Short Story In Hindi With Moral: पुराने समय की बात है, गांव के बाहर एक पुराना तालाब था। इस तालाब में दो हंस और एक कछुए रहा करते था। काफी समय से साथ रहने के चलते तीनों अच्छे दोस्त बन गए थे। दोनों हंस बहुत ही समझदार थे, जो अक्सर दिन में उड़कर पास की मुनियों के आश्रम में जाते थे, और उनकी ज्ञान भरी बातें सुनते थे। वापस आकर हंस कछुए को भी ज्ञान की बातें सुनाया करते थे। लेकिन कछुआ भूत ही बड़बोला था। वह पूरा दिन तालाब के आसपास के मेंढकों से बात करता रहता था। चुप रहना उसके लगभग न मुमकिन सा था। लेकिन एक दिन कछुए की ये आदत उसे ले डूबी। आखिर कछुए के साथ ऐसा क्या हुआ? यह जानने के लिए आपको कहानी पूरी पढ़नी होगी। तो चलिए शुरू करते हैं ….
तालाब के दोनों हंस रोजाना मुनियों की बातें सुनते थे, तो एक दिन उन्होंने सुना कि – कुछ लोग महर्षि से आकर कह रहे थे कि। इस बार वातावरण कुछ अजीब सा है, बहुत ज्यादा संभावना है कि गांव में सुखा पड़ेगा। ऐसा होगा तो शहर के सारे तालाब जल्दी ही सुख जाएंगे। ये बात आकर हंसों ने कछुए को बताई, लेकिन उसने उनकी बातों को नजरंदाज किया। थोड़े दिनों में तालाब का पानी कम होने लगा। अब आस पास के आस पास के मेंढ़क और पशु पक्षी और हंसों ने गाँव का तालाब छोड़ कर जंगल में जाने की योजना बनाना शुरू कर दिया। वहां नदी थी जिस वजह से उन्हें पानी की कोई कमी नहीं थी। अब पक्षी उड़कर जंगल चले जाते, जानवर पैदल चलकर, ओर मेंढ़क भी फुदकते–फुदकते। लेकिन कछुए के पास कोई रास्ता नहीं था। वह इतना दूर तक चलकर नहीं जा सकता था।
तो क्या कछुआ अकेला तालाब में रह जाएगा?
सभी जानवरों ने एक-एक करके तालाब छोड़कर जाना शुरू कर दिया। अब कछुआ परेशान होने लगा कि वह क्या करें? ऐसे में एक दिन उसने दोनों हंसों से बात की। कछुए ने कहा – मैं इस तालाब में अकेले नहीं मरना चाहता हूं। तुम कुछ भी करके प्लीज मुझे यहां से ले चलो मैं तुम्हारा जिंदगी भर तुम्हारा एहसानमंद रहूंगा। यह सुनकर हंसों ने आपस में बात की और कछुए को तालाब से जंगल में ले जाने की एक नई योजना बनाई।
उन्होंने कछुए से कहा कि हम तुम्हें एक लकड़ी के जरिए यह गांव पर करवाएंगे उस लकड़ी को हम दोनों कोने से पकड़े हुए होंगे और बीच में तुम्हें अपने मुंह से लकड़ी को पकड़ना है। फिर हम उड़कर तुम्हे गांव पार करवा देंगे। लेकिन ध्यान रहे तुम्हें एक बार भी अपना मुंह नहीं खोलना है अगर तुमने ऐसा किया तो तुम्हारी जान भी जा सकती है।
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क्या बातूनी कछुआ चुप रह पाएगा ?
कछुवे ने हामी भर दी और हंस कछुवे को लेकर उड़ने लगे। रास्ते में जब हंस गांव के ऊपर से उड़ रहे थे तो गांव के कुछ बच्चों ने यह नजारा देखा और उन्होंने चिल्लाने शुरू कर दिया। देखो कछुआ उड़ रहा है, कछुआ उड़ रहा हैं। बच्चों की आवाज सुनकर कछुवा चुप ना रह सका और बोलने के लिए अपना मुंह खोल दिया और जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गयी। हंसों को कछुए की ये हालत देखकर बहुत दुख हुआ, लेकिन वो आखिर कर भी क्या सकते थे। अंत में वो दुखी होकर रह गए।
शिक्षा:
कुछ भी बोलने से पहले परिस्थिति को समझे, जा जरुरत नहीं है वह बोलने से बचें। क्योंकि कई बार जरूरत से ज्यादा बोलना आपको भारी पड़ सकता है।
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