भूतिया कुआं की डरावनी कहानी – Horror Story of Haunted Well in Uttarakhand

उत्तराखंड की वादियों में बसा एक गांव, “शिवपुर”। जहां भूतिया कुएं की कहानियां बच्चों को बचपन से ही सुनाई जाती हैं। कहते हैं कि सालों पहले एक ऋषि ने एक पापी दानव को गो–हत्या के जुर्म में श्राप देकर तंत्र–मंत्र की मदद से उसे गांव से बाहर एक कुएं में बंद कर दिया था। 

सालों से वह कुआं बंद था, लेकिन एक दिन खेल खेल में रामू ने उस कुएं के ऊपर रखे ढक्कन को हटा दिया। उस दिन के बाद से कुएं से डरावनी आवाजें आना शुरू हो गया, साथ ही उस कुएं के पास से गुजरने वाले लोग भी गायब होने लगे। 

क्या शिवपुर गांव के लोगों को कभी उस भूतिया कुएं से मुक्ति मिलेगी, जानने के लिए आज की इस Horror Story को पूरा जरूर पढ़े…..

भूतिया कुएं की कहानी 

शिवपुर गांव में सभी लोग हंसी खुशी रहते थे। गांव में एक बूढ़ी दादी भी थी, जो बच्चों को तरह तरह की कहानियां सुनाती। एक दिन दादी ने सभी बच्चों को गांव के बाहर वाले भूतिया कुएं की कहानी सुनाई और कहा, “उस कुएं में एक दानव बंद है, जो कभी बाहर निकला तो विनाश आ जाएगा…”*

बच्चे इस बात को मजाक में लेते, क्योंकि उन्हें लगता कि यह सिर्फ एक कहानी है जिसमें सच्चाई नहीं है। लेकिन फिर भी गांव का कोई बच्चा उस कुएं के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था। लेकिन गांव के कुछ बच्चे ऐसे भी थे, जिन्हें उस कुएं के पास जाने की जिज्ञासा रहती थी। 

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कुएं का ढक्कन हटाते ही शुरू हुआ दानव का आतंक 

एक दिन गांव के कुछ बच्चे खेलते खेलते उस कुएं के पास पहुंच गए। मज़े-मज़े में राजू ने कुएं के ढक्कन को हल्का सा हटा दिया। ढक्कन खुलते ही कुएं से डरावनी डरावनी आवाजें आने लगी। सभी बच्चे डरकर वहां से भाग गए। 

उस दिन के बाद से गांव में अजीब घटनाएं होने लगीं। रात को जो कोई भी उस कुएं के पास से गुजरता वो गायब हो जाता। पहले पालतू जानवर, फिर एक-एक करके इंसान। देखते देखते गांव के 10 लोग बिना कोई निशान छोड़े गायब हो चुके थे। इस बात से गांव में दहशत छा गई, और सूर्य अस्त होने के बाद लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया। 

गांव वालों को पता चला दानव का रहस्य 

भूतिया कुएं की दहशत से गांव वाले परेशान हो गए थे। इस समस्या के समाधान के लिए गांव वाले पुराने मंदिर के पुजारी के पास पहुंचे। उन्होंने शिवपुराण और गांव की पुरानी ताम्रपत्री किताबों में खोजबीन की। पता चला कि उस कुएं में एक निशाचर दानव बंद था जो तंत्र विद्या से अमरता प्राप्त करना चाहता था। उसे अमर होने के लिए 11 निर्दोष लोगों की बली चाहिए थी। जिसकी शुरुआत उसने गौ हत्या करके की। 

इस बात का पता लगते ही गांव के तांत्रिकों और पुजारियों ने वर्षों पहले मिलकर उसे कुएं में बंद कर दिया था। लेकिन अब बच्चों ने कुएं का ढक्कन हटा दिया है, तो वह दानव फिर से अपनी अधूरी इच्छा को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। जिस दिन उसे 11 लोग मिल जाएंगे, वह उनकी बली देखते अमर हो जाएगा। 

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क्या दानव के आतंक से मुक्त हो पाएगा गांव ?

पंडित ने बताया कि, जो आदमी शिवजी का सच्चा भक्त है वही इस दानव को हरा सकता है। ऐसे में अब गांव में चर्चा होने लगी कि, “कौन गांव को उस दानव से मुक्ति दिलाएगा?”

गांव में यह चर्चा चल ही रही थी, की तभी एक 15 साल का बच्चा “केशव” बोला, “मैं कुएं में जाऊंगा और गांव को दानव से मुक्ति दिलाऊंगा”। केशव को बचपन से ही भगवान शिव में अटूट आस्था थी। उसके गले में शिवलिंग का एक छोटा सा लॉकेट था, जो उसके बाबा ने दी थी।

बच्चा समझकर सभी ने केशव को मना किया, पर एक रात केशव हिम्मत करके अकेले कुएं में उतर गया। अंदर बहुत ही अंधेरा था, केशव ने देखा कि, अब तक जितने लोग गायब हुए थे वो सभी कुएं में कैद थे, और उनके चेहरे पर चोट के निशान थे। 

केशव ने दी दानव को मात 

केशव उनसे बात करने वाला ही था, की तभी दानव आ गया। उसने केशव को मारने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही दानव ने उसपर वार किया, केशव ने शिव मंत्र पढ़ना चालू कर दिया। 

शिव मंत्र सुनकर दानव को गुस्सा आ गया और उसने हथियार से केशव पर वार किया। लेकिन दानव के हथियार की आग गले में पड़े शिवलिंग से टकराई, वो चीख उठा। दानव ज़ोर से चिल्लाया – “यह शक्ति! नहीं… यह शिव की आग है!”

केशव ने मंत्र का जाप करना तेज कर दिया, तभी कुएं के बीचोंबीच एक दिव्य प्रकाश फैला। उसमें से शिवजी का रूप प्रकट हुआ और दानव उस तेज़ में जलकर भस्म हो गया।

अब गांव के उस कुएं को दानव से मुक्ति मिल गई। केशव एक सुरंग के माध्यम से उस कुएं में फंसे सभी 10 लोगों को जीवित बाहर ले आया। थोड़े दिनों में सभी लोगों के घाव ठीक हो गए और गांव के लोग फिर से हंसी खुशी रहने लगे। 

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