भरत बहुत ही होशियार लड़का था, वो पढ़ाई करके बड़ा अफसर बनना चाहता था। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उसने शिमला के सेंट विंसन कॉलेज में एडमिशन भी लिया। अपनी आंखों में सफलता का ख्वाब लेकर भरत शिमला आया, लेकिन यहां उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे पढ़कर आपकी रूह कांप जाएगी।
1998 में भरत ने शिमला के सेंट विंसन कॉलेज में एडमिशन लिया, जिसका हॉस्टल कॉलेज से दूर पहाड़ियों के बीच बसा हुआ था। भरत जब हॉस्टल पहुंचा तो सभी कमरे किसी न किसी बच्चे को अलॉट कर दिए गए थे। ऐसे में हॉस्टल मैनेजमेंट ने उसे सालों से बंद करा एक कमरा अलॉट किया जिसका नंबर था, “रूम न. 111”। यह हॉस्टल का सबसे कोने का रूम था, जिसके आस पास बहुत कम लोग जाते थे।
रजिस्ट्रेशन करते समय गार्ड उसे घूरे जा रहा था, जब वो उसे रूम में छोड़ने आया तो वह उसे कुछ बोलने ही वाला था, लेकिन फिर चुप रह गया।
क्या रूम न. 111 में कुछ गड़बड़ है?
भरत जब रूम में पहुंचा तो उसने देखा कि रूम में दो बेड हैं, और एक बेड के नीचे पुराना बक्सा रखा है, जिस पर लाल कपड़ा बंधा है। उसे लगा कि शायद यह किसी दूसरे लड़के का होगा। रूम में अपना सामान रख कर, भरत खाना खाने चला गया। जब वह वापस आया तो उसने देखा कि उसका बैग खुला हुआ है। यह देखकर वह सोच में पड़ गया, पर फिर उसे लगा कि शायद उसी ने यह बैग खोला होगा।
बैग का सामान अलमारी में जमा करके वह सोने चला गया। आधी रात को अचानक दरवाज़ा पर उसे खट-खट-खट करने की आवाज़ सुनाई दी। वह घबरा गया। उसने दरवाज़ा खोला, पर बाहर कोई नहीं था। वह वापस बिस्तर पर लेटा ही था कि उसे ऐसा लगा मानो बिस्तर के नीचे कोई हिल रहा है। उसने झट से नीचे झांका – कुछ नहीं था।
वह आंख बंद करके लौट गया, जैसे तैसे उसे नींद आई। सुबह जब वो नहा कर आया तो उसने देखा, कि कांच पर लाल कलर से लिखा था, “यह कमरा मेरा है, चले जाओ यहां से”।
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कांच पर यह सब किसने लिखा ?
यह देखकर वो डर गया और हॉस्टल के गार्ड को पूरी बात बताई। पहले तो गार्ड ने इधर उधर की बातें करना लगा, “ हो सकता है, किसी सीनियर ने मजाक किया हो।” भरत के बार बार बोलने पर गार्ड ने आखि़र रूम न. 111 की सच्चाई बता ही दी।
उसने बताया, “ आज से करीब 15 साल पहले यहां एक लड़का पढ़ने आया था। वो पढ़ने में बहुत अच्छा था, पर गलत संगत में पड़ गया। उसने ड्रग लेना शुरू कर दिया और रात रात भर पार्टी करने लगा। सालभर उसने पढ़ाई नहीं की और फैल हो गया। फैल होने की वजह से वो डिप्रेशन में चला गया। उसे लगने लगा की उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है, और वह डिप्रेशन में चला गया। सेकंड ईयर में फिर से फैल होने पर उसकी हिम्मत टूट गई और उसने आत्महत्या कर ली। उस दिन के बाद से ही इस कमरे में अजीबो गरीब हरकतें होने लगी। कुछ सालों तक इस रूम को बंद रखा गया, फिर…….”
फिर क्या?….. भरत ने पूछा।
गार्ड बोला, “तुमसे पहले दो और बच्चे इस कमरे में थे, पता नहीं क्या हुआ एक ने आत्महत्या कर ली और एक पागल हो गया। लेकिन स्कूल प्रशासन हर बार चुप्पी साध लेता है। उसके बाद फिर से रूम को बंद कर दिया गया था, पर यहां के मैनेजमेंट ने पूजा पाठ करवाने के बाद फिर से रूम खोला है। मैं तुमसे यही कहना चाहूंगा कि, बेटा तुम ध्यान से रहना।”
भरत यह सब सुनकर चौंक गया था। आज तक उसने अपनी दादी से Horror Stories सुनी थी, पर आज उसके साथ कुछ ऐसा हो रहा था।। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?, की तभी उसका ध्यान उस बक्से पर पड़ा।
उसने उस बक्से को खोला तो उसमें एक डायरी निकली, जिसपर लिखा था “अमन”। डायरी पढ़कर भरत को एक ऐसी सच्चाई के बारे में पता चला जिसकी भनक किसी को नहीं थी।
आखिर डायरी में कौनसा सच लिखा था?
डायरी में अमन ने लिखा था, “रोज रात को मेरे सीनियर मेरी रैगिंग करते है और मुझे जबरदस्ती नशा करवाते हैं। मैंने कई बार इसकी शिकायत कॉलेज मैनेजमेंट से की है, पर वो लोग बहुत ताकतवर हैं। कॉलेज में कोई भी उनके खिलाफ नहीं जाना चाहता।
उन्होंने मेरे खिलाफ अफवाह फैलाई हुई है कि, मैं गलत संगत में हूं पर सच्चाई यह है कि उनके टॉर्चर से परेशान होकर मैं अपनी जिंदगी खत्म करने जा रहा हूं। उम्मीद है एक दिन मुझे न्याय जरूर मिलेगा।”
रात को भरत को अमन की आत्मा भी दिखाई दी, उदास आँखें, चीखती हुई आवाज़ें। लेकिन भरत डरा नहीं और बोला, “ मैं जानता हूं तुम तकलीफ में हो। तुम्हारे साथ अन्याय हुआ है, लेकिन मैं तुम्हे न्याय दिलाने में मदद करूंगा।”
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आत्मा मुक्त हुआ रूम न. 111
अगले दिन भरत ने वह डायरी कॉलेज मैनेजमेंट को दी, और मदद की गुहार लगाई। जब जांच की गई तो पता चला कि जिन लोगों ने अमन की रैगिंग की थी वो, कॉलेज डीन के भतीजे थे। और उन्हीं से परेशान होकर अमन ने आत्महत्या की थी।
मामला पुलिस तक पहुंचा। सभी आरोपियों ने अपने जुर्म कबूल किए, और कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई। भरत की वजह से अमन को न्याय मिला। अब उसकी आत्मा को मुक्ति मिल चुकी थी, साथ ही रूम न. 111 भी बाकी कमरों की तरह नॉर्मल हो गया था।
अब उस कमरे में जाने से किसी को डर नहीं लगता। रूम के बाहर अमन की तस्वीर भी लगी हुई है, जिसपर लिखा है, “कभी-कभी आत्माएं डराती नहीं… वो बस सुनी जाना चाहती हैं।”
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