बादलों के देवता को नीचे बुलाया। पर इस बार फिर से उर्वशी ने मना कर दिया और बोली- “ये तो कितना बदसूरत है, कहीं से काला है कहीं से सफेद है, मैं इससे विवाह नहीं कर सकती।”
साधु ने बादल देवता से कहा कि वही कोई अच्छा वर सुझा दें। बादल देव ने पवन देव का नाम दिया। साधु ने पवन देव को धरती पर बुलाया अपनी बेटी से विवाह करने की बात कही। लेकिन उर्वशी के मन में जाने क्या चल रहा था उसने पवन देव से भी विवाह करने से मना कर दिया।
साधु और उनकी पुत्री की बात सुनकर पवन देव ने आगे से ही कहा कि अगर आप मुझसे विवाह नहीं करना चाहती हैं तो कोई बात नहीं आप पर्वतों के देवता से विवाह कर सकती है। वह तो बहुत ही मजबूत और ऊंचे हैं और मेरा भी रास्ता रोक देते हैं उनसे ताकतवर तो कोई नहीं हो सकता है।
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पर्वत देव ने सुझाया उर्वशी के सपनों के राजा का नाम
साधु ने पर्वत देवता से कहा कि वह उसकी पुत्री से विवाह कर लें। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उर्वशी ने यह कहते हुए मना कर दिया की – “ये तो बहुत लंबे, सख्त व कठोर हैं, मैं इनसे विवाह नहीं कर सकती, इनसे भी कोई बेहतर चाहिए।”
इस पर पर्वत देवता ने चूहे का नाम सुझाया। वे बोले-“माना मैं काफी सख्त, मजबूत व ऊँचा हूँ, पर चूहे मुझमें भी आसानी से बिल बना सकते हैं। आप एक बार अपनी बेटी को उसका नाम सुझा कर देखी हो सकता है वही उसे पसंद आ जाए।
पर्वत देव की बात सुनकर साधु थोड़ा अचंभित हो गए लेकिन उन्होंने सोचा कि चलो एक बार यह भी आजमा कर देख लिया जाए शायद उनकी बेटी शादी के लिए मान जाए।
साधु ने चूहे को बुलाया, उसे देखते ही उसकी पुत्री खुशी से उछल पड़ी- “हाँ पिताजी! यही तो है वह, मैं जिससे शादी करना चाहती थी!” आप मेरी शादी इसी से करवा दीजिए, मैं इसी के साथ खुश रहूंगी।
चूहे से हुई उर्वशी की शादी
उर्वशी की बात सुनकर साधु ने सोचा – यही किस्मत का खेल है की जिस चुहिया को मैं लड़की बना कर अपने घर लाया था, उसने अपने जीवनसाथी के तौर पर एक चूहे को ही चुना।

यह एक चुहिया थी और एक चूहे से विवाह करना ही इसके भाग्य में लिखा है। साधु ने जादुई मंत्रों के प्रभाव से अपनी पुत्री को फिर से चुहिया बना दिया। और दोनों का विवाह करवा दिया। चूहा व चुहिया विवाह करके खुशी-खुशी रहने लगे।
सीख:
👉 कोई भी परिस्थिति आपके मूल स्वभाव को नहीं बदल सकती।
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