पंचतंत्र की कहानियों में आज हम आपको सुनाएंगे एक आलसी ब्राह्मण की कहानी। इस कहानी में ब्राह्मण का आलस उसकी जान पर बनता है लेकिन उसकी पत्नी की समझदारी के चलते उसकी जान बचाती है आखिर ब्राह्मण की पत्नी ऐसा क्या करती है चलिए कहानी में पढ़ते हैं…
बहुत समय पहले की बात है। तोतानगर गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। कहने को तो उसकी जिंदगी बहुत खुशहाल थी। उसके पास भगवान का दिया सब कुछ था। सुंदर-सुशील पत्नी, होशियार बच्चे, खेत-खलिहान, ज़मीन-पैसे इत्यादि। लेकिन ब्राह्मण में बस एक ही कमी थी, वो था उसका आलस। उसकी ज़मीन बहुत उपजाऊ थी, जिसमें वो अपनी मनमर्जी की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकता था। लेकिन अपने आसल के चलते वो कोई भी काम नहीं करता था।
उसकी पत्नी उसे समझा-समझा कर थक गई थी, लेकिन ब्राह्मण के कान पर जूं ही नहीं रेंगती थी। उसकी पत्नी हमेशा कहती थी, कि काम पर जाकर देखो, लेकिन वो हमेशा कहता था – “मैं काम नहीं करुंगा”। ब्राह्मण की पत्नी अपने पति के इस व्यवहार से बहुत ज्यादा परेशान हो गई थी, और वो अपने पति के सदबुद्धि की प्रार्थना के लिए मंदिरों में जाने लगी।
ब्राह्मण को मिला मुंह मांगा वरदान
एक दिन मंदिर में ब्राह्मण की पत्नी को एक साधु मिला, जिसे उसने घर आने का न्यौता दिया। साधु जब ब्राह्मण के घर आया तो ब्राह्मण ने उसका ख़ूब आदर-सत्कार किया। ब्राह्मण की सेवा देखकर साधु बहुत खुश हुआ और उसने ब्राह्मण से कहा – ‘मैं तुम्हारे सम्मान व आदर से बेहद ख़ुश हूं, मांगों तुम्हें क्या वरदान चाहिए।
साधु के वचन सुनकर ब्राह्मण बहुत खुश हो गया था, यू लग रहा था कि मानों ब्राह्मण को उसकी मुंहमांगी मुराद मिल गई। उसने कहा – ‘बाबा, मुझमें बहुत ही ज्यादा आलस है, जिससे मेरी पत्नी भी बहुत परेशान है। आप मुझे एक ऐसा व्यक्ति दे दीजिए, जो मेरे सारे काम कर दें।
साधु ब्राह्मण की आवभगत से इतना खुश था कि उसने ब्राह्मण की मांग को पूरा करते हुए कहा – “ठीक है, मैं तुम्हें एक जिन्न दे रहा हूं जो तुम्हारे सारे काम कर देगा । लेकिन ध्यान रहे, तुम्हारे पास इतना काम होना चाहिए कि तुम उसे हमेशा व्यस्त रख सको।’ यह कहकर बाबा चले गए और एक बड़ा-सा राक्षसनुमा जिन्न प्रकट हुआ।
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ब्राह्मण की जान का दुश्मन बना जिन्न
जैसे ही जिन्न ने ब्राह्मण को देखा तो उसने उससे कहा – क्या आप मेरे मालिक हैं? ब्राह्मण बोला – हां। ये सुनकर जिन्न बोला, ‘जल्दी काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।’
जिन्न की बात सुनकर ब्राह्मण थोड़ा डर गया और रुक कर बोला – “अच्छा, अच्छा ठीक है, ‘जाओ और जाकर खेत में पानी डालो।’ यह सुनकर जिन्न तुरंत गायब हो गया और ब्राह्मण ने राहत की सांस ली।
उसने अपनी पत्नी से पानी मांगकर पिया ही था कि इतने में वापस आगया और बोला – ‘सारा काम हो गया, अब और काम दो। ये सुनकर ब्राह्मण कि अब तुम आराम करो, बाकी काम कल करना। जिन्न बोला, ‘नहीं, मुझे काम चाहिए, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।’
ब्राह्मण सोचने लगा और बोला,’तो जाकर खेत जोत लो। ब्राह्मण को लगा था कि इस काम में उसे पूरी रात लग जाएगी, लेकिन जिन्न ने पलक झपकते ही वो काम भी पूरा कर दिया। अब ब्राह्मण जिस जिन्न को अपना वरदान मान रहा था, वह उसे अभिशाप लगने लगा । वह उससे बचने की कोशिश करने लगा।
इतने में उसकी पत्नी वहां आई और उसने ब्राह्मण से पूछा – क्या हुआ है, तुम इतने घबराए हुए क्यों हो? ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पूरी बात बताई, जिसे सुनकर उसकी पत्नी बोली – “ चिंता मत करो मैं उसे दिन को काम बताती हूं” जो उससे पूरा होगा ही नहीं।
ये सुनकर ब्राह्मण ने कहा – “ लेकिन तुम क्या काम दोगी?’ ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, ‘आप चिंता मत करो। वो मैं देख लूंगी।’
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आखिर ऐसा कौन सा काम है जिसे जिन पूरा नहीं कर पाएगा?
यह सुनकर ब्राह्मण ने जिन्न से कहा – “ देखो यह मेरी पत्नी है और अब यह ही तुम्हें काम बताएगी”। जिन्न ने कहा – “ ठीक है, अब जल्दी से मुझे काम बताओ।
ब्राह्मण की पत्नी जिन्न से बोली, ‘तुम बाहर जाकर हमारे कुत्ते मोती की पूंछ सीधी कर दो। ध्यान रहे, पूंछ पूरी तरह से सीधी हो जानी चाहिए।’ यह सुनकर जिन्न अपने काम में लग गया वह बार-बार मोती की पूछ को सीधी करता, लेकिन वह सीधी नहीं होती।
जिन्न को दिखाते हुए ब्राह्मण की पत्नी ने कहा – “ देखा आपने, कि आलस कितना ख़तरनाक हो सकता है। पहले आपको काम करना पसंद नहीं था और अब आपको अपनी जान बचाने के लिए सोचना पड़ रहा कि उसे क्या काम दें।’
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ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ
पत्नी की बात सुनकर ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह बोला – “अरे धन्यवान, तुम सही कह रही हो, अब मैं कभी आलस नहीं करूंगा”। लेकिन अब मुझे डर इस बात का है कि इसे आगे क्या काम देंगे, यह मोती की पूंछ सीधी करके आता ही होगा।
मुझे बहुत डर लग रहा है। अब तो ये मुझे मार ही देगा। ब्राह्मण की पत्नी हंसने लगी और बोली, ‘डरने की बात नहीं, चिंता मत करो, वो कभी भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाएगा।’ लेकिन आप मुझसे वादा करो कि आप आज के बाद आलस नहीं करोगे।
आलस छोड़कर मेहनत की राह पर चला ब्राह्मण
पत्नी के कहने पर ब्राह्मण चैन की सो गया, अगली सुबह जब ब्राह्मण खेत जाने के लिए घर से निकला, तो उसने देखा कि जिन्न मोती की पूंछ ही सीधी कर रहा था। वह जैसे ही कुत्ते की पूंछ को छोड़ता वह फिर से टेढ़ी हो जाती।
ये देखकर ब्राह्मण ने जिन्न को छेड़ते हुए पूछा, ‘क्या हुआ, अब तक काम पूरा नहीं हुआ क्या? जल्दी करो, मेरे पास तुम्हारे लिए और भी काम हैं।’
ब्राह्मण की बात सुनकर जिन्न बोला, ‘मालिक मैं जल्द ही यह काम पूरा कर लूंगा।’
ब्राह्मण उसकी बात सुनकर हंसते-हंसते खेत पर काम करने चला गया और उसके बाद उसने आलस हमेशा के लिए त्याग दिया।
सीख :
- कभी भी आलस नहीं करना चाहिए।
- आलस आपकी आदतों को बिगाड़ देता है।
- आपकी मेहनत ही आपको सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
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