दिल से बंधी एक डोर: Emotional Love Story in Hindi

गंगोत्री की गोद में बसा एक गांव “मुखबा”, जहां गंगा अपने मामा मामी के साथ रहा करती थी। सालों पहले गांव में आई बाढ़ में गंगा के माता पिता बह गए थे, उस समय वो बहुत छोटी थी। इस घटना के बाद उसके मामा मामी ने ही उसे पाल–पोसकर बड़ा किया था। गंगा बहुत ही मासूम थी, जो हमेशा वादियों और नदी को अपना दोस्त मानती, उनसे बातें करती। उसे यकीन था कि प्रकृति उसे कभी धोखा नहीं देगी।

लेकिन एक दिन गंगा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई, जब उसकी मुलाकात नरेंद्र से हुई। नरेंद्र शहर का लड़का था, जो राजस्थान से उस गांव में घूमने आया था। उसके पास एक कैमरा था, जिसमें वो गांव के खूबसूरत दृश्यों को कैद कर रहा था, लेकिन फिर भी उसके मन में एक उदासी थी।

गंगा और नरेंद्र की पहली मुलाकात

एक दिन गंगा ने उसे नदी किनारे अकेला बैठा देखा। वो उसके पास गई और बोली,”क्या हुआ? इतनी खूबसूरत वादियों में भी उदास हो? क्या ये पहाड़, नदियां तुम्हें अच्छे नहीं लगे?”

नरेंद्र ने उस दिन पहली बार गंगा को देखा। कांच जैसी आंखे, गोरा बदन और लाल सेब जैसे गाल, गंगा देखने में किसी अप्सरा से कम नहीं थी। उसने धीमी आवाज़ में कहा,”कुछ दिन पहले ही मेरे दादाजी का देहांत हुआ है। मरने से पहले उनकी इच्छा थी कि वो गंगोत्री का दर्शन करे, पर काम में बिजी रहने की वजह से हम उनकी ये इच्छा पूरी नहीं कर पाए। मैं उन्हें यहां लाना चाहता था, पर किस्मत का खेल देखो अब बस उनकी आस्तियां हैं जिन्हें मैं गंगा में प्रवाहित करना चाहता हूं, ताकि उनकी आत्मा को संतुष्टि मिले।”

नरेंद्र की बात सुनकर गंगा मुस्कुराते हुए बोली, “यह सिर्फ नदी नहीं है, मां है जो हर किसी को अपनी गोद में बसा लेती है। तुम भी अपने दादा की आस्तियों को इसके हवाले कर दो देखना उन्हें जरूर शांति मिलेगी। और इस तरह से तुम अपने दादा की अंतिम इच्छा भी पूरी कर पाओगे।” 

गंगा की बातें नरेंद्र के ज़ख्मों पर मरहम सी लगीं। नरेंद्र 15 दिन के टूर पर आया था, और गांव के बाहर ही उनका कैंप था। दोनों अब रोज मिलने लगे, गंगा की खूबसूरती नरेंद्र को अपना दीवाना बना रही थी। वहीं नरेंद्र का भोलापन गंगा का दिल जीत रहा था। इन 15 दिनों में जोया ने उसे अपनी सारी पसंदीदा जगह घुमाई। नदियां, जंगल, झील, पहाड़, प्रकृति का इतना सुंदर रूप देखकर नरेंद्र बहुत खुश था।

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गंगा को हुआ शहरी बाबू से प्यार 

देखते–देखते 15 दिन गुजर गए। अब नरेंद्र को वापस शहर जाना था, आज मुखबा में उनका अंतिम दिन था। पहाड़ों के बीच नरेंद्र गंगा से मिलने पहुंचा। गंगा आज भावुक थी, वह नरेंद्र से प्यार करने लगी थी। वह बोली, “शहरी बाबू, इतने दिन तुम्हारा साथ किसी साथी जैसा अहसास करवाता था। क्या यह साथ हमेशा के लिए नहीं हो सकता। मैं अपना दिल तुम्हे दे चुकी हूं।”

गंगा की बातों से नरेंद्र के दिल में बिजली सी कौंध गई। वह गंगा को यही तो बताने आया था, कि वह उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है। उसने गंगा को कसकर गले लगा लिया और बोला, “ मैं भी तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करने लगा हूं। आज मुझे जाना होगा, पर कुछ महीनों की बात है, मैं शहर जाकर अपने माता पिता और दादी से हमारी शादी की बात करूंगा और तुम्हे यहां से ले जाऊंगा। तब तक निशानी के तौर पर तुम मेरी यह अंगूठी अपने पास रखो।”

यह कहकर उसने अपने हाथ की अंगूठी गंगा को पहना दी।

शाम होते ही नरेंद्र अपने ग्रुप के साथ राजस्थान की और निकल गया। घर जाकर उसने अपने परिवार से गंगा से शादी करने की बात कही। नरेंद्र के घरवाले एक गांव की लड़की के साथ उसकी शादी करवाने के लिए राजी नहीं हुए। वे उसे ब्लैकमेल करने लगे कि अगर वह उस लड़की को इस घर में लाया तो, वे घर छोड़ देंगे। लेकिन नरेंद्र दिन रात अपने घरवालों को मनाने की कोशिश करने लगा।

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प्यार के लिए छोड़ा घर 

देखते देखते तीन महीने बीत गए ,गंगा अपने गांव में नरेंद्र का इंतजार करती रही। उसे विश्वास था कि नरेंद्र एक दिन जरूर आएगा, पर जब इतने महीने वो नहीं आया तो गंगा के मामा मामी ने गांव के ही एक लड़के के साथ उसकी शादी तय कर दी। गंगा यह शादी नहीं करना चाहती थी। ऐसे में वह अपनी शादी से भाग गई। 

उसे पता था कि नरेंद्र राजस्थान में रहता है, वह उसे ढूंढते ढूंढते राजस्थान पहुंच गई। जयपुर बस स्टैंड पर उसका सामान चोरी हो गया, अब उसके पास बिल्कुल भी पैसे नहीं थे। यहां वो किसी को जानती भी नहीं थी, जहां वो जा सके। ऐसे में उसे सड़क पर ही सोना पड़ा, मजबूरी में उसे लोगों से मांग कर भी खाना खाना पड़ा। 

एक दिन नरेंद्र किसी काम से बस स्टैंड की रोड के पास से गुजरा। वहां उसने देखा कि एक सुंदर सी लड़की जिसके कपड़े गंदे हैं, वो लोगों से मांग कर खाना खा रही है। कुछ देर देखने के बाद वह उसे पहचान गया, यह गंगा थी। उसने जोर से आवाज लगाई, “गंगा”। 

अपना नाम सुनकर उसने नरेंद्र की और देखा और दौड़ कर उसके गले लग गई। गंगा ने रोते रोते अपनी सारी आपबीती कह डाली। “ तुम्हारे जाने के बाद मेरा जीना दुश्वार हो गया, मेरे मामा मामी ने मेरी शादी तय कर दी, जहां से मैं भाग गई। मैं तुमसे मिलने यहां आई पर मेरा सारा सामान चोरी हो गया, तुम्हारा पता भी मैं नहीं जानती थी। शुक्र है भगवान का तुम मुझे मिल गया।” यह कहकर वो फूट फूट कर रोने लगी। 

आखिरकार प्यार की जीत हुई 

गंगा की बात सुनकर नरेंद्र सोचने लगा, “गंगा की इस हालत का जिम्मेदार मैं हूं, मेरे प्यार और वादे के लिए वो यहां आई थी। पर अब उसके साथ कुछ भी गलत नहीं होगा।” वह उसे अपने घर ले गया, जहां उसके माता पिता ने उनकी शादी का विरोध किया। लेकिन जब गंगा ने उनसे बात की, उन्हें अपने प्यार की पवित्रता के बारे में बताया तो वे शादी के लिए राजी हो गए। 

दोनों के प्यार में बहुत मुश्किलें आई, पर अंत में दोनों की शादी हो गई । शादी के एक साल बाद उन्हें एक बच्चा हुआ जिसका नाम उन्होंने गौरव रखा। अब गंगा और नरेंद्र अपने परिवार के साथ हंसी खुशी अपना जीवन बिता रहे हैं। 

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