हिन्दू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को हिन्दू संस्कृति का पाठ पढ़ाना चाहती है, तो आप यह उन्हें गाय की कहानी पढ़कर सुना सकते हैं।
यह एक जादुई गाय की कहानी है, जिसे पाने के लिए बहुत से लोगों के मन में लालच आता है। तो क्या वो इस गाय को पाने में सफल हो पाएंगे यह जानने के लिए आपको कहानी पूरी पढ़नी होगी…
कहानी के पात्र
- वैशाली – एक गरीब औरत
- राधा – चालाक पड़ोसन
- राधेश्याम – गांव का मुखिया
जादुई गाय और गरीब औरत की कहानी

भीमपुर गांव में वैशाली नाम की एक गरीब औरत रहा करती थी। उसके परिवार में कोई नहीं था, न ही उसके पास कोई जमीन थी। ऐसे में उसके पास केवल एक गाय थी, जिसका दूध बेचकर वह अपना गुजारा चलाती थी। वैशाली उस गाय से बहुत प्यार करती थी। वह रोज उसे नहलाती और अच्छा अच्छा खाना खिलाती। गाय उसकी आमदनी का एकमात्र जरिया था।
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वैशाली से दूर हुई उसकी प्यारी गाय
लेकिन एक दिन गाय बहुत बीमार हो गई और कुछ ही दिनों में मर गई। वैशाली के सामने अब रोजी रोटी के लाले पड़ने लगे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अपना घर चलाने के लिए वह क्या करे? कुछ दिन तो गाय के मरने का शौक मनाती रही। लेकिन एक दिन वो अपनी पड़ोसन के पास गई और उससे बोली, “ राधा बहन, क्या तुम अपनी गाय का गोबर मुझे दे सकती हो? ताकि मैं उसके उपले बेचकर कुछ पैसे कमा सकूं।”
गोबर बेचकर पैसे कमाए
राधा यह सुनकर चौंक गई, लेकिन फिर सोचा, “ गोबर ही तो है, दे देती हूं क्या ही हो जाएगा।” वैशाली अब रोज उसकी गाय का गोबर ले जाती और थोड़े बहुत पैसे कमा लेती। काफी महीने बीत गए, सब कुछ सही चल रहा था। तभी गांव के। कुछ लोगों ने राधा को भड़का दिया, “राधा, वैशाली रोज तुम्हारे यहां से गोबर ले। जाती है और उसे बेचकर पैसे कमाती है। यह तो तुम्हारा नुकसान है, तुम खुद क्यों नहीं इस गोबर को बेचकर पैसे कमा लेती।”
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पड़ोसन ने चली चाल
राधा गांव वालों की बातों में आ गई और उसे गाय का गोबर देने से मना कर दिया। अब वैशाली के सामने फिर से वही समस्या खड़ी हो गई। इस बार वह मदद मांगने के। लिए गांव के मुखिया के पास गई, जिसके पास बहुत सारी गाय थी। उसने गांव के मुखिया राधेश्याम से अनुरोध किया, कि वह किसी भी एक गाय का गोबर उसे दे दे ताकि वह अपना घर चला सके।
वैशाली का अनुरोध सुनकर मुखिया ने सोचा, “क्यों न में इसे वह गाय दे दूं, जो बहुत दिनों से बीमार हैं। इससे उसके ऊपर मेरा कर्ज भी रहेगा और इस गाय से मेरा पीछा भी छूट जाएगा।” यह सोचकर उसने गाय वैशाली को दे दी। गाय पाकर वैशाली बहुत ज्यादा खुश हो गई और उसे लेकर अपने घर आ गई।
वैशाली ने गाय की सेवा करना शुरू कर दिया। अच्छी देखभाल की वजह से गाय सही हो गई और फिर से दूध देने लगी। कुछ दिनों के बाद गाय ने दूध देना बंद कर दिया। अब वैशाली फिर से गाय का गोबर बेचकर पैसे चार पैसे कमाने लगी।
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साधू के आशीर्वाद से बदली वैशाली की जिंदगी
एक दिन एक साधू भीमपुर गांव में आए। वैशाली के घर के बाहर जाकर उन्होंने उससे भोजन मांगा। वैशाली के पास बहुत ही कम खाना था, ऐसे में जो खाना उसने अपने लिए बनाया था वो उसने साधु महाराज को दे दिया। खाना खाकर साधु महाराज बहुत खुश हुए। उन्हें पता था कि वैशाली ने उन्हें अपने लिए बनाया हुआ खाना दिया था। उसका त्याग देखकर साधु ने हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद दिया, जाते जाते उन्होंने वैशाली की गाय पर भी हाथ फेरा और उसे आशीर्वाद दिया।
अगले दिन जब वैशाली उठी तो उसने देखा कि गाय ने सोने का गोबर दिया है। यह देखकर वह चौंक गई, फिर उसने सोचा, “शायद यह साधु महाराज के आशीर्वाद का असर है।” अब वैशाली की जिंदगी में सब कुछ ठीक होने लगा। उसके सुधरते हालात को देखकर पड़ोसन को शक हुआ। एक दिन उसने छुपकर देखा कि वैशाली की गाय सोने का गोबर देती है।
यह देखकर पड़ोसन राधा को चिढ़ मच गई। वह सोचने लगी, “सोने का गोबर, यह तो चमत्कारी गाय है। मुझे मुखिया जी को बताना पड़ेगा। अगर ऐसे ही चलता रहा तो यह हमसे भी ज्यादा अमीर हो जाएगी”।
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मुखिया को मिला लालच का सबक
राधा ने जाकर सारी बात मुखिया को बता दी। अगले दिन मुखिया वैशाली के घर जाकर गाय को अपने घर ले आया। सुबह जब मुखिया उठा तो उसने देखा कि उसका घर गोबर से भरा हुआ है, और चारों तरफ बदबू ही बदबू है। वह सोच ही रहा था कि तभी असमान में एक भविष्यवाणी हुई, “ तुमने गरीब लड़की से उसके पैसे कमाने का जरिया छीना है, अगर तुम यह गाय उसे नहीं दोगे तो तुम्हारा घर ऐसे ही गंदगी से भरा रहेगा।”
मुखिया को अपनी गलती का अहसास हो गया और उसने वैशाली को फिर से वो गाय लौटा दी। वैशाली अब खुशी खुशी अपनी जिंदगी जीने लगी।
सीख :
- कभी भी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए।
- दूसरे के धन पर बुरी नजर ना रखे।
- भगवान ने जितना दिया है उसमें खुश रहना सीखें।
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