अंधेरे की चादर ने पूरे शहर को ढक लिया था। ठंडी हवा चल रही थी, जिससे पेड़ों की डालियाँ खड़खड़ा रही थीं। इस अँधेरे में, एक युवक, विजय, एक विशाल, पुराने हवेली की ओर बढ़ रहा था। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, डर उसके दिल में समा रहा था। यह हवेली, उसके दादा की विरासत थी, जिसे उन्होंने उसे सौंपा था। लेकिन, इस हवेली के साथ एक रहस्य जुड़ा हुआ था, एक ऐसा रहस्य जो विजय को डराता था।
हवेली में क्यों हो रही थी एक के बाद एक मौतें ?
हवेली में प्रवेश करते ही, विजय को एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। हवा में एक साँस लेने जैसी आवाज़ आ रही थी, जो उसकी रूह को झकझोर रही थी। हवेली के अंदरूनी हिस्से में, धूल की एक मोटी परत जमी हुई थी, और फर्नीचर धीरे-धीरे सड़ रहा था। एक अजीब सी बदबू हवा में फैली हुई थी, जो विजय को बेचैन कर रही थी।
कुछ दिनों बाद, विजय को एक अजीब सी बीमारी होने लगी। उसके शरीर पर लाल-लाल धब्बे उभरने लगे, जो तेज़ी से बढ़ रहे थे। डॉक्टरों ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। इस बीमारी से ग्रस्त लोग धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहे थे, और अंत में, उनकी मौत हो रही थी। विजय ने हवेली की खोजबीन शुरू की। उसने पुस्तकालय में पुराने दस्तावेज़ों की खोज की, और अंत में, उसे एक प्राचीन ग्रंथ मिला। ग्रंथ में उसे जो मिला वो उसे देख के चौंक गया।
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ग्रंथ में छुपा था हवेली का राज
ग्रंथ में हवेली पर श्राप की बात लिखी हुई थी। उसमें लिखा था कि सदियों पहले, एक राजा ने इस हवेली में एक युवती को कैद कर दिया था। जिसकी हवेली में भूख और प्यास से तड़प तड़प कर मौत हो गई थी। मरते समय लड़की ने राजा और उसके वंशजों को शाप दे दिया था।
जैसे-जैसे विजय सच्चाई के करीब पहुंच रहा था, वह खुद भी शाप के प्रभाव में आने लगा। उसके शरीर पर लाल धब्बे तेज़ी से फैल रहे थे, और वह कमज़ोर पड़ रहा था। उसे एहसास हुआ कि वह भी इस शाप का शिकार हो रहा है।
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क्या श्राप के असर से विजय की मृत्यु भी हो जाएगी?

श्राप के असर से विजय बहुत ही कमजोर हो गया था। एक रात, विजय को महसूस हुआ कि कोई उसके कमरे में है। वह डर से सहम गया, लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर अपनी आँखें खोलीं और उठकर खड़ा हो गया। उसने देखा कि उसके सामने एक युवती खड़ी थी। जिसकी आँखें लाल रंग की थीं। वह युवती धीरे-धीरे विजय की ओर बढ़ रही थी, और उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।
विजय को समझ आ गया कि ये भी लड़की है, जिसने इस हवेली को शाप दिया था। वह डर से चीखना चाहता था, लेकिन उसकी आवाज़ उसके गले में फंस गई। युवती ने अपना हाथ बढ़ाया, और उसके नाखून तेज़ और नुकीले हो गए। वह विजय पर हमला करने ही वाली थी, की इतने में विजय अपने घुटनों पर बैठ गया और बोला – मुझे पता है मेरे पूर्वजों ने तुम्हारे साथ अन्याय किया है, लेकिन मैं उन सब की तरफ से तुमसे माफी मांगता हूं। मैं तुम्हें इस हवेली से मुक्त करना चाहता हूं, क्या तुम इस भूतिया जिन्दगी से मुक्त होना चाहती हो।
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श्राप मुक्त हुई हवेली
विजय की बात सुनकर युवती थोड़ी भावुक हो गई। इतने सालों में हवेली के एक भी वंशज ने न तो उससे माफी मांगी थी और न ही उसकी मुक्ति की बात कही थी। विजय के मुंह से ये बात सुनकर उसका सालों का गुस्सा शांत हो गया था।
आखिरकर विजय ने 21 राजपुरोहितों को हवेली में बुलाया और उस कमरे में ले जाकर हवन किया जा उस लड़की की मौत हुई थी। 21 दिनों के हवन के बाद आखिरकार वो हवेली श्राप मुक्त हो गई। अब विजय अपनी फैमिली के साथ खुशी खुशी उस हवेली में रहता है।
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