Top 5 Darawni Kahaniya: भारत की सबसे डरावनी कहानियां

क्या कभी सुनसान रोड या स्टेशन पर आपको किसी आत्मा या छलावा का अहसास हुआ है? कोई भूतिया साया जिसे देखकर आप डर गए हों? आज की हमारी कहानियां ऐसे ही किस्सों पर आधारित हैं। ऐसे में अगर आप भूतों की कहानियां पढ़ने के शौकीन हैं, तो यह आर्टिकल आपको बहुत पसंद आएगा। तो चलिए शुरू करते है, भूतों की डरावनी और रोमांचक कहानियों को पढ़ना…

Top 5 Darawni Kahaniya: भूत, पिशाच और डर का साया

1. भूतिया स्टेशन 

रोहन अपने कुछ दोस्तों के साथ सालों के बाद अपने गांव रणकपुर गया। अपने पिता से मिलकर वो बहुत ज्यादा खुश हुआ, वहीं उसकी मां ने उसके सभी दोस्तों के बढ़िया बढ़िया टेस्टी खाना बनाया। खाना खाने के बाद सभी दोस्तों ने गांव घूमने की जिद की। रोहन अपने पिता की आज्ञा लेकर उन्हें गांव घुमाने ले गया, लेकिन जाते जाते उसके पिता ने उनसे कहा, – “ सुनो बच्चों, शाम होने से पहले लौट आना और हां ध्यान रखना रेलवे स्टेशन की तरफ बिल्कुल भी मत जाना। 

स्टेशन न जाने की बात सुनकर रोहन के दोस्तों ने पूछा, “रोहन, तुम्हारे पिताजी रेलवे स्टेशन की तरफ जाने के लिए मना क्यों कर रहे थे?” 

रोहन ने बताया, “ सालों पहले वहां एक टेरेरिस्ट अटैक हुआ था, जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए थे। तभी से यहां का स्टेशन भूतिया हो गया। कहते हैं कि आज भी इस स्टेशन से रोज रात को लोगों के चीखने और चिल्लाने की आवाज आती है।” 

यह सुनकर रोहन का दोस्त मोनू बोला, “अरे यार तुम भी ऐसी बातों पर विश्वास करते हो। यह भूत–बुत कुछ नहीं होता है।” तभी रोहन का दूसरा दोस्त भानु बोला, “यार मैने आजतक कोई भी हॉरर प्लेस नहीं देखा है, चलो न देखकर आते हैं।” रोहन का एक और दोस्त था विशाल, उसने इस मामले पर कुछ नहीं कहा और सबकी बातें सुनता रहा। रोहन भी भूत जैसी बातों पर कम ही विश्वास करता था। ऐसे में दोस्तो के कहने पर वह उस भूतिया स्टेशन पर जाने को राजी हो गया। 

चारों दोस्त स्टेशन पहुंचे जा उन्हें कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं दिया। थोड़ी देर में एक ट्रेन मास्टर वहां पहुंचा और बोला, “ तुम लोग यहां क्या कर रहे हो? क्या तुम्हें इस जगह के बारे में पता नहीं है, जल्दी से यहां से चले जाओ वरना वो लोग तुम्हे मार देंगे।” स्टेशन मास्टर की बात सुनकर रोहन थोड़ा डर गया और वापस घर जाने की बात करने लगा, लेकिन उसके अन्य दोस्त मोनू और भानु बोले, “अरे यार ये मास्टर हमे ऐसे ही डरा रहा है, अगर सच में यहां कुछ होता तो क्या यह मास्टर यहां होता? नहीं न, यह ऐसे ही डरा रहा है। 

थोड़ी ही देर में वहां एक ट्रेन आई, जिसमें से बहुत ही अजीब अजीब लोग उतरे l किसी के बाल बहुत लंबे थे तो किसी के नाखून। किसी की आंखों से खून टपक रहा था, तो किसी की गर्दन से। यह भयानक नजारा देखकर चारों दोस्त बुरी तरह से डर गए। 

देखते ही देखते वो सभी लोग उन चारों के पीछे भागने लगे। चारों दोस्तो ने स्टेशन से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन भूतों ने स्टेशन का रास्ता बंद कर दिया। एक भूत बोला, “तुम्हे भूतिया जगह पर घूमने का शौक है ना तो चलो घूमो।” यह कहकर भूत ने भानु को जकड़ लिया। तभी विशाल उसके सामने जाकर खड़ा हो गया, और बोला, “मेरे दोस्त को छोड़ दे, वरना तुम्हारे साथ बहुत बुरा होगा”। 

भूत बोला, “अच्छा तुम मेरा क्या बिगाड़ लोगे?” । तभी विशाल ने अपने बैग में से एक छोटी सी पानी की बॉटल निकाली। यह शुद्ध जल था, जिसे देखकर भूत बुरी तरह से डर गया और वहां से भाग गया। 

अब विशाल ने हिम्मत करके सभी भूतों को अपने दोस्तों से दूर रखा और जैसे तैसे करके वो स्टेशन से बाहर निकलने। बाहर निकलने के बाद विशाल ने स्टेशन के गेट को तंत्र मंत्र से बंद कर दिया। घर जाते समय सभी दोस्तों ने विशाल से पूछा कि उसे यह सब कैसे आता है? 

विशाल ने बात, “ मेरे पिताजी तांत्रिक थे, जो भूतों को अपने वश में किया करते थे। बस उन्हीं से मैने यह सब सिखा है”। यह सुनकर सभी दोस्त मुस्कुराने लगे, और उसे धन्यवाद करने लगे। उस दिन के बाद कोई भी उस स्टेशन पर नहीं गया। वह तला आज भी स्टेशन के गेट पर लगा हुआ है। 

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2. श्रापित कुर्सी 

सालों पहले चंबल के बीहड़ों में एक डाकू हुआ करता था, जिसका नाम था वीरप्पन । उसकी चोरी और क्रूरता के किस्से दूर दूर तक थे। लोग उसके नाम से भी डरते थे। चोरी करने के बाद डाकू वीरप्पन को दारू पीने के बहुत शौक था। उसकी एक पसंदीदा कुर्सी थी वह हमेशा उसपर बैठकर ही दारू पीता था। 

एक बार वीरप्पन का एक साथी कालू मजाक मजाक में उस कुर्सी पर बैठ गया, और बोला – “ अरे भाई ये कुर्सी तो लाजवाब है। अब समझ आया तुम इस कुर्सी पर किसी को भी क्यों नहीं बैठने देते हो, यह इतनी आरामदायक जो है।” 

अपने साथी को कुर्सी पर देखकर वीरप्पन को बहुत ज्यादा गुस्सा आया और वह चिल्लाते हुए उससे बोला,” मैने तुझे कितनी बार मन किया है, यह कुर्सी मेरी है। तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई इसपर बैठने की?” यह कहकर वीरप्पन ने मार मार कर उसकी हालत अधमरी कर दी। 

कालू ने इस बेइज्जती का बदला लेने की ठानी और पुलिस को उसका ठिकाना बता दिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई। जिस दिन वीरप्पन को मौत की सजा सुनाई जानी थी, उस दिन जेलर ने उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी। इस पर वीरप्पन ने कहा, “मैं अपनी कुर्सी पर बैठकर थोड़ा समय बिताना चाहता हूं।”

जेलर ने उसकी बात मान ली और कुर्सी मंगवाई गई। वीरप्पन आराम से कुर्सी पर बैठा और उसे जगह जगह छूने लगा। थोड़ी ही देर में कुर्सी पर बैठे बैठे उसकी मौत हो गई। इस दिन के बाद वह कुर्सी श्रापित हो गई। वीरप्पन की मौत के बाद उसकी कुर्सी को वापस उसके घर में रख दिया गया। 

इसके बाद जिस किसी ने उस कुर्सी पर बैठने की कोशिश की उसकी मौत हो गई। वीरप्पन की मौत के बाद सबसे पहले कालू इस कुर्सी पर बैठा, उसी रात एक रोड एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई। इसके बाद एक पायलट ने इसे खरीदा, थोड़े दिनों में उसकी भी प्लेन क्रेश में मौत हो गई। इसके बाद दो भाइयों ने और इस कुर्सी को खरीदा। सुनने में आता है कि जिस दिन से यह कुर्सी उनके घर गई थी, उसी दिन से दोनों के बीच लड़ाइयां होने लगी। एक दिन दोनों के बीच इतनी भयंकर लड़ाई हुई कि दोनों ने एक दूसरे की जान ले ली। यह सब उस श्रापित कुर्सी के कारण था। 

कहते हैं कि इसके बाद इस कुर्सी को जादू मंत्रों में जकड़ कर एक म्यूजियम में रख दिया गया है, ताकि किसी की मौत न हो। 

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3. पिशाचिनी : एक डरावना मंजर 

जौनपुर, पहाड़ों में बसा एक गांव जहां सालों से बुजुर्ग पिशाचिनी के किस्से सुनाते आ रहे थे। गांव के बूढ़े लोगों का कहना था, की पिशाचिनी अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जवान लोगो को अपना शिकार बनाती है। आज तक जिस किसी ने भी उस पिशाचिनी को देखा है, वो जिंदा नहीं बचा है। इसी वजह से गांव 7 बजे के बाद उस गांव का कोई भी मर्द घर से बाहर नहीं निकलता। 

पिशाचनी के किस्से सुनकर बृजेश इस गांव में पहुंचा। वह एक जुझारू पत्रकार था, जो हमेशा सच को लोगों के सामने लेकर आता था। एक दिन लाइब्रेरी में उसे एक किताब मिली जिसमें जौनपुर और पिशाचिनी का जिक्र था। 

बृजेश को यह एक शानदार स्टोरी लगी, जो उसे रातों रात शोहरत दिला सकती थी। उसके चैनल वालों ने उसे मना किया, लेकिन उसने तय किया कि वह खुद सच्चाई का पता लगाएगा। अगले दिन वह कैमरा, रिकॉर्डर, और कुछ जरूरी सामान लेकर वह जौनपुर की ओर निकल पड़ा। 

गांव पहुंचते पहुंचते उसे शाम हो गई, ऐसे में वहां एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी। गांव के सभी घरों के दरवाजे बंद थे। एक घर से रोशनी आ रही थी, उसने दरवाजा खटखटाया, “ घर में कोई है, मुझे इस गांव के पुराने मंदिर जाना है क्या आप मुझे इसका रास्ता बता सकते हैं?”।

बृजेश की बात सुनकर, एक बुढ़िया ने गेट खोला और कांपती आवाज में बोली, “ तुम यहां क्यों आए हो बेटा?।” बृजेश बोल, “मैं पत्रकार हूँ और यहां पिशाचिनी की सच्चाई जानने आया हूँ। माताजी यहां क्या सच में कुछ… अजीब होता है?”

बृजेश की बात सुनकर वह औरत बुरी तरह से डर गई और बोली, तुम यहां से चले जाओ। रात होते ही वह यहां आ जाएगी और वो। किसी को। जिंदा नहीं छोड़ती है”। यह कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया। 

बृजेश को बुढ़िया की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और वह ढूंढते ढूंढते उस पुराने मंदिर में पहुंच गया। उसने वहीं रात गुजरने की सोची और अपना कैमरा सेट किया। रात के 10 बज चुके थे और गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छा चुका था। हवा के चलने से पत्तों की आवाज भी बहुत भयानक लग रही थी। बृजेश ने अपना खाना खाया और मंदिर के गर्भगृह में जाकर लेट गया। 

आधी रात को अचानक तेज आंधियां चलने लगी, उसे कैमरे पर एक साया नजर आया। इसी के साथ उसे एक औरत के चिल्लाने की दर्द भरी आवाज भी आई। वह उसे देखने बाहर गया, तो उसकी नजर एक साए पर पड़ी जो धीरे धीरे उसके पास आ रहा था। 

एक डरावने साए को अपनी और आता देखकर बृजेश बुरी तरह से डर गया। उसने वहां से भागने की कोशिश की लेकिन उसके पैर जैसे जमीन में जम गए और उसके कानो में एक आवाज गूंजने लगी, “ तू मेरी सच्चाई लोगों को दिखाएगा, अब देख मैं तेरा क्या हाल करती हूं”। यह कहकर उसने बृजेश पे वार किया और वह वहीं गिर गया। 

अगली सुबह गांव में हर कोई बाते कर रहा था। “ पुराने मंदिर में एक टूटा हुआ कैमरा पड़ा है। वह पत्रकार जो कल वहां आया था उसका भी कोई पता नहीं चल रहा”। तभी गांव के एक व्यक्ति ने कैमरे की आखिरी फुटेज को देखा, जिसमें सफेद साड़ी पहने हुए एक औरत हवा में उड़ रही है। उसकी आंखों में खून ओर चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी। फुटेज में बृजेश के चिल्लाने की आवाजें भी आ रही थीं। गांव वाले समझ चुके थे कि पिशाचिनी ने उसे अपना मोहरा बना लिया है। इस दिन के बाद कोई भी रात को उस पुराने मंदिर के पास जाने की भी हिम्मत नहीं करता है। 

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4. कब्रिस्तान का भूत 

राजू चार पैसे कमाने के लिए अपने गांव से शहर आया था, लेकिन यहां उसे ठहरने की कोई जगह नहीं मिली। उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह किसी होटल में ठहर सके। ऐसे में जब काम ढूंढते ढूंढते शाम हो गई तो रात गुजरने के लिए राजू ने पुराने कब्रिस्तान में ठहरने का निर्णय किया। पूरे शहर में एकमात्र यही ऐसी जगह थी, जहां से उसे कोई भी रुकने को मना नहीं करता। 

राजू अपना सामान लेकर एक कब्र के पास सो गया। उसे यहां बहुत डर लग रहा था, लेकिन यहां रात गुजारने के अलावा उसके पास कोई और चारा नहीं था। धीरे धीरे रात गहराने लगी, और शहर की लाइटें बंद होने लगी। चारों तरफ अंधेरा छा गया, और कुत्तों के भौंकने की आवाज तेज हो गई। यह सब देखकर राजू बुरी तरह से डर गया और मन ही मन हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा। 

राजू, “जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपिस तिहू लोक उजागर। हनुमान जी बस आज बचा लो, कल से मैं इस कब्रिस्तान में नहीं आऊंगा।”

थोड़ी ही देर में तेज हवाएं चलने लगी, और कब्र से एक परछाई बाहर निकली, “कौन हो तुम? बहुत दिनों बाद इस कब्रिस्तान में कोई जिन्दा व्यक्ति आया है।” 

उस परछाई को देखकर राजू बुरी तरह से डर गया, “मैं…. मैं… राजू हूं, मेरे पास रात गुजारने को कोई जगह नहीं थी, तो मैं यहां चला आया, सुबह होते ही मैं यहां से चला जाऊंगा। प्लीज़ मुझे कुछ मत करना।”

कब्र से बाहर निकली परछाई ने राजू से पूछा, “क्या तुम मुझे देख सकते हो?”। इसपर राजू ने जवाब दिया, “हां”। राजू की बात सुनकर कब्र का भूत बहुत ज्यादा खुश हो गया। 

दअरसल यह भूत अपने जमाने का एक खूंखार डाकू था, जिसे उसके की दोस्तो ने सोने के लालच में मार दिया था। भगवान ने उसे मुक्ति नहीं दी,लेकिन उसने कुछ अच्छे कर्म भी किए थे, जिसके चलते भगवान ने उससे कहा था, की सालों बाद इस कब्रिस्तान में एक व्यक्ति आयेगा जो उसे दुनिया से मुक्ति दिलाएगा। राजू वही व्यक्ति था। 

कब्रिस्तान के भूत ने राजू से कहा, “तुम यहां पैसे कमाने आए हो?” राजू बोला, “ हां मेरे पिताजी का सपना है, की गांव में एक स्कूल हो ताकि बच्चों को पढ़ने का मौका मिले। अब गांव में कमाई का अच्छा साधन नहीं है तो मैं पैसे कमाने के लिए शहर आ गया।” 

राजू की बात सुनकर भूत बोला, “ मैं तुम्हे एक साथ इतने पैसे दिलवा सकता हूं की तुम अपने गांव में स्कूल भी खुलवा लोगे और अपने लिए कोई दुकान भी खोल लोगे। लेकिन उसके लिए तुम्हे मेरा काम करना होगा।”

यह सुनकर राजू को थोड़ा डर लगा, लेकिन हां करने के अलावा उसके पास कोई और चारा नहीं था। भूत राजू को एक हवेली में लेकर गया, जहां सालों पहले वो रहा करता था। वहां उसने एक सीक्रेट सुरंग दिखाई जहां उसने सरकारी खजाना छुपाया था, साथ ही उसने अपने तीन साथियों के नाम और फोटो भी दिखाई। 

उसने राजू से कहा, “सालों पहले यह खजाना मैंने सरकार से छुट्टा था, लेकिन जब मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ तो मैं पुलिस को समर्पण करना चाहता था। लेकिन इस खजाने के लालच में मेरे ही साथियों ने मुझे मार दिया। मैंने इस खजाने को यहां छुपा दिया था। तुम पुलिस को यहां ले आओ और उसे पूरी बात बताओ। इस इनाम का 20 प्रतिशत हिस्सा तुम्हे मिलेगा, जिससे तुम अपने सपनों को पूरा कर सकते हो। और मैने कातिलों के पकड़े जाने पर मुझे मुक्ति भी मिल जाएगी।”

राजू तुंरत पुलिस के पास गया और उसे पूरी बात बताई। शुरू में पुलिस ने उसपर भरोसा नहीं किया, लेकिन खजाना देखने के बाद उन्हें उसपर विश्वास हो गया। पुलिस ने राजू के बताए हुए बाकी के डाकुओं को भी पकड़ लिया और कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। 

मौत की सजा सुनाने के बाद आसमान में एक तेज रोशनी हुई, जिसमें कब्रिस्तान का भूत विलीन हो गया। इसके बाद पुलिस ने राजू को उसका ईमान दिया। इन पैसों से उसने गांव में स्कूल बनवाया और अपने लिए एक राशन की दुकान खोल ली। अब गांव के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता। 

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5. छलावा 

सर्दियों की छुट्टियों में शीला अपनी बहनों के साथ अपने मायके आई थी। शीला का मायका उत्तराखंड के एक गांव था। इस गांव में छलावो की कहानियां बहुत ज्यादा प्रसिद्ध थी। लेकिन इन सब से बेखबर बच्चे अपने ननिहाल जाकर बहुत ज्यादा खुश थे। गांव में भी अनोखी चहल पहल थी, खेतों में गेंहू की बुवाई की तैयारी जोरों पर थी, कहीं गोबर डाला जा रहा था, तो कहीं झाड़-झंखाड़ जलाए जा रहे थे। 

शीला और उसकी बहन के बच्चे दिन भर खेलते रहते, खेत के बागों से फल खाते, झरनों में नहाते और रात को नाना नानी से कहानियां सुनते। एक दिन सभी लोग घर के आंगन में सो रहे थे। तभी गांव में हल्ला मचने लगा। लोगों ने बताया कि गिरीश, जो उनके पड़ोसी का लड़का था उसके खेतों में अजीब सी आवाजें आ रही हैं। गांव के सभी बुजुर्गों ने मशालें बनवाईं और लड़कों को उसके खेतों की तरफ भेजा।

थोड़ी ही देर मैं पूरे गांव में यह बात आग की तरह फैल गई की गिरीश को किसी छलावे ने पकड़ लिया है और वो उसे गांव की सीमारेखा के पार ले जा रहा है। अगर वो बाहर चला गया तो बच नहीं पाएगा।

लोग उसे बचाने के तरीके ढूंढ रहे थे की तभी शीला की ताई जी, जो वृद्ध थीं और बिना सहारे चल नहीं पाती थीं, चमत्कारिक रूप से उठीं और तेजी से भाग कर गिरीश को सीमा रेखा पार करने से रोक लिया। वह उसे गांव के अंदर ले आई और उसके सिर पर मंत्र बुदबुदाने लगी। थोड़ी ही देर में गिरीश को होश आ गया। 

जब गिरीश को होश आया, तो उसने बताया कि वो खीर खा कर दोपहर को खेतों में फ्रेश होने गया था। जहां उसे एक पहाड़ी भेड़ दिखाई दिया। वह उसका पीछा करने के लिए ही उसके पीछे दौड़ रहा था। ताई जी ने बताया वो भेड़ नहीं बल्कि एक छलावा था, जो  मीठा खाकर दोपहर में बाहर आने की वजह से उसपर हावी हो गया था। 

अगर उस दिन शीला की ताई जी न पहुंचतीं, तो गिरीश शायद कभी लौटकर न आता। गांव के लोग आज भी उस दिन को याद करके कांप जाते हैं। 

निष्कर्ष: 

Horror Stories In Hindi में आज के लिए इतना ही। उम्मीद हैं ये कहानियां आपको पसंद आई होंगी। इन कहानियों में कौनसी कहानी आपको सबसे ज्यादा डरावनी लगी, कमेंट करके जरूर बताएं। 

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