Karwa Chauth 2025 : हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को शादीशुदा महिलाओं के द्वारा करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए पूरा दिन भूखी प्यासी रहकर इस व्रत को पूरा करती हैं।
लेकिन Karva Chauth Ki Kahani के बिना यह व्रत अधूरा है। ऐसे में व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए आज हम लेकर आए है, करवा चौथ की प्रसिद्ध कहानियां। जहां आप पढ़ेंगे कि इस व्रत के पीछे की सच्ची कहानी क्या है? कौन थी वो स्त्री जिसने पहली बार इस कठिन तपस्या को किया, और क्यों?
करवा चौथ की प्रसिद्ध कहानियां –
1. साहूकार के 7 बेटे और 1 बेटी की कहानी (कार्तिक मास की करवा चौथ की कहानी)
सालों पहले एक साहूकार था के सात लड़के और एक लड़की थी। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। एक दिन साहूकारनी ने अपनी बहुओं और बेटियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा। इस व्रत में चांद देखकर की खाना खाते हैं। शाम को जब सातों भाई काम करके घर लौटे तो उनकी पत्नियों ने उन्हें खाना परोसा। भाइयों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा तो उनकी बहन बोली, “आज मेरा करवा चौथ का वृत्ति, मैं चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोल सकती है और कुछ खा सकती है।
भाइयों से अपनी बहन की ये हालत नहीं देखी गई, ऐसे में उसे खाना खिलाने के उन्होंने एक तरकीब खोजी। भाई एक पीपल के पेड़ पर दिया जलाकर छलनी की ओट में रख देता है, ताकि वह चांद की तरह दिखाई दे। सातों भाई अपनी बहन से कहते हैं, “ देखो बहन चांद निकल आया है, अब तुम अपना व्रत खोल लो और जल्दी से खाना खा लो।”
भाभी अपनी ननद को समझाती है, कि चांद इतनी जल्दी नहीं निकल सकता, लेकिन वह अपने भाइयों की बातों में आ गई और उसे अर्घ्य देकर खाने खा लिया। उसने जैसे ही पहला निवाला अपने मुंह में डाला, तो उसे छींक आई। दूसरे निवाले में बाल निकल गया और तीसरे निवाले में उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला।
यह सुनकर वो बहुत ज्यादा दुखी हो गई और यह बात अपनी भाभी को बताई। तब उसकी भाभी ने पूरी सच्चाई बताते हुए कहा, “व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण माता उससे नाराज हो गए हैं।”
बहन अपने ससुराल के निकली,वह रोती हुई जा रही थी तभी रास्ते में उसे एक बूढ़ी औरत मिली। उसने पूछा, “ बेटी क्यों रो रही है?”। उसने सारी बात उस बूढ़ी औरत को बताई। तभी बूढ़ी माई बोली, माता तुमसे रूठ गई है, तुम्हें उन्हें मानना होगा। तुम साल के चारों चौथ के व्रत पूरे विधि विधान से करो और उनसे प्रार्थना करो कि वह तुम्हें सुहाग दें।”
इस पर वह निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। बहन ने सभी व्रत पूरे मन और श्रद्धा से किए। कार्तिक के महीने में बड़ी करवा चौथ आई, तो अपनी सभी भाभियों के साथ उसने भी व्रत रखा। शाम को उसने सभी सुहागिनी औरतों से अनुरोध किया और बोली, यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो।
उसकी तपस्या को देखकर करवा माता पिघल गई। ऐसे में करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति फिर से जीवित हो गया। हे करवा माता जैसे आपने सहकारनी की बेटी की सुनी वैसे ही सबकी सुनना, और सभी के सुहाग को अमर बनाना।
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2. धोबिन और मगरमच्छ की कहानी
करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन थी, जो रोज तुंगभद्रा नदी के किनारे रहती थी। रोज वह उसी नदी के किनारे अपने पति के साथ कपड़े धोया करती थी। एक दिन नदी का मगरमच्छ उसके पति पर हमला कर देता है और उसे अपने दांतों में दबाकर यमलोक ले जाने लगा। पति की पुकार सुनकर करवा वहां पहुंचीं और मगर को कच्चे धागे से बांधकर यमराज के पास ले गईं।
करवा ने यमराज से अपने पति की रक्षा की गुजार लगाई और बोली, “ हे भगवान, इस मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़े है, आप इसे दंड दे और इसे नरक में भेज दे।”
करवा की बात सुनकर यमराज बोले, “ लेकिन अभी तो इस मगरमच्छ की जीवन रेखा पूरी नहीं हुई है, मैं इसे दंड नहीं दे सकता। इसपर करवा बोली, “अगर आप मेरे पति को बचाने में मेरी मदद नहीं करेंगे तो, मैं आपको श्राप दे दूंगी।”
करवा का साहस देखकर यमराज डर गए। उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाने लगा।
हे करवा मां जैसे आपने धोबिन के पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाला था, वैसे ही उनके सुहाग की भी रक्षा करना।
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3. अर्जुन और द्रोपदी की कहानी ( करवा चौथ की पौराणिक कहानी)
महाभारत काल की बात है युद्घ में सफलता के लिए और अस्त्र-शस्त्र इकट्ठा करने के लिए अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरी पर्वत पर गये थे। बहुत समय तक जब अर्जुन के नहीं लौटे तो द्रौपदी परेशान हो गईं और उन्होंने अपने सखा व भाई भगवान श्री कृष्ण को याद किया । कृष्ण ने पांडवों की रक्षा के लिए द्रौपदी को करवाचौथ व्रत करने की सलाह और विधि बतायी।
श्री कृष्ण ने बताया कि द्रोपदी को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके पति सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखना होगा। पूरे दिन मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी का ध्यान करना होगा। उन्होंने द्रौपदी को
दीवार पर गेरू और पिसे चावलों के घोल से करवा माता का चित्र बनाने की विधि बताई ।
इसके बाद श्री कृष्ण ने बताया कि उन्हें आठ पूरियां अठावरी के लिए बनानी है और सास को देने वाला बायना भी करवा मां को चढ़ाया जाना है। इसके बाद कथा सुनी है और रात को चंद्रमा देखकर अपना व्रत खोलना है। द्रौपदी ने विधिवत करवाचौथ का व्रत रखा जिससे अर्जुन सकुशल तपस्या करके लौट आये, और द्रोपदी और अर्जुन का फिर से मिलन हुआ।
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4. रानी वीरवती की करवा चौथ की कहानी
वीरवती नाम की एक सुंदर राजकुमारी थी जो अपने भाइयों में इकलौती बहन थी। अपने पहले करवा चौथ पर, वह अपने माता-पिता के घर आई जहां अपने पति के लिए उसने अपने पति के लिए कठोर उपवास रखा। वीरवती ने पहले कभी यह उपवास नहीं रखा था, ऐसे में शाम तक वह भूख प्यास से तड़प उठी।
वह बार बार छत पर जाकर देखती कि चांद निकला है या नहीं। उसे इस तरह से परेशान देखकर उसके भाइयों को दुख हुआ। ऐसे में वह एक पेड़ पर चढ़कर एक शीशा लगा आए और अपने महल से उसपर रोशनी डालने लगे। दूर से देखने पर लग रहा था कि मानो आसमान में सच में चंद्रमा उग आया है।
उसके भाइयों ने उसे आकर कहा कि बहन चांद उग गया है, अब तुम अपना व्रत खोल लो। वीरवती अपने भाइयों की बातों में आ गई ओर व्रत तोड़ लिया। जिस समय वीरवती ने अपना व्रत तोड़ा, उसके पति की मृत्यु की खबर आई। रोती हुई वह तुरंत अपने ससुराल की ओर निकली। रास्ते में उसे मां पार्वती मिली जिन्होंने उसे बताया कि उनके भाइयों ने उन्हें धोखा दिया है।
वीरवती ने इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत रखा और उनकी निष्ठा को देखकर मृत्यु के देवता यम ने उनके पति को जीवन प्रदान किया।
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FAQs: करवा चौथ को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q.1: करवा चौथ की कहानी कैसे पढ़ी जाती है?
A.– करवा चौथ की कथा दोपहर 12 बजे के बाद पढ़ी जाती है। कथा पढ़ने से पहले पूजा पाठ करके हाथ में गेहूं के दाने के लें। करवा चौथ पर कथा समाप्त होने पर मन में प्रार्थना करें कि मां जैसे आपने उसके सुहाग की रक्षा करी, वैसे ही हमारी भी सुहाग की रक्षा करना।
Q.2: करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है?
A.– करवा चौथ का व्रत शादीशुदा औरते रखती हैं। यह एक कठोर व्रत हैं जिसमें शादीशुदा महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात को चांद निकलने तक कठोर निर्जला व्रत रखा जाता है और ईश्वर से अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती हैं।
Q.3: करवा चौथ कब मनाई जाती है?
A.– कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाई जाती है।
Q.4: मिट्टी के करवा में क्या भरा जाता है?
A.– पूजा करते समय मिट्टी के करवे में जल और अक्षत डालकर रखा जाता है। बाद में इसमें कलावा बांधा जाता है। रात में चंद्रमा का दर्शन कर मिट्टी के करवे से अर्घ्य दिया जाता है और इसी करवे से पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर व्रत खोलते है।